मु शिनपिंग (शहरी संयुक्त मोर्चा कार्य विभाग के एक मंत्री की पत्नी): अरे, श्याओयी, श्याओरूई, मैं तुम दोनों से कुछ बात करना चाहती हूँ। मैं भी जानती हूँ कि
परमेश्वर में विश्वास करना अच्छा है। यह लोगों को सही मार्ग पर ले जाता है। तो, परमेश्वर में तुम्हारे विश्वास के बाद, मुझे बहुत राहत मिली है और मैं तुम्हारे भटकने को लेकर बिलकुल चिंतित नहीं हूँ। पर सरकारी दस्तावेज़ों के अनुसार, जो लोग यीशु में विश्वास करते हैं, जो
सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करते हैं, उन्होंने सुसमाचार का प्रचार करने के लिए अपने परिवार का त्याग कर दिया। कुछ लोग तो ज़िंदगी भर शादी नहीं करते। दस्तावेज़ भी यही कहते है कि सरकार उन लोगों के समूह को गिरफ़्तार करना चाहती है जो
सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करते हैं, और दूसरे समूह को मार देना चाहती है। उन्हें मारना मतलब कुछ नहीं। ऐसा कुछ और भी है, जैसे "जब तक प्रतिबंध समाप्त नहीं हो जाता तब तक सैनिकों को नहीं हटाया जाएगा", है न? सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बहुत-से विश्वासियों को बंदी बनाया गया, उन्हें घायल और अपंग बना दिया गया। कई लोगों को तो अपनी नौकरी तक खोनी पड़ी और उनके परिवार बर्बाद हो गए। इसकी बहुत आलोचना भी हुई कि परमेश्वर के विश्वासियों को अपने परिवार की चिंता नहीं होती। श्याओयी, श्याओरूई, क्या तुम्हें यह सही लगता है? मैं तुम्हें बताना चाहती हूँ, तुम न तो अपने परिवार को छोड़ सकते हो और न ही अपनी शादी को तोड़ सकते हो। अगर इस तरह से तुम परमेश्वर में विश्वास करते हो, तो मेरी सलाह है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास मत करो, ठीक है?