चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु का दूसरा आगमन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं। हम सभी सत्य-के-साधकों का यहाँ आने और देखने के लिए स्वागत करते हैं।

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सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की मूलभूत मान्यताएँ

(1)  सर्वशक्तिमान परमेश्वर की  कलीसिया  के सिद्धांत ईसाई धर्म के सिद्धांत बाइबल से उत्पन्न होते हैं, और  सर्वशक्तिमान परमेश्वर  की क...

क्‍वेरी परमेश्वर का प्रेम की प्रासंगिकता द्वारा क्रमित पोस्‍ट दिखाए जा रहे हैं. तारीख द्वारा क्रमित करें सभी पोस्‍ट दिखाएं
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सोमवार, 9 सितंबर 2019

पीड़ा से प्रेम की सुगंध उत्सर्जित होती है

ज़ियाओकाई, जियांग्ज़ी प्रांत
मैं एक साधारण ग्रामीण महिला हूँ और, केवल लड़कों को महत्व देने के सामंती विचार की वजह से, मैं लड़का पैदा नही करने के कारण शर्म से दूसरों के सामने सिर उठाने में असमर्थ थी। जब मैं बहुत अधिक पीड़ित थी, तभी मुझे प्रभु यीशु द्वारा चुना लिया गया और दो साल बाद, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उद्धार को स्वीकार कर लिया।

बुधवार, 1 मई 2019

प्रश्न: सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों में अपने न्याय का कार्य कैसे करते हैं? वे अपने वचनों से इंसान का न्याय कैसे करते हैं, उसे शुद्ध कैसे करते हैं और उसे पूर्ण कैसे करते हैं? ये जानने के लिए हम बेताब हैं। अगर हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य समझते हैं, तो हम लोग सचमुच परमेश्वर की वाणी सुन सकते हैं और हमें परमेश्वर के सिंहासन के सामने उन्नत किया जा सकता है। हमें ज़रा और विस्तार से बताइये!

उत्तर: अंत के दिनों में सर्वसर्वशक्तिमान परमेश्वरशक्तिमान परमेश्वर अपना कार्य किस तरह करते हैं, इस बात को समझना सत्य का अनुसरण करके उद्धार पाने की हमारी क्षमता के लिए बहुत आवश्यक है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों में सत्य व्यक्त करके लोगों का न्याय और उन्हें शुद्ध करते हैं। वे मात्र अपने संतों को स्वर्ग के राज्य में उठाने के लिए ऐसा करते हैं।

शुक्रवार, 23 नवंबर 2018

3. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय का कार्य किस तरह मानवजाति को शुद्ध करता और बचाता है?

3. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय का कार्य किस तरह मानवजाति को शुद्ध करता और बचाता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

"यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (युहन्ना 12:47-48)।

बुधवार, 17 जनवरी 2018

पृथ्वी के परमेश्वर को कैसे जानें


परमेश्वर के सामने तुम सभी पुरस्कार प्राप्त करने और उसके द्वारा मान्य किए जाने पर प्रसन्न होते हो। यह प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा होती है जब वह परमेश्वर पर विश्वास करना प्रारम्भ करता है, क्योंकि मनुष्य सम्पूर्ण हृदय से ऊंची बातों की खोज करता है और कोई भी दूसरे से पीछे नहीं होना चाहता। यही मनुष्यों का तरीका है। इसी कारण से, तुम लोगों के मध्य में से कई लोग स्वर्ग के परमेश्वर से हमेशा तरफदारी प्राप्त करने के इच्छुक रहते हैं, फिर भी वास्तव में, परमेश्वर के प्रति तुम्हारी वफादारी और ईमानदारी, तुम्हारे स्वयं के प्रति वफादारी और ईमानदारी से कहीं कम है।

मंगलवार, 4 जून 2019

परमेश्वर के नाम का महत्व: यदि परमेश्वर का नाम यहोवा है, तो उसे यीशु क्यों कहा जाता है?

यहोवा परमेश्वर ने पुराने नियम में हमें स्पष्ट रूप से बताया है: "मैं ही यहोवा हूँ और मुझे छोड़ कोई उद्धारकर्ता नहीं" (यशायाह 43:11)। "यहोवा ... सदा तक मेरा नाम यही रहेगा, और पीढ़ी पीढ़ी में मेरा स्मरण इसी से हुआ करेगा" (निर्गमन 3:15)।

