चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु का दूसरा आगमन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं। हम सभी सत्य-के-साधकों का यहाँ आने और देखने के लिए स्वागत करते हैं।

菜单

घर

सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की मूलभूत मान्यताएँ

(1)  सर्वशक्तिमान परमेश्वर की  कलीसिया  के सिद्धांत ईसाई धर्म के सिद्धांत बाइबल से उत्पन्न होते हैं, और  सर्वशक्तिमान परमेश्वर  की क...

क्‍वेरी परमेश्वर का प्रेम की प्रासंगिकता द्वारा क्रमित पोस्‍ट दिखाए जा रहे हैं. तारीख द्वारा क्रमित करें सभी पोस्‍ट दिखाएं
क्‍वेरी परमेश्वर का प्रेम की प्रासंगिकता द्वारा क्रमित पोस्‍ट दिखाए जा रहे हैं. तारीख द्वारा क्रमित करें सभी पोस्‍ट दिखाएं

बुधवार, 13 सितंबर 2017

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन | परमेश्वर के लिए सच्चा प्रेम स्वाभाविक है

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन | परमेश्वर के लिए सच्चा प्रेम स्वाभाविक है

सभी लोगों को परमेश्वर के वचनों के कारण शुद्ध किया गया है। यदि देह-धारी परमेश्वर ना होता तो मानव जाति उस तरह से पीड़ित होने के लिए धन्य नहीं होती। इसे इस तरीके से भी देखा जा सकता है-वे लोग जो कि परमेश्वर के वचनों की परीक्षाओं को स्वीकार करने में सक्षम हैं, वे धन्य लोग हैं।

बुधवार, 4 अक्तूबर 2017

अध्याय 44.क्या आप मानवजाति के लिए परमेश्वर के प्रेम को समझते हैं?

देह धारण किए परमेश्वर का मानवजाति के लिए प्रेम कहाँ स्पष्ट है? चरण-दर-चरण कार्य का अनुभव करने के बाद, आप लोग देख सकते हैं कि जब परमेश्वर कार्य के हर चरण में बोलते हैं, वे कुछ तरीकों का उपयोग करते हैं, कुछ भविष्यवाणियां करते हैं, और कुछ सच्चाई और परमेश्वर के स्वभाव को व्यक्त करते हैं, और सभी लोगों की प्रतिक्रियाएं होती हैं। उनकी प्रतिक्रियाएं क्या हैं? वे परमेश्वर को नहीं मानते, वे विशेष रूप से सच्चाई की तलाश में पहल नहीं करते, या वे परमेश्वर के काम को स्वीकार करना नहीं चाहते हैं। वे सभी नकारात्मक और प्रतिरोधी हैं, और वे विवाद और अस्वीकार कर रहे हैं और अंगीकार नहीं कर रहे।

शुक्रवार, 4 अगस्त 2017

अध्याय 16. व्यावहारिक परमेश्वर में तीन विश्वास

परमेश्वर के परिवार के भीतर, परमेश्वर में कई अलग-अलग विश्वास हैं; यह देखने के लिए कि तुम किस विश्वास से संबंधित हो इन अलग-अलग विश्वासों की पहचान अवश्य करनी चाहिए।
पहली तरह के विश्वास के साथ, जो कि सर्वोत्तम प्रकार का भी है, व्यक्ति सभी चीजों में परमेश्वर के वचन में विश्वास करने में समर्थ होता है; वह परमेश्वर के सभी प्रकटनों, व्यवहारों, और काट-छाँट को स्वीकार कर पाता है; वह परमेश्वर की इच्छा के लिए सचेत रहता है, वह प्यार करता है, परमेश्वर के प्रति निष्ठावान रहता है, और उसकी अर्चना करता है, और वह सत्य का अभ्यास करने के लिए तैयार रहता है। ऐसा विश्वास जीवन को उपजाता है, और किसी को स्वभाव में परिवर्तन प्राप्त करने और परमेश्वर के द्वारा प्राप्त किए जाने में सक्षम बनाता है।

