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सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की मूलभूत मान्यताएँ

(1)  सर्वशक्तिमान परमेश्वर की  कलीसिया  के सिद्धांत ईसाई धर्म के सिद्धांत बाइबल से उत्पन्न होते हैं, और  सर्वशक्तिमान परमेश्वर  की क...

सोमवार, 13 अप्रैल 2020

मैंने सीसीपी सरकार के झूठ को समझ लिया और परमेश्‍वर के प्रेम ने मुझे वापस अपनी ओर खींच लिया

केमू, दक्षिण कोरिया
"मैं तुमसे एक बार फिर कहता हूँ—परमेश्‍वर के बारे में वह बकवास बन्‍द करो, तुम्‍हें परमेश्‍वर के उन विश्‍वासियों के साथ रिश्‍ता रखने की इजाज़त नहीं है। अगर मैंने पाया कि तुम उनके सम्‍पर्क में हो, तो मैं तुम्‍हारे फ़ोन के टुकड़े-टुकड़े कर दूँगा!"
"क्‍यों? आप मेरी आस्‍था के आड़े क्‍यों आ रहे हैं?" मेरी बीवी ने पूछा, उसके चेहरे पर हैरानी का भाव था।


"क्‍यों? इसलिए कि इसमें तुम्‍हारी भलाई है और हमारे परिवार की भलाई है। क्‍या तुम्‍हें मालूम नहीं है कि सीसीपी सरकार सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया से सख्‍़ती से पेश आ रही है और उसको कुचल रही है? क्‍या तुम्‍हें 28 मई 2014 के झाओयुआन मामले की जानकारी नहीं है? ऑनलाइन बताया गया है कि इस मामले का मुख्‍य अपराधी झाँग लिडाँग सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया का एक सदस्‍य था। अगर तुम उन लोगों से मिलना-जुलना जारी रखती हो, तो समझ लो कि तुम खुद को बहुत बड़े ख़तरे में डाल रही हो!"

उसने दृढ़तापूर्वक जवाब दिया, "झाँग लिडाँग और वे दूसरे लोग सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया के साथ नहीं थे—वे लोग ऑनलाइन जो बातें कह रहे हैं आप उन पर यूँ ही विश्‍वास नहीं कर सकते। मैं दो-तीन महीनों से सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया के भाइयों और बहनों के सम्‍पर्क में हूँ और मैंने देखा है कि वे सभी ईमानदार लोग हैं जो दूसरों के प्रति दयालु और नेक हैं। जब कभी किसी को कोई समस्‍या होती है, तो वे एक-दूसरे की मदद करते हैं, और वैसा क़तई कुछ नहीं है जो वे लोग ऑनलाइन कहते हैं।"

मैं चिढ़ा हुआ था और उसकी बात पर मुझे यक़ीन नहीं हुआ। "ऑनलाइन जाकर खुद अपनी आँखों से देखो, तब तुम्‍हें मालूम होगा कि मैं सही हूँ या नहीं।"
इस पर मेरी बीवी मुझे एक कुर्सी पर लिवा गयी और बोली, "आप सोच-विचार कर क़दम उठाने वाले व्‍यक्ति हैं। आपको इसके बारे में समझदारी के साथ विचार करना होगा और तथ्‍यों के मुताबिक़ बात करनी होगी—आप कि़स्‍से के महज़ एक पहलू को सुनकर निर्णय नहीं ले सकते! चीन में मीडिया का हर बड़ा केन्‍द्र सीसीपी सरकार का एक प्रवक्‍ता मात्र है; वे लोगों को ठगने के लिए सरकार के औज़ार मात्र हैं। क्‍या उनके रिपोर्टरों की कोई विश्‍वसनीयता है? क्‍या आपको 1989 के तिएनमेन स्‍क्‍वेयर के विरोध-प्रदर्शनों की याद नहीं है? तिएनमेन स्‍क्‍वेयर में छात्र भ्रष्‍टाचार के खि़लाफ़ विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे और लोकतान्त्रिक आज़ादियों की वकालत कर रहे थे, लेकिन सीसीपी सरकार ने कुछ अज्ञात लोगों को जुटाया और उनको छात्रों