मंगलवार, 29 मई 2018

परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर I

अंतिम दिनों के मसीह के कथन (पाठ), परमेश्वर, सत्य, प्रार्थना, बाइबल, यीशु
अंतिम दिनों के मसीह के कथन-परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर I
आज हम एक महत्वपूर्ण विषय पर बातचीत कर रहे हैं। यह ऐसा विषय है जिस पर परमेश्वर के कार्य की शुरुआत से लेकर अब तक चर्चा की गई है, और यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए अत्याधिक महत्व रखता है। दूसरे शब्दों में, यह ऐसा विषय है, जिसके सम्पर्क में प्रत्येक व्यक्ति परमेश्वर में अपने विश्वास की प्रक्रिया के दौरान आएगा और ऐसा विषय है जिसे स्पर्श किया जाना चाहिए। यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण, एवं अनिवार्य विषय है जिससे मानवजाति खुद से अलग नहीं कर सकती है।

शनिवार, 10 नवंबर 2018

10. यह क्यों है कि केवल देह-धारी परमेश्वर के कार्य के अनुभव और आज्ञा-पालन करने के द्वारा ही कोई परमेश्वर को जान सकता है?

परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य, देहधारण, परमेश्वर को जानना

10. यह क्यों है कि केवल देह-धारी परमेश्वर के कार्य के अनुभव और आज्ञा-पालन करने के द्वारा ही कोई परमेश्वर को जान सकता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्‍चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा” (युहन्‍ना 1:14)।

शनिवार, 3 जून 2017

परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर I


आज हम एक महत्वपूर्ण विषय पर बातचीत कर रहे हैं। यह ऐसा विषय है जिस पर परमेश्वर के कार्य की शुरुआत से लेकर अब तक चर्चा की गई है, और यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए अत्याधिक महत्व रखता है।

बुधवार, 6 मार्च 2019

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन|परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का अभ्यास

परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर को जानना, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन

परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का अभ्यास

मनुष्य के बीच परमेश्वर का कार्य मनुष्य से अवियोज्य है, क्योंकि मनुष्य इस कार्य का लक्ष्य है, और परमेश्वर के द्वारा रचा गया एकमात्र ऐसा प्राणी है जो परमेश्वर की गवाही दे सकता है। मनुष्य का जीवन और मनुष्य के समस्त क्रियाकलाप परमेश्वर से अवियोज्य हैं, और उन सब को परमेश्वर के हाथों के द्वारा नियन्त्रित किया जाता है, और यहाँ तक कि यह भी कहा जा सकता है कि कोई भी व्यक्ति परमेश्वर से स्वाधीन होकर अस्तित्व में नहीं रह सकता है। कोई भी इसे नकार नहीं सकता है, क्योंकि यह एक तथ्य है। वह सब कुछ जो परमेश्वर करता है मनुष्यजाति के लाभ के लिए है, और शैतान के षडयन्त्रों की ओर निर्देशित है।

शनिवार, 14 अक्तूबर 2017

परमेश्वर के वचन के द्वारा सब कुछ प्राप्त हो जाता है

परमेश्वर भिन्न-भिन्न युगों के अनुसार अपने वचन कहता है और अपना कार्य करता है, तथा भिन्न-भिन्न युगों में, वह भिन्न-भिन्न वचन कहता है। परमेश्वर नियमों से नहीं बँधता है, और एक ही कार्य को दोहराता नहीं है, और न अतीत की बातों को लेकर विषाद करता है; वह ऐसा परमेश्वर है जो सदैव नया है, कभी पुराना नहीं होता है, और वह हर दिन नये वचन बोलता है। जिस चीज का आज पालन किया जाना चाहिए उसका तुम्हें पालन करना चाहिए; यही मनुष्य की जिम्मेवारी और कर्तव्य है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि अभ्यास परमेश्वर की वर्तमान रोशनी और वास्तविक वचनों के आस-पास केन्द्रित हो। परमेश्वर नियमों का पालन नहीं करता है, और अपनी बुद्धि और सर्व-सामर्थ्य को प्रकट करने के लिए विभिन्न परिप्रेक्ष्यों से बोलने में सक्षम है।

शनिवार, 27 अप्रैल 2019

अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को स्वीकार करने की वास्तविक-जीवन की गवाहियाँ, परमेश्वर के सिंहासन के सामने स्वर्गारोहित होना, और प्रभु के साथ भोज में शामिल होना

संदर्भ के लिए बाइबिल के पद:
"फिर मैं ने बड़ी भीड़ का सा और बहुत जल का सा शब्द, और गर्जन का सा बड़ा शब्द सुना: “हल्‍लिलूय्याह! क्योंकि प्रभु हमारा परमेश्‍वर सर्वशक्‍तिमान राज्य करता है। आओ, हम आनन्दित और मगन हों, और उसकी स्तुति करें, क्योंकि मेम्ने का विवाह आ पहुँचा है, और उसकी दुल्हिन ने अपने आप को तैयार कर लिया है। उसको शुद्ध और चमकदार महीन मलमल पहिनने का अधिकार दिया गया”-क्योंकि उस महीन मलमल का अर्थ पवित्र लोगों के धर्म के काम है" (प्रकाशितवाक्य 19:6-8)।