गुरुवार, 18 मई 2017

भ्रष्ट मनुष्य परमेश्वर का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन,सत्य,परमेश्वर को जानना,परमेश्वर से प्रेम
सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

मनुष्य, शैतान के प्रभाव से मुक्ति के बिना बेड़ी में बँधा हुआ, अंधकार के प्रभाव के आवरण में रह रहा है। और मनुष्य का स्वभाव, शैतान के द्वारा परिवर्तित होकर, तेज़ी से भ्रष्ट होता जा रहा है। दूसरे शब्दों में, मनुष्य, परमेश्वर को वास्तव में प्यार करने में असमर्थ, निरंतर अपने भ्रष्ट शैतानी स्वभाव में रहता है। इसलिए, यदि मनुष्य परमेश्वर को प्यार करने की इच्छा करता है, तो उसे स्वयं को सही मानना, आत्म-महत्व, घमंड, अहंकार तथा इसी तरह की अपनी चीजों को अवश्य निकाल देना चाहिए जो शैतान के स्वभाव से संबंधित हैं।

शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

अंत के दिनों में, परमेश्वर मुख्य रूप से सत्य व्यक्त करते हैं और परमेश्वर के घर से आरम्भ करके न्याय का कार्य करते हैंI केवल परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय, ताड़ना, परीक्षण और शुद्धिकरण की प्रक्रिया से गुज़रना, साथ ही साथ परमेश्वर द्वारा शुद्ध और पूर्ण किया जाना, आखिरकार सच्चाई को अपने वास्तविक जीवन के रूप में प्राप्त करना, वास्तव में प्रभु के साथ भोज में शामिल होना हैI

संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:
"यह लिख, कि धन्य वे हैं, जो मेम्ने के विवाह के भोज में बुलाए गए हैं" (प्रकाशितवाक्य 19:9)।
"आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, "आ!" और सुननेवाला भी कहे, "आ!" जो प्यासा हो वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले" (प्रकाशितवाक्य 22:17)।

शुक्रवार, 28 जुलाई 2017

विश्वासियों को क्या दृष्टिकोण रखना चाहिए

विश्वासियों को क्या दृष्टिकोण रखना चाहिए

वो क्या है जो मनुष्य ने प्राप्त किया है जब उसने सर्वप्रथम परमेश्वर में विश्वास किया? तुमने परमेश्वर के बारे में क्या जाना है? परमेश्वर में अपने विश्वास के कारण तुम कितने बदले हो? अब तुम सभी जानते हो कि परमेश्वर में मनुष्य का विश्वास आत्मा की मुक्ति और देह के कल्याण के लिए ही नही है, और न ही यह उसके जीवन को परमेश्वर के प्रेम से सम्पन्न बनाने के लिए, इत्यादि है। जैसा यह है, यदि तुम परमेश्वर को सिर्फ़ देह के कल्याण के लिए या क्षणिक आनंद के लिए प्रेम करते हो, तो भले ही, अंत में, परमेश्वर के लिए तुम्हारा प्रेम इसके शिखर पर पहुँचता है और तुम कुछ भी नहीं माँगते, यह "प्रेम" जिसे तुम खोजते हो अभी भी अशुद्ध प्रेम होता है, और परमेश्वर को भाने वाला नहीं होता।

बुधवार, 28 जून 2017

सिद्ध बनाए जाने वालों को शुद्धिकरण से अवश्य गुजरना चाहि

सर्वशक्तिमान परमेश्वर,सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया,चमकती पूर्वी बिजली,यीशु,परमेश्वर
सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया
यदि आप परमेश्वर पर विश्वास करते हैं तो आपको अवश्य परमेश्वर की आज्ञा पालन करनी चाहिए, सत्य को अभ्यास में लाना चाहिए और अपने कर्तव्यों को पूरा करना चाहिए। इसके अलावा, आपको अनुभव की जाने वाली बातों को समझना भी आवश्यक है। यदि आप केवल व्यवहार, अनुशासन और न्याय का ही अनुभव करते हैं, यदि आप केवल परमेश्वर का आनन्द लेते हैं, परन्तु जब परमेश्वर आप को अनुशासित कर रहा हो या आपके साथ व्यवहार कर रहा हो तो आप उसका अनुभव करने में असमर्थ हैं, तो यह स्वीकार्य नहीं है।

