उत्तर: अंत के दिनों में सर्वसर्वशक्तिमान परमेश्वरशक्तिमान परमेश्वर अपना कार्य किस तरह करते हैं, इस बात को समझना सत्य का अनुसरण करके उद्धार पाने की हमारी क्षमता के लिए बहुत आवश्यक है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों में सत्य व्यक्त करके लोगों का न्याय और उन्हें शुद्ध करते हैं। वे मात्र अपने संतों को स्वर्ग के राज्य में उठाने के लिए ऐसा करते हैं।
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु का दूसरा आगमन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं। हम सभी सत्य-के-साधकों का यहाँ आने और देखने के लिए स्वागत करते हैं।
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सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की मूलभूत मान्यताएँ
(1) सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के सिद्धांत ईसाई धर्म के सिद्धांत बाइबल से उत्पन्न होते हैं, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की क...
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बुधवार, 1 मई 2019
प्रश्न: सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों में अपने न्याय का कार्य कैसे करते हैं? वे अपने वचनों से इंसान का न्याय कैसे करते हैं, उसे शुद्ध कैसे करते हैं और उसे पूर्ण कैसे करते हैं? ये जानने के लिए हम बेताब हैं। अगर हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य समझते हैं, तो हम लोग सचमुच परमेश्वर की वाणी सुन सकते हैं और हमें परमेश्वर के सिंहासन के सामने उन्नत किया जा सकता है। हमें ज़रा और विस्तार से बताइये!
मंगलवार, 30 अप्रैल 2019
प्रश्न: लोग पापी होते हैं लेकिन प्रभु यीशु को अपने पाप अर्पित करना हमेशा कारगर सिद्ध होता है। अगर हम प्रभु यीशु के सामने अपने पाप स्वीकार कर लें तो वो हमें क्षमा कर देंगे। हम प्रभु की नज़रों में पापरहित हैं, इसलिये हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश पा सकते हैं!
उत्तर: प्रभु यीशु ने इंसान के पापों को क्षमा कर दिया है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि इंसान के कोई पाप ही नहीं हैं। इसका मतलब ये नहीं कि इंसान को उसके पापों के नियंत्रण से आज़ादी मिल गई या वो पवित्र हो गया है। प्रभु यीशु इंसान के पापों को क्षमा कर देते हैं। यहां पर "पाप" से क्या मतलब है? यहां पर पाप का मतलब है व्यभिचार, चोरी आदि, कोई भी ऐसा कार्य जो परमेश्वर के नियमों, आदेशों का उल्लंघन करता हो, पाप है। ऐसा कोई भी कार्य जो परमेश्वर का विरोध करता हो, तिरस्कार करता हो या उन्हें परखता हो, वो भी पाप है। ईश-निंदा भी पाप है, ऐसा पाप जिसे क्षमा नहीं किया जा सकता।
रविवार, 23 दिसंबर 2018
3. हर किसी को अनुग्रह के युग में पश्चाताप के मार्ग और अंतिम दिनों में अनन्त जीवन के मार्ग के बीच रहे अंतर को अवश्य पहचानना चाहिए।
3. हर किसी को अनुग्रह के युग में पश्चाताप के मार्ग और अंतिम दिनों में अनन्त जीवन के मार्ग के बीच रहे अंतर को अवश्य पहचानना चाहिए।
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (यूहन्ना 12:47-48)।
"जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)।
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