के भेष में असली छात्रों के बीच घुसा दिया, जिसके बाद उनसे सेना के वाहनों में तोड़फोड़, लूटपाट, आगजनी आदि करायी गयी। उन लोगों ने भारी अराजकता पैदा की, और उसके बाद सीसीपी सरकार ने उन लोगों द्वारा किये गये अपराधों को छात्रों के मत्‍थे मढ़ दिया। फिर सीसीपी सरकार ने टीवी और रेडियो जैसे संचार माध्‍यमों का इस्‍तेमाल कर उनकी रिपोर्टों से एयरवेव्‍स को भर दिया, और छात्र-आन्‍दोलन को प्रतिक्रान्तिकारी दंगा कहकर बदनाम किया, और इसके बाद उनके खि़लाफ़ कठोर कार्रवाई की शुरुआत की, जिसके नतीजे में कम-से-कम कुछ हज़ार छात्र गोलियों से उड़ा दिये गये थे या टेंकों से कुचल दिये गये थे। सीसीपी सरकार के इतिहास की जानकारी रखने वाला कोई भी व्‍यक्ति जानता है कि वह धार्मिकता के खि़लाफ़ हमेशा आक्रामकता से पेश आती रही है, और वह ऐसे किन्‍हीं समूहों या व्‍यक्तियों के वजूद को तो बर्दाश्‍त ही नहीं कर सकती जो उससे भिन्‍न राजनैतिक दृष्टिकोण या विचार रखते हैं। सीसीपी सरकार अपनी तानाशाही को कामयाब बनाने की ख़ातिर हमेशा इन समूहों या लोगों पर हमले करती रही है, और उनको कुचलने या पूरी तरह प्रतिबन्धित करने की हद तक जा चुकी है। जब भी कभी सीसीपी सरकार ने किसी धार्मिक आस्‍था को, लोकतान्त्रिक अधिकारों के किसी आन्‍दोलन को, या किसी प्रजातीय अल्‍पसंख्‍यक विरोध को हिंसक तरीक़े से कुचला है, इसकी शुरुआत वह हमेशा झूठे मामले गढ़ने से करती रही है, और फिर वह लोगों को भड़काने के लिए भारी सार्वजनिक हो-हल्‍ला खड़ा करती है, और फिर उनको हिंसक तरीक़े से कुचल देती है। यह एक तथ्‍य है। 28 मई का झाओयुआन प्रकरण सीसीपी सरकार द्वारा सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया पर झूठे आरोप मढ़ने का ही प्रकरण था—उसने सावधानीपूर्वक एक और झूठा प्रकरण गढ़ा था।"
मैं उसकी बात का ज़रा भी खण्‍डन नहीं कर सका, और मैंने मन-ही-मन सोचा, "यह तिएनमेन स्‍क्‍वेयर के विरोध-प्रदर्शन के शिकार हुए लोगों के परिवार के कुछ सदस्‍यों से परिचित रही है और अन्‍दरूनी कि़स्‍से से वाकिफ़ है। उसकी एक-एक बात सही है। लेकिन, अगर उस झाओयुआन घटना का सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया से कुछ भी लेना-देना न भी रहा हो, तब भी मैं उनके सदस्‍यों के सम्‍पर्क में कभी नहीं रहा और मुझे नहीं मालूम कि वह किस तरह की कलीसिया है। हम आज एक बहुत मुश्किलों से भरी दुनिया में रहते हैं—अगर वह ठग ली गयी तो क्‍या होगा?" इसलिए मैंने उससे फिर से कहा कि उसको सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया के किसी भी व्‍यक्ति के साथ सम्‍पर्क रखने की इजाज़त नहीं है। मैंने बाहर निकलते हुए ज़ोर से दरवाज़ा बन्‍द कर दिया, और उसे डबडबायी आखों के साथ अकेला छोड़ कर चला गया।