सोमवार, 31 जुलाई 2017

विश्वासियों को क्या दृष्टिकोण रखना चाहिए

वो क्या है जो मनुष्य ने प्राप्त किया है जब उसने सर्वप्रथम परमेश्वर में विश्वास किया? आपने परमेश्वर के बारे में क्या जाना है? परमेश्वर में अपने विश्वास के कारण आप कितने बदले हैं? अब आप सभी जानते हैं कि परमेश्वर में विश्वास आत्मा की मुक्ति और देह के कल्याण के लिए ही नही है, और न ही यह आपके जीवन को परमेश्वर के प्रेम से सम्पन्न बनाने के लिए, इत्यादि है। जैसा यह है, यदि आप परमेश्वर को सिर्फ़ देह के कल्याण के लिए या क्षणिक आनंद के लिए प्रेम करते हैं, तो भले ही, अंत में, परमेश्वर के लिए आपका प्रेम इसके शिखर पर पहुँचता है और आप कुछ भी नहीं माँगते, यह “प्रेम” जिसे आप खोजते हैं अभी भी अशुद्ध प्रेम होता है, और परमेश्वर को भाने वाला नहीं होता।

बुधवार, 23 जनवरी 2019

5. परमेश्वर में सच्चा विश्वास वास्तव में क्या है? किसी को परमेश्वर में कैसे विश्वास करना चाहिए कि वह परमेश्वर से प्रशंसा प्राप्त कर सके?

परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य, परमेश्वर को जानना, बाइबल, मसीह के कथन

5. परमेश्वर में सच्चा विश्वास वास्तव में क्या है किसी को परमेश्वर में कैसे विश्वास करना चाहिए कि वह परमेश्वर से प्रशंसा प्राप्त कर सके

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यद्यपि बहुत से लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, किंतु बहुत कम लोग समझते हैं कि परमेश्वर पर विश्वास करने का अर्थ क्या है, और परमेश्वर के मन के अनुरूप बनने के लिये उन्हें क्या करना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि यद्यपि लोग "परमेश्वर" शब्द और "परमेश्वर का कार्य" जैसे वाक्यांश से परिचित हैं, किंतु वे परमेश्वर को नहीं जानते हैं, और उससे भी कम वे उसके कार्य को जानते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि तब वे सभी जो परमेश्वर को नहीं जानते हैं, वे दुविधायुक्त विश्वास रखते हैं। लोग परमेश्वर पर विश्वास करने को गंभीरता से नहीं लेते हैं, क्योंकि परमेश्वर पर विश्वास करना उनके लिये अत्यधिक अनजाना और अजीब है।

बुधवार, 3 अप्रैल 2019

2. अगर कोई केवल परमेश्वर के अनुग्रह का आनंद लेता है, तो क्या यह परमेश्वर पर विश्वास की वास्तविक गवाही है?

परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य, अनुग्रह, श्रद्धा, का पालन करें, श्रद्धा, आस्था

2. अगर कोई केवल परमेश्वर के अनुग्रह का आनंद लेता है, तो क्या यह परमेश्वर पर विश्वास की वास्तविक गवाही है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
शांतिमय पारिवारिक जीवन या भौतिक आशीषों के साथ, यदि तुम केवल परमेश्वर के अनुग्रह का आनंद लेते हैं, तो तुमने परमेश्वर को प्राप्त नहीं किया है, और परमेश्वर में तुम्हारा विश्वास पराजित हो गया है। परमेश्वर ने शरीर में अनुग्रह के कार्य के एक चरण को पहले ही पूरा कर लिया है, और मनुष्य को भौतिक आशीषें प्रदान कर दी हैं - परंतु मनुष्य को केवल अनुग्रह, प्रेम और दया के साथ सिद्ध नहीं किया जा सकता। मनुष्य के अनुभवों में वह परमेश्वर के कुछ प्रेम का अनुभव करता है, और परमेश्वर के प्रेम और उसकी दया को देखता है, फिर भी कुछ समय तक इसका अनुभव करने के बाद वह देखता है कि परमेश्वर का अनुग्रह और उसका प्रेम और उसकी दया मनुष्य को सिद्ध बनाने में असमर्थ हैं, और उसे प्रकट करने में भी असमर्थ है जो मनुष्य में भ्रष्ट है, और न ही वे मनुष्य के भ्रष्ट स्वभाव से उसे आज़ाद कर सकते हैं, या उसके प्रेम और विश्वास को सिद्ध बना सकते हैं। परमेश्वर का अनुग्रह का कार्य एक अवधि का कार्य था, और मनुष्य परमेश्वर को जानने के लिए परमेश्वर के अनुग्रह का आनंद उठाने पर निर्भर नहीं रह सकता।