बुधवार, 12 सितंबर 2018

परमेश्वर के कार्य का दर्शन (3)

परमेश्वर को जानना, मसीह के कथन, यीशु, राज्य, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन

परमेश्वर के कार्य का दर्शन (3)

पहली बार जब परमेश्वर देह बना तो यह पवित्र आत्मा द्वारा गर्भधारण के माध्यम से था, और यह उस कार्य से संबंधित था जिसे करने का वह इरादा रखता था। यीशु के नाम ने अनुग्रह के युग की शुरुआत को प्रख्यात किया। जब यीशु ने अपनी सेवकाई आरंभ की, तो पवित्र आत्मा ने यीशु के नाम की गवाही देनी आरंभ कर दी, और यहोवा का नाम अब और नहीं बोला जा रहा था, और इसके बजाय पवित्र आत्मा ने मुख्य रूप से यीशु के नाम से नया कार्य आरंभ किया था। जो यीशु में विश्वास करते थे उन लोगों की गवाही, यीशु मसीह के लिए थी, और उन्होंने जो कार्य किया वह भी यीशु मसीह के लिए था।

गुरुवार, 7 मार्च 2019

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन|परमेश्वर और मनुष्य एक साथ विश्राम में प्रवेश करेंगे

परमेश्वर और मनुष्य एक साथ विश्राम में प्रवेश करेंगे

आरंभ में परमेश्वर विश्राम कर रहा था। उस समय पृथ्वी पर कोई मनुष्य या अन्य कुछ भी नहीं था, और परमेश्वर ने किसी भी तरह का कोई कार्य नहीं किया था। परमेश्वर ने अपने प्रबंधन के कार्य को केवल तब आरंभ किया जब एक बार मानवजाति अस्तित्व में आ गई और एक बार जब मानव जाति भ्रष्ट कर दी गई। इसके बाद से, परमेश्वर ने अब और विश्राम नहीं किया बल्कि इसके बजाय उसने स्वयं को मनुष्यजाति के बीच व्यस्त रखना आरंभ कर लिया। यह मनुष्यों की भ्रष्टता की वजह से था कि परमेश्वर को उसके विश्राम से उठा दिया गया, और यह प्रधान स्वर्गदूत के विद्रोह के कारण भी था कि जिसने परमेश्वर को उसके विश्राम से उठा दिया। यदि परमेश्वर शैतान को परास्त नहीं करता और मानव जाति को नहीं बचाता है, जो की भ्रष्ट हो चुकी है, तो परमेश्वर पुनः कभी भी विश्राम में प्रवेश नहीं कर पाएगा।

सोमवार, 11 मई 2020

शुद्धिकरण की पीड़ा के मध्य ही शुद्ध बनता है इंसान का प्रेम | Hindi Christian Song With Lyrics

शुद्धिकरण की पीड़ा के मध्य ही शुद्ध बनता है इंसान का प्रेम | Hindi Christian Song With Lyrics

अपनी ज़िंदगी में सहे पतरस ने,
दर्द से भरे सैंकड़ों इम्तहान।
परमेश्वर के लिये उसके सबसे ऊँचे प्रेम की बुनियाद था ऐसा शोधन।
उसके पूरे जीवन का ये सबसे अहम अनुभव था।

शुक्रवार, 13 जुलाई 2018

जो परमेश्वर को और उसके कार्य को जानते हैं केवल वे ही परमेश्वर को सन्तुष्ट कर सकते हैं

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन, परमेश्वर को जानना, मसीह के कथन

जो परमेश्वर को और उसके कार्य को जानते हैं केवल वे ही परमेश्वर को सन्तुष्ट कर सकते हैं


देहधारी परमेश्वर के कार्य में दो भाग शामिल हैं। जब सबसे पहली बार उसने देह धारण किया, तो लोगों ने उस पर विश्वास नहीं किया या उसे नहीं पहचाना, और यीशु को सलीब पर चढ़ा दिया। दूसरी बार भी लोगों ने उस पर विश्वास नहीं किया, उसे बहुत कम पहचाना, और एक बार फिर से मसीह को सलीब पर चढ़ा दिया। क्या मनुष्य परमेश्वर का बैरी नहीं हैं? यदि मनुष्य उसे नहीं जानता है, तो वह परमेश्वर का अंतरंग कैसे हो सकता है?