वह बहुत अँधेरी रात थी जिसमें न तो चाँदनी थी न तारे। मैं सड़क पर चला रहा था और बहुत ही बुरा महसूस कर रहा था। मैंने अपने वैवाहिक जीवन के दस वर्षों के बारे में सोचा—हमारी पहली मुलाक़ात से लेकर, प्रेम होने और फिर शादी होने के बाद हमने बहुत सारी मुश्किलों का सामना किया था, लेकिन हमारे सामने कोई भी मुश्किल क्‍यों न रही हो हम हमेशा उस पर इत्‍मीनान से चर्चा करते थे और एक-दूसरे को सहारा देते थे। हमारे बीच कभी बहुत बड़े झगड़े नहीं हुए थे। लेकिन मैंने महज़ उसकी आस्‍था की वजह से उसको डाँट दिया—मुझे लगा कि मुझे उसके साथ इस तरह का व्‍यवहार नहीं करना चाहिए था। लेकिन फिर, ऑनलाइन यह भी तो कहा गया है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया ठीक नहीं है, इसलिए उसको उसकी आस्‍था का अभ्‍यास करने की इजाज़त न देकर मैं उसका भला ही तो कर रहा था। वह मेरी भावना क्‍यों नहीं समझ पाती? तभी मुझे ज़बरदस्‍त थकान और बेचैनी महसूस हुई। मैंने अपना फ़ोन निकाला और हमारे सुखी परिवार का एक अद्भुत फ़ोटो मेरी आँखों के सामने चमक उठा—हमारी बेटी की खूबसूरत मुस्‍कराहट ने पल भर के लिए मेरी थकान दूर कर दी। मैंने सोचा कि मैं अपने परिवार की रीढ़ हूँ और अपनी बीवी को उसकी आस्‍था का अभ्‍यास करने से रोकने का उद्देश्‍य खुद उसकी रक्षा करना और अपने परिवार की भलाई करना ही तो है, इसलिए मैंने अपने फ़ैसले पर क़ायम रहने का निश्‍चय कर लिया।
बाद के दिनों में, चूँकि मुझे अपने प्रति अपनी बीवी के जज्‍़बातों को ठेस पहुँचाने से डर लगता था और इस तरह मैं कोई बड़ी तकरार शुरू करने की हिम्‍मत नहीं करता था, इसलिए मैंने उससे कह दिया कि वह मुझसे परमेश्‍वर से सम्‍बन्धित कोई बात न करे। भले ही ऊपरी तौर पर हमारे बीच सब कुछ ठीक-ठाक चलता लगता था, लेकिन हमारे बीच एक दरार पैदा होती जा रही थी।
एक दिन, जिस वक्‍़त मैं अपने काम की सुबह की पारी निपटाकर दरवाज़े के अन्‍दर जा रहा था, मुझे सोने के कमरे से तैरकर आते ख़ुशनुमा संगीत के साथ-साथ अपनी बीवी और बेटी की ज़ोरदार खिलखिलाहट सुनायी दी। मैंने जिज्ञासा से भर कर सोचा, "ये क्‍या? ऐसी उमंग से भरी आवाज़ तो घर में मैंने अरसे से नहीं सुनी। जबसे मेरी बीवी दक्षिण कोरिया से आयी थी, तबसे वह अलग जीवन-शैली, भाषा और संस्‍कृति की वजह से कभी भी यहाँ के वातावरण की अभ्‍यस्‍त नहीं हो पायी थी। ख़ासतौर से इसलिए कि वह वहाँ अपनी बुज़ुर्ग माँ और उस रोज़गार को छोड़कर आयी थी जिसे वह बहुत पसन्‍द करती थी, और यहाँ उसके कोई रिश्‍तेदार या दोस्‍त नहीं हैं—वह अक्‍सर अकेली बैठी-बैठी रोती रहती है। मैंने उसको दुखी और परेशान देखा है लेकिन कभी समझ नहीं सका कि उसको कैसे तसल्‍ली दी जाए, तब फिर यह किस तरह का गीत है जो उसे इस वक्‍़त इतनी ख़ुशी दे रहा है?" मैंने बहुत धीरे-से दरवाज़ा खोला और देखा कि कम्‍प्‍यूटर स्‍क्रीन पर सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया द्वारा तैयार किया गया नाच और गाने का एक वीडियो "परमेश्वर का सच्चा प्रेम" चल रहा था। छह युवतियाँ उल्‍लास से भरकर नाच रही थीं और उसी भाव में डूबी गा रही थीं, लेकिन ख़ासतौर से उनके चेहरे ऐसी उल्‍लसित मुस्‍कराहटों से खिले हुए थे कि उनने तुरन्‍त मेरा मन मोह लिया। मैं उत्‍सुकता से भरा सोच रहा था, "ये किस तरह की कलीसिया है, और किस तरह का ये समूह है? इनके गीत और नृत्‍य इतने मर्मस्‍पर्शी और शान्तिप्रद क्‍यों हैं? अगर ये लोग सचमुच बुरे हैं, तो फिर उनके चे‍हरों पर ऐसी कोमल, निश्‍छल मुस्‍कानें कैसे हो सकती हैं?"