"वचन देह में प्रकट होता है" से "केवल पीड़ादायक परीक्षाओं का अनुभव करने के द्वारा ही तुम परमेश्वर की मनोहरता को जान सकते हो" से

रविवार, 6 जनवरी 2019

2. परमेश्वर के स्वभाव और सार को कोई कैसे जान सकता है?

परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य, परमेश्वर को जानना, मसीह के कथन

2. परमेश्वर के स्वभाव और सार को कोई कैसे जान सकता है

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
लोग अकसर कहते हैं कि परमेश्वर को जानना सरल बात नहीं है। फिर भी, मैं कहता हूं कि परमेश्वर को जानना बिलकुल भी कठिन विषय नहीं है, क्योंकि वह बार बार मनुष्य को अपने कामों का गवाह बनने देता है। परमेश्वर ने कभी भी मनुष्य के साथ संवाद करना बंद नहीं किया है; उसने कभी भी मनुष्य से अपने आपको गुप्त नहीं रखा है, न ही उसने स्वयं को छिपाया है। उसके विचारों, उसके उपायों, उसके वचनों और उसके कार्यों को मानवजाति के लिए पूरी तरह से प्रकाशित किया गया है।

गुरुवार, 4 अप्रैल 2019

3. परमेश्वर की इच्छा का पालन करने वाला कोई व्यक्ति वास्तव में कैसा होता है? और परमेश्वर पर विश्वास की सच्ची गवाही क्या है?

परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य, भगवान अच्छा है, गवाही, श्रद्धा, प्रार्थना

3. परमेश्वर की इच्छा का पालन करने वाला कोई व्यक्ति वास्तव में कैसा होता है? और परमेश्वर पर विश्वास की सच्ची गवाही क्या है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"तब अय्यूब उठा, और बागा फाड़, सिर मुँड़ाकर भूमि पर गिरा और दण्डवत् करके कहा, मैं अपनी माँ के पेट से नंगा निकला और वहीं नंगा लौट जाऊँगा; यहोवा ने दिया और यहोवा ही ने लिया; यहोवा का नाम धन्य है" (अय्यूब 1:20-21)।
"और उसने कहा, अपने पुत्र को अर्थात् अपने एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है, संग लेकर मोरिय्याह देश में चला जा; और वहाँ उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मैं तुझे बताऊँगा होमबलि करके चढ़ा। … अब्राहम ने हाथ बढ़ाकर छुरी को ले लिया कि अपने पुत्र को बलि करे" (उत्‍पत्ति 22:2,10)।

शनिवार, 14 सितंबर 2019

मैं फरीसियों के मार्ग पर क्यों चली गई हूँ?

सुज़िंग शांग्ज़ी प्रांत
मैं एक घमण्डी और अकडू व्यक्ति हूँ, और पद मेरी कमज़ोरी रहा है। अपनी आस्था में कई वर्षों से, मैं प्रतिष्ठा और पद से बँधी रही हूँ और मैं स्वयं को इससे स्वतन्त्र करने में समर्थ नहीं हुई हूँ। बार-बार मुझे पदोन्नत और स्थानान्तरित किया गया है; मुझे मेरे पद में अनेक असफलताएँ मिली हैं और मार्ग में अनेक धक्के लगे हैं।

सोमवार, 30 सितंबर 2019

परमेश्वर का प्रेम की प्रकृति क्या है?

