परमेश्वर के वचन का भजन
है मसीह अंतिम दिनों के नित्य जीवन लेके आये
I
परमेश्वर ख़ुद जीवन और सच्चाई है, उनका जीवन और सच एक-दूजे
से अलग नहीं। जिसने उनका सच ना पाया, जीवन ना पाया। बिन उनकी रहनुमाई के, बिन उनकी
सच्चाई के, बस ख़त है, मत है और मानव के पास उसकी मौत है। प्रभु का जीवन और सच्चाई गुंथे
हुए हैं, मौजूद सदा। नहीं मिलेगा जीवन-पोषण, गर सच का आधार तुम्हें मालूम नहीं। अंत
समय के वो मसीह जीवन लाये, जो सदा रहे वो सच लाये। जीवन पाना गर इंसां को, जीवन पाना
गर इंसां को, सच के पथ पर चलना होगा। इसी राह पर प्रभु मिलेंगे और मिले अनुमोदन उनका।
गर भूल गये जीवन-पथ को, जो अंत समय लाये मसीह तो समझो तुमने त्याग दिया, यीशु का वो
अनुमोदन भी और दूर कर लिया तुमने ख़ुद को जन्नत से। बन बैठे तारीख़ों के कैदी और कठपुलती
तुम।
गर नहीं पाओगे तुम जीवन-विधान, तो नहीं ग्रहण कर पाओगे
सच्चाई को। तुम तो हो केवल विगलित तन, ना भाव कोई, ना कोई ख़्याल। अंत समय के वो मसीह
जीवन लाये, जो सदा रहे वो सच लाये। जीवन पाना गर इंसां को, जीवन पाना गर इंसां को,
सच के पथ पर चलना होगा। इसी राह पर प्रभु मिलेंगे और मिले अनुमोदन उनका।
II
किताबों के अल्फ़ाज़ कोई जीवन नहीं, तारीख़ों में कैद सच्चाई
नहीं पुराने रास्तों की दास्तां भी वो नहीं जो आज कहते हैं प्रभु। धरती पर इंसानों
में रहकर प्रभु करते हैं जो इज़हार, वो ही सच्चाई है। करते हैं इज़हार वो मरज़ी प्रभु
की और उनके काम का अंदाज़।
तारीख़ों की बेडियों में जो बंधे हैं, जो घिरे सिद्धांतों
से, नियमों में कैद हैं जो, पा नहीं सकते वो जीवन या कि उस पथ को जहां है नित्य जीवन।
बस हज़ारों साल का इतिहास उनके पास है, सिद्धांत हैं, ठहरे हुए पानी की तरह, ये प्रभु
के तख़्त से आया हुआ पानी नहीं है ज़िंदगी का। जो न पियेंगे ये पानी, होंगे ज़िंदा लाश
वो ताउम्र, और रहेंगे नर्क में, शैतान की करते ग़ुलामी। अंत समय के वो मसीह जीवन लाये,
जो सदा रहे वो सच लाये। जीवन पाना गर इंसां को, जीवन पाना गर इंसां को, सच के पथ पर
चलना होगा। इसी राह पर प्रभु मिलेंगे और मिले अनुमोदन उनका। है मसीह अंतिम दिनों के
नित्य जीवन लेके आये।
"वचन देह में प्रकट होता है" से
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