मुझे देख मेरी बेटी ने ख़ुश होते हुए कहा, "डैड, बहुत अच्‍छा गीत है न? मॉम को और मुझे यह बहुत पसन्‍द आया। आइये, हमारे साथ गाइये और नाचिये!" मैंने उसे गले लगाया और उसके छोटे-से चेहरे को चूमा, और फिर उदारतापूर्वक कहा, "स्‍वीटहार्ट, मुझे ओजपूर्ण, सशक्‍त गीत और नृत्‍य अच्‍छे लगते हैं।" उसने अपना सिर घुमाया और पल भर सोचा। "डैड, आपको टेप डांसिंग पसन्‍द है, है न? मॉम, इनके लिए वह वीडियो लगाइये जिसमें वह ज़ोरदार नाच दिखाया गया है।" मैं उसको रोक नहीं सका और सोचा कि मैं उसे थोड़ा-सा तो देखूँगा ही, भले ही वह सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया का ही क्‍यों न हो—इन दिनों हमारे घर में इस तरह का सद्भावपूर्ण माहौल दुर्लभ था। अपनी बेटी को गोद में लिये मैं अपनी बीवी की बग़ल में बैठ गया और देखने लगा। नृत्‍य और गीत का आनन्‍ददायी लय से युक्‍त वह "पूरब की ओर लाया है परमेश्वर अपनी महिमा" वीडियो सशक्‍त और ओजपूर्ण था। वे टेपडांसिंग शैली में ज़बरदस्‍त जोश के साथ नाच रही थीं; मुझे नाच-गाना हमेशा से पसन्‍द रहा है इसलिए मैं वाक़ई आकर्षित हो गया। मुझे इस क़दर डूबा हुआ देख मेरी बीवी ने उत्‍साहपूर्वक कहा, "ये सारे गीत और नृत्‍य सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया के भाईयों और बहनों द्वारा आयोजित और रिकॉर्ड किये गये हैं। इनमें से कोई पेशेवर नहीं है।" मैं इस पर गम्‍भीरतापूर्वक विचार किये बिना नहीं रह सका। "किसी व्‍यावसायिक प्रशिक्षण के बिना लोग इतने कमाल तरीक़े से कैसे नाच सकते हैं?" मैंने सोचा। उसने मुस्‍कराते हुए कहा, "यह अद्भुत है, है न! क्‍या स्‍वयं परमेश्‍वर के कार्य और मार्गदर्शन के बिना ग़ैर-पेशेवर लोग इस तरह नाच पाते? उन लोगों ने जो फि़ल्‍में बनायी हैं उनको अगर आपने देखा होता तो आपको और भी आश्‍चर्य होता। सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया में पवित्र आत्‍मा का कार्य मौजूद है—उसे परमेश्‍वर का आशीर्वाद मिला हुआ है। इसीलिए उनके गीत, नृत्‍य और फि़ल्‍में इतनी अच्‍छी हैं, और इसके अलावा, उनमें बताये गये सारे सत्‍य लोगों के लिए बहुत हितकारी हैं। वे सारे ऑनलाइन कुप्रचार सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया के बारे में सीसीपी सरकार द्वारा प्रचारित छूठ मात्र हैं। उनमें ज़रा भी सच्‍चाई नहीं है। सीसीपी सरकार इन झूठों का प्रचार इसलिए करती है ताकि सर्वशक्तिमान परेमश्‍वर की कलीसिया के प्रति हर कोई विद्वेष रखने लगे और परमेश्‍वर के अन्‍त के दिनों के कार्य की जाँच-पड़ताल का साहस न करे, और इस तरह परमेश्‍वर के उद्धार से वंचित रह जाए।"