सिकियू, सुईहुआ सिटी, हीलॉन्ग जिआंग प्रदेश
जब भी मैं परमेश्वर के वचन का यह अवतरण पढ़ता हूं, "यदि तुम हमेशा मेरे प्रति बहुत निष्ठावान और प्यार करने वाले रहे हो, मगर तुम बीमारी, जीवन की दरिद्रता, और अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के परित्याग की पीड़ा को भुगतते हो और जीवन में किसी भी अन्य दुर्भाग्य को सहन करते हो, तो क्या तब भी मेरे लिए तुम्हारी निष्ठा और प्यार जारी रहेगा?" ("वचन देह में प्रकट होता है" में "एक बहुत गंभीर समस्या: विश्वासघात (2)")।

शनिवार, 24 नवंबर 2018

4. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के महत्व को, अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य से प्राप्त परिणामों में, देखा जा सकता है।

4. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के महत्व को, अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य से प्राप्त परिणामों में, देखा जा सकता है।

(1) अंत के दिनों में परमेश्वर का न्याय का कार्य मनुष्य को शुद्ध करने, बचाने और सिद्ध बनाने, तथा विजय प्राप्त करने वालों का एक समूह बनाने के लिए किया जाता है।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"तू ने मेरे धीरज के वचन को थामा है, इसलिये मैं भी तुझे परीक्षा के उस समय बचा रखूँगा जो पृथ्वी पर रहनेवालों के परखने के लिये सारे संसार पर आनेवाला है। मैं शीघ्र ही आनेवाला हूँ; जो कुछ तेरे पास है उसे थामे रह कि कोई तेरा मुकुट छीन न ले।
जो जय पाए उसे मैं अपने परमेश्‍वर के मन्दिर में एक खंभा बनाऊँगा, और वह फिर कभी बाहर न निकलेगा; और मैं अपने परमेश्‍वर का नाम और अपने परमेश्‍वर के नगर अर्थात् नये यरूशलेम का नाम, जो मेरे परमेश्‍वर के पास से स्वर्ग पर से उतरनेवाला है, और अपना नया नाम उस पर लिखूँगा" (प्रकाशितवाक्‍य 3:10-12)।

शनिवार, 12 अगस्त 2017

अध्याय 32. सत्य प्रदान करना दूसरों का नेतृत्व करने का वास्तविक मार्ग है

अगर आप लोग दूसरों का नेतृत्व करने और, सबसे महत्वपू्र्ण बात, परमेश्वर के गवाहों के रूप में सेवा करने का कार्य करना चाहते हैं, तो लोगों को बचाने में परमेश्वर के उद्देश्य और उसके कार्य के उद्देश्य की समझ आप में होनी चाहिए। आपको परमेश्वर की इच्छा और लोगों से उनकी विभिन्न अपेक्षाओं को समझना चाहिए। आपको अपने प्रयासों में व्यावहारिक होना चाहिए; केवल उतना ही अनुभव करना चाहिए जितना आप समझते हैं और केवल वहीं बात करनी चाहिए जो आप जानते हैं। डींगें न मारें, बढ़ा चढ़ा कर नहीं बोलें, और गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियाँ न करें।

सोमवार, 24 जुलाई 2017

परमेश्वर स्वयं, जो अद्वितीय है (V)

परमेश्वर की पवित्रता (II)

सब को शुभ संध्या! (शुभ संध्या सर्वसामर्थी परमेश्वर!) आज, भाइयो और बहनो, आइए हम एक गीत गाएं। जो आपको पसंद हो और आप ने उसे पहले लगातार गाया हो। (हम परमेश्वर के वचन का गीत गाना चाहेंगे “बिना दाग का पवित्र प्रेम”।)
गीत के अंत के बोलः “प्रेम” एक निष्कलंक शुद्ध भावना को दर्शाता है जहां आप अपने दिल को प्रेम करने, अनुभव करने और विचार करने के लिए उपयोग में लाते हैं। प्रेम में कोई शर्त, कोई बाधा और कोई दूरी नहीं होती है। प्रेम में कोई शक नहीं, कोई धोखा नहीं, कोई समझौता नहीं, कोई चालाकी नहीं होती। प्रेम में कोई चुनाव नहीं और कुछ अशुद्धता नहीं होती।