शनिवार, 23 सितंबर 2017

जो परमेश्वर को और उसके कार्य को जानते हैं केवल वे ही परमेश्वर को सन्तुष्ट कर सकते हैं

जो परमेश्वर को और उसके कार्य को जानते हैं केवल वे ही परमेश्वर को सन्तुष्ट कर सकते हैं

देहधारी परमेश्वर के कार्य में दो भाग शामिल हैं। जब सबसे पहली बार उसने देह धारण किया, तो लोगों ने उस पर विश्वास नहीं किया या उसे नहीं पहचाना, और यीशु को सलीब पर चढ़ा दिया। दूसरी बार भी लोगों ने उस पर विश्वास नहीं किया, उसे बहुत कम पहचाना, और एक बार फिर से मसीह को सलीब पर चढ़ा दिया। क्या मनुष्य परमेश्वर का बैरी नहीं हैं? यदि मनुष्य उसे नहीं जानता है, तो वह परमेश्वर का अंतरंग कैसे हो सकता है? और वह कैसे परमेश्वर की गवाही देने के योग्य हो सकता है? परमेश्वर को प्यार करना, परमेश्वर की सेवा करना, महिमा बढ़ाना—क्या ये कपटपूर्ण झूठ नहीं हैं? यदि तुम अपने जीवन को इन अवास्तविक, अव्यवहारिक बातों के प्रति समर्पित करते हो, तो क्या तुम व्यर्थ में श्रम नहीं करते हो? जब तुम परमेश्वर को जानते तक नहीं हो तो तुम परमेश्वर के अंतरंग कैसे हो सकते हो?

मंगलवार, 10 सितंबर 2019

पश्चाताप के बिना युवावस्था का समय बिता दिया

ज़ाओवेन, चॉन्गकिंग
"प्रेम एक शुद्ध भावना है, पवित्र बिना किसी भी दोष के। अपने हृदय का प्रयोग करो, प्रेम के लिए, अनुभूति के लिए और परवाह करने के लिए। प्रेम नियत नहीं करता, शर्तें, बाधाएँ या दूरी। अपने हृदय का प्रयोग करो, प्रेम के लिए, अनुभूति के लिए और परवाह करने के लिए। यदि तुम प्रेम करते हो, तो धोखा नहीं देते, शिकायत नहीं करते ना मुँह फेरते हो, बदले में कुछ पाने की, चाह नहीं रखते हो" (मेमने का अनुसरण करना और नए गीत गाना में "शुद्ध प्रेम बिना दोष के")।

गुरुवार, 10 जनवरी 2019

प्रार्थना की क्रिया के विषय में

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन, सच्ची प्रार्थना, परमेश्वर से प्रेम

प्रार्थना की क्रिया के विषय में

अपने प्रतिदिन के जीवन में तुम प्रार्थना पर बिलकुल ध्यान नहीं देते। लोगों ने प्रार्थना को सदैव नजरअंदाज किया है। प्रार्थनाएँ लापरवाही से की जाती थीं, जिसमें इंसान परमेश्वर के सामने बस खानापूर्ति करता था। किसी ने भी कभी परमेश्वर के समक्ष पूरी रीति से अपने हृदय को समर्पित नहीं किया है और न ही परमेश्वर से सच्चाई से प्रार्थना की है।

मंगलवार, 5 जून 2018

परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर III

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन, बाइबल, यीशु, सुसमाचार, प्रार्थना, सत्य, परमेश्वर
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन-परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर III
इन अनेक सभाओं ने प्रत्येक व्यक्ति पर एक बड़ा प्रभाव डाला है। अब तक तो, लोग वास्तव में परमेश्वर के सच्चे अस्तित्व का एहसास कर पाये होंगे और यह कि परमेश्वर वास्तव में उन के अति निकट है। यद्यपि लोगों ने बहुत सालों से परमेश्वर पर विश्वास किया है, फिर भी उन्होंने उसके विचारों और युक्तियों को सचमुच में कभी भी वैसा नहीं समझा है जैसा वे अब समझते हैं, और ना ही उन्होंने उसके व्यावहारिक कार्यों को सचमुच में वैसा अनुभव किया है जैसा वे अब करते हैं।

बुधवार, 7 जून 2017

परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर III

परमेश्वर को जानना,परमेश्वर की इच्छा,मसीह,मसीह के कथन
सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया,सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन
इन अनेक सभाओं ने प्रत्येक व्यक्ति पर एक बड़ा प्रभाव डाला है। अब तक तो, लोग वास्तव में परमेश्वर के सच्चे अस्तित्व का एहसास कर पाये होंगे और यह कि परमेश्वर वास्तव में उन के अति निकट है। यद्यपि लोगों ने बहुत सालों से परमेश्वर पर विश्वास किया है, फिर भी उन्होंने उसके विचारों और युक्तियों को सचमुच में कभी भी वैसा नहीं समझा है जैसा वे अब समझते हैं, और ना ही उन्होंने उसके व्यावहारिक कार्यों को सचमुच में वैसा अनुभव किया है जैसा वे अब करते हैं।

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