उसकी बातें सुनकर और उसके चेहरे पर उत्‍साह की चमक देखकर, मैं और भी उत्‍सुक हो उठा। मैंने सोचा कि चूँकि वह सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर में विश्‍वास करने लगी है, इसलिए अपने घर से दूर रहने और अपनी माँ की याद की वजह से उसे जो अवसाद घेरे रहता था उससे वह उबर गयी है। मैंने यह भी देखा कि हमारी बेटी के साथ वह और भी धीरज बरतने लगी है और अब पहले की तरह झुँझलाती नहीं है; वह मेरा ख़याल भी बहुत अच्‍छी तरह से रखने लगी थी। क्‍या यह वाक़ई मुमकिन है कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर ने मेरी बीवी में बदलाव ला दिया है? क्‍या सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया सचमुच उतनी ही महान है जितना वह कहती है? इन सारी बातों पर विचार करते हुए मैंने अपने हृदय में बहुत बेचैनी और असमंजस का अनुभव किया—मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे उसको उसकी आस्‍था का अभ्‍यास जारी रखने देना चाहिए या नहीं। कुछ देर की अन्‍दरूनी जिद्दोजहद के बाद, मैंने खुद ही सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया में जाकर जाँचने का निश्‍चय किया। अगर वह वैसी नहीं हुई जैसा उसके बारे में ऑनलाइन कहा गया है, तो फिर मैं उसके आड़े नहीं आऊँगा।
सप्‍ताह के अन्‍त में जब मैं अपने काम से मुक्‍त था, मैंने अपनी बीवी के पास जाकर कहा कि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया पर एक नज़र डालना चाहता हूँ। यह सुनकर उसे आश्‍चर्य भी हुआ और ख़ुशी भी हुई। हम जैसे ही वहाँ पहुँचे, वहाँ के भाइयों और बहनों ने गर्मजोशी के साथ हमारा स्‍वागत किया, और मुझे उनके हावभाव, क्रियाकलाप, और दूसरों के साथ बरताव करने के उनके तौर-तरीक़ों से महसूस हुआ कि वे सज्‍जन और ईमानदार लोग थे। मेरी घबराहट और सतर्कता धीरे-धीरे कम होती गयी। इसके बाद एक बहन ने उत्‍साहित लहजे में सबसे कहा, "भाइयों और बहनों, संगीत-रचना एंजेलिना की कहानी ने एक अन्‍तरराष्‍ट्रीय पुरस्‍कार जीता है!" मैंने उत्‍सुकतावश पूछा, "क्‍या मैं उसे देख सकता हूँ?" उन सबने एकसाथ सहमति ज़ाहिर की और उस संगीत-रचना को दिखाना शुरू कर दिया। झियाओज़ेन के मानसिक उतार-चढ़ावों ने मेरे दिल को छू लिया और मैंने सोचा कि मैं खुद ही एक झियाओज़ेन हूँ। मैं जवानी के दिनों में एक पारिवारिक दुर्भाग्‍य की वजह से समाज में निरुद्देश्‍य भटकता रहता था, महज़ जि़न्‍दा और उदासीन बने रहने की ख़ातिर तमाम तरह की दादागिरी और अपमान भोगता रहता था। और आज मैं अपनी आजीविका कमाने के लिए उद्यम और कड़ी मेहनत कर रहा हूँ और तमाम तरह की मीठे और कड़वे अनुभवों से गुज़र चुका हूँ। मैं सालों से जीवन के उतार-चढ़ावों से गुज़रते हुए बहुत कुछ भोग चुका हूँ, और मैंने थकान और उदासी महसूस की है, लेकिन मैं हमेशा अपनी बीवी और दोस्‍तों के सामने मज़बूत बना रहा हूँ। मेरे दिल की पीड़ा को कौन समझ सकता था? उस संगीत-रचना के अन्तिम हिस्‍से में यह गीत गाया गया था: "वे जो बुरी तरह से दुख में हैं सर्वशक्तिमान उन पर