गुरुवार, 27 जुलाई 2017

परमेश्वर स्वयं, जो अद्वितीय है (V)

परमेश्वर की पवित्रता (II)

सब को शुभ संध्या! (शुभ संध्या सर्वसामर्थी परमेश्वर!) आज, भाइयो और बहनो, आइए हम एक गीत गाएं। जो आपको पसंद हो और आप ने उसे पहले लगातार गाया हो। (हम परमेश्वर के वचन का गीत गाना चाहेंगे “बिना दाग का पवित्र प्रेम”।)
गीत के अंत के बोलः “प्रेम” एक निष्कलंक शुद्ध भावना को दर्शाता है जहां आप अपने दिल को प्रेम करने, अनुभव करने और विचार करने के लिए उपयोग में लाते हैं। प्रेम में कोई शर्त, कोई बाधा और कोई दूरी नहीं होती है। प्रेम में कोई शक नहीं, कोई धोखा नहीं, कोई समझौता नहीं, कोई चालाकी नहीं होती। प्रेम में कोई चुनाव नहीं और कुछ अशुद्धता नहीं होती।

रविवार, 10 नवंबर 2019

प्रश्न 1: प्रभु यीशु कहते हैं: "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। तब समझ आया कि प्रभु अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए वचन बोलने को लौटते हैं। प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रभु की वाणी सुनने की कोशिश करना। लेकिन अब, सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि हमें नहीं पता कि प्रभु की वाणी कैसे सुनें। हम परमेश्वर की वाणी और मनुष्य की आवाज़ के बीच भी अंतर नहीं कर पाते हैं। कृपया हमें बताइये कि हम प्रभु की वाणी की पक्की पहचान कैसे करें।

हम परमेश्वर की वाणी कैसे सुनते हैं? हममें कितने भी गुण हों, हमें कितना भी अनुभव हो, उससे कोर्इ फ़र्क नहीं पड़ता।प्रभु यीशु में विश्वास करते हुए, उनके कई वचन सुनकर हमें कैसा लगता है? हालांकि हमें प्रभु के वचनों का कोर्इ अनुभव या ज्ञान नहीं है, लेकिन उन्हें सुनते ही लगता है कि वे सत्य हैं, उनमें सामर्थ्य और अधिकार है।

शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2019

पवित्र आत्मा का कार्य क्या है? पवित्र आत्मा का कार्य कैसे प्रकट किया जाता है?

पवित्र आत्मा का कार्य, सुसमाचार से सम्बन्धित सत्य, परमेश्वर का कार्य

पवित्र आत्मा का कार्य क्या है? पवित्र आत्मा का कार्य कैसे प्रकट किया जाता है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
जब पवित्र आत्मा कार्य करता है, तो लोग सक्रिय रूप से प्रवेश कर सकते हैं; वे निष्क्रिय नहीं होते और उन्हें बाध्य भी नहीं किया जाता, बल्कि वे सक्रिय रहते हैं। जब पवित्र आत्मा कार्य करता है तो लोग प्रसन्न और इच्छापूर्ण होते हैं, और वे आज्ञा मानने के लिए तैयार होते हैं, और स्वयं को दीन करने में प्रसन्न होते हैं, और यद्यपि भीतर से पीड़ित और दुर्बल होते हैं, फिर भी उनमें सहयोग करने का दृढ़ निश्चय होता है, वे ख़ुशी-ख़ुशी दुःख सह लेते हैं, वे आज्ञा मान सकते हैं, और वे मानवीय इच्छा से निष्कलंक रहते हैं, मनुष्य की विचारधारा से निष्कलंक रहते हैं, और निश्चित रूप से मानवीय अभिलाषाओं और अभिप्रेरणाओं से निष्कलंक रहते हैं। जब लोग पवित्र आत्मा के कार्य का अनुभव करते हैं, तो वे भीतर से विशेष रूप से पवित्र हो जाते हैं।

Popular Posts