करुणा दिखाता है। साथ ही, वह उन लोगों से ऊब चुका है जो होश में नहीं है, क्योंकि उसे उनसे प्रत्युत्तर पाने में लंबा इंतजार करना पड़ा है। वह खोजने की इच्छा करता है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारी आत्मा को खोजना चाहता है। वह तुम्हें भोजन-पानी देना चाहता है, जगाना चाहता है, ताकि तुम फिर और भूखे और प्यासे न रहो। जब तुम थके हो और इस संसार में खुद को तन्हा महसूस करने लगो तो, व्याकुल मत होना, रोना मत। सर्वशक्तिमान परमेश्वर, रखवाला, किसी भी समय तुम्हारे आगमन को गले लगा लेगा" ("मेमने का अनुसरण करना और नए गीत गाना" में "परमेश्वर तुम्हारे हृदय और रूह को खोज रहा")। इस गीत की एक-एक पंक्ति ने मेरी मेरी अचेत, पीडि़‍त आत्‍मा को सुखद अनुभूतियों से भर दिया, उसके हर स्‍वर को सुनकर लगता था जैसे कोई माँ अपने बहुत दिनों पहले खोये हुए बच्‍चे के मिलने पर उसके लिए हाथ फैला रही हो। वह प्रेम की पुकार थी जिसे मैं महसूस कर रहा था—मैं बहुत द्रवित था। उस संगीत-रचना के समाप्‍त होने पर बरबस ही मेरे चेहरे पर आँसू बहने लगे। यह पहली बार था जब मैं इतने सारे लोगों के सामने रोया था और मुझे कुछ शर्मिन्‍दगी-सी महसूस हो रही थी, इसलिए मैंने आँसू पोंछने के लिए फुर्ती से और चुपचाप अपना मुँह फेर लिया। मैंने पूरी संजीदगी के साथ विस्‍मय ज़ाहिर किया, "यह अद्भुत संगीत-रचना है!" इसके बाद मैंने एंजेलिना की कहानी की सराहना में खुलकर तालियाँ बजायीं।
मेरी बीवी ने मेरी ओर देखा और खुश होकर तथा गहरी भावना से भरकर बोली, "एंजेलिना की कहानी से आपका हृदय इसलिए उमड़ पड़ा क्‍योंकि परमेश्‍वर ने आपको द्रवित कर दिया है! मैं जानती हूँ कि 28 मई के झाओयुआन मामले ने आप पर असर डाला था और आपके मन में सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के अन्‍त के दिनों के कार्य को लेकर बहुत-सी ग़लतफ़हमियाँ थीं। मैं यह भी जानती हूँ कि आप मेरी सुरक्षा और हमारी बेटी की सुरक्षा को लेकर चिन्तित हैं, इसलिए आज हम नज़र डालते हैं और देखते हैं कि उस मामले में वास्‍तव में क्‍या हुआ था।"
उसके बाद कलीसिया के भाइयों और बहनों ने मेरे लिए एक वीडियो 28 मई के झाओयुआन मामले के पीछे का सत्य उजागर हुआ दिखाया। इसने इस मामले के कई सन्‍दहास्‍पद पहलुओं को उजागर किया था और फिर उनकी परत-दर-परत चीरफाड़ की थी। मैं उसमें वाक़ई खो गया और सच्‍चाई जानने के लिए मैंने वीडियो देखते हुए मामले का स्‍वयं भी विश्‍लेषण किया। जैसे-जैसे वीडियो चलता गया वैसे-वैसे मेरे माथे के बल धीरे-धीरे ढीले पड़ते गये, और जैसे-जैसे मैंने परत-दर-परत झूठों को उजागर होते देखा, मैंने एक लम्‍बी साँस छोड़ी। मैं समझ गया कि 28 मई का झाओयुआन मामला धार्मिक विश्‍वास का दम घोटने और सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया को जड़ से उखाड़ने की ख़ातिर अकेले सीसीपी सरकार द्वारा गढ़ा गया था। इस मामले के अपराधियों, झाँग, लिडाँग, झाँग फेन और अन्‍य लोगों ने स्‍वयं अपनी ज़ुबान से इन्‍कार किया था कि वे सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया के सदस्‍य हैं, और उन्‍होंने कहा था कि वे इस कलीसिया से पूरी तरह से असम्‍बद्ध हैं। लेकिन सीसीपी सरकार ने सन्दिग्‍धों की गवाहियों की पूरी तरह से अवहेलना कर दी थी और खुल्‍लमखुल्‍ला तथ्‍यों के खि़लाफ़ जाकर इस बात पर ज़ोर दिया था कि वह अपराध सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया के लोगों द्वारा ही किया गया था। इससे भी ज्‍़यादा विचित्र बात यह थी कि अदालती मुकदमे या फ़ैसले के बिना ही सीसीपी सरकार सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया पर मामला थोपने के लिए टीवी और इण्‍टरनेट मीडिया के माध्‍यम से सार्वजनिक और निर्णायक ढंग से अन्‍धाधुन्‍ध तेज़ी से सक्रिय हो गयी, जिसका उद्देश्‍य कलीसिया को कुचलने और उसको ख़त्‍म करने के लिए सार्वजनिक हो-हल्‍ला खड़ा करना था। सीसीपी सरकार ने कलीसिया को फँसाया और ऐसा झूठा मामला तैयार किया जिससे कि वह उन्‍मत्‍त ढंग से कलीसिया के इसाइयों को बे-रोक-टोक कुचल सकती और गिरफ़्तार कर सकती। यह ठीक वैसा ही था जैसा उन्‍होंने तब किया था जब 1989 में 4 जून के छात्र-आन्‍दोलन को कुचला था—पहले उन्‍होंने अफ़वाहें गढ़कर छात्रों के देशभक्तिपूर्ण आन्‍दोलन को प्रतिक्रान्तिकारी दंगे की शक्‍ल दी थी और फिर लोगों की गिरफ़्तारियाँ और हत्‍याएँ शुरू कर दी थीं। इन तथ्‍यों के आधार पर मैंने अन्‍तत: साफ़तौर पर इस बात को समझ लिया कि असहमति रखने वालों को नेस्‍तनाबूत करने की सीसीपी सरकार की यह रणनीति रही है कि वह पहले अफ़वाहें गढ़ती है और तथ्‍यों को तोड़ती-मरोड़ती है, फिर उनको फँसाती है, और फिर उनको हिंसक ढंग से कुचलती है। सत्‍य को उसके सिर के बल खड़ा कर, वास्‍तविकता को तोड़-मरोड़ कर और सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया को फँसा कर सीसीपी सरकार इसमें सफल होती है कि जो लोग सत्‍य को नहीं जानते वे झूठों के बहकावे में आ जाएँ और कलीसिया के बारे ग़लत धारण बना लें—सीसीपी सरकार इस क़दर घिनौनी है! लेकिन जो चीज़ अभी भी मुझे समझ में नहीं आयी थी वह यह थी कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया के भाई और बहनें ईमानदार लोग हैं जो उस तरह के बिल्‍कुल भी नहीं हैं जिस तरह का उन्‍हें ऑनलाइन बताया जाता है, तब फिर सीसीपी सरकार ने कलीसिया को इतने उन्‍मत्‍त ढंग से उत्‍पीडि़त क्‍यों किया होगा और सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया के मत्‍थे हत्‍या का वह आरोप मढ़ने में और उसके सदस्‍यों को गिरफ़्तार करने में अपना वक़्त और ऊर्जा क्‍यों बरबाद किये होंगे? वास्‍तविक स्थिति क्‍या थी?
मैंने अपनी उलझन के बारे में बात की और एक बहन ने जवाब देते हुए कहा, "सबसे पहले हम परमेश्‍वर के वचनों के दो अंश पढ़ते हैं। 'शैतान जन सामान्य को धोखा देने के जरिए प्रसिद्धि प्राप्त करता है। वह अक्सर स्वयं को धार्मिकता के प्रमुख और आदर्श पुरुष के रूप में स्थापित करता है। धार्मिकता के बचाव के झण्डे तले, वह मनुष्य को हानि पहुंचाता है, उनके प्राणों को निगल जाता है, और मनुष्य को स्तब्ध करने, धोखा देने और भड़काने के लिए हर प्रकार के साधनों का उपयोग करता है। उसका लक्ष्य है कि मनुष्य उसके बुरे आचरण को स्वीकार करे और उसका अनुसरण करे, और मनुष्य परमेश्वर के अधिकार और सर्वोच्च सत्ता का विरोध करने में उसके साथ जुड़ जाए। फ़िर भी, जब कोई उसकी चालों, षड्यंत्रों और बुरी युक्तियों को समझ जाता है और नहीं चाहता कि शैतान द्वारा उसे लगातार कुचला जाए और मूर्ख बनाया जाए या वो निरन्तर उसकी गुलामी करे, या उसके साथ दण्डित एवं नष्ट हो जाए, तो शैतान अपने असली दुष्ट, दुराचारी, भद्दे और वहशी चेहरे को प्रकट करने के लिए अपने पहले के संत रुपी चेहरे को बदल देता है और अपने झूठे नकाब को फाड़कर फेंक देता है। उसे उन सभी का विनाश करने में कहीं ज़्यादा खुशी मिलेगी जो उसका अनुसरण करने से इंकार करते हैं और उसकी बुरी शक्तियों का विरोध करते हैं' ("वचन देह में प्रकट होता है" में "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II")। 'शैतान के भड़का हुआ और क्रोधित होने का कारण यह है: उसकी अकथनीय युक्तियों का खुलासा कर दिया गया है; उसके षडयन्त्र आसानी से दूर नहीं होते हैं; परमेश्वर का स्थान लेने और परमेश्वर के समान कार्य करने की उसकी वहशी महत्वाकांक्षा और लालसा पर प्रहार किया गया है और उसे रोका गया है; समूची मानवजाति को नियन्त्रित करने का उसका उद्देश्य निष्फल हो गया है और उसे कभी हासिल नहीं किया जा सकता है' ("वचन देह में प्रकट होता है" में "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है II")।"
परमेश्‍वर के वचन पढ़ने के बाद उसने संगत देते हुए कहा, "परमेश्‍वर के वचन इसकी मलभूत वजह को उजागर करते हैं कि शैतान परमेश्‍वर का विरोध क्‍यों करता है और मानव-जाति को नुकसान क्‍यों पहुँचाता है। अब अगर हम सीसीपी सरकार के परमेश्‍वर-विरोधी कृत्‍यों और उसके द्वारा ईसाइयों के उत्‍पीड़न के सन्‍दर्भ में परमेश्‍वर के इन वचनों का इस्‍तेमाल करें, तो हम साफ़ तौर पर देख सकते हैं कि वह दुरात्‍मा शैतान का अवतार है, और यह शैतानी हुकूमत है जो सबसे ज्‍़यादा सत्‍य से नफ़रत करती है और परमेश्‍वर का प्रतिरोध करती है। वह लोगों को परमेश्‍वर में विश्‍वास करने या सच्‍चे रास्‍ते पर चलने की क़तई इजाज़त नहीं देगी क्‍योंकि वह चीन को नास्तिकता के क्षेत्र के रूप में स्‍थापित करना चाहती है—वह तमाम धार्मिक विश्‍वासों को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहती है। यह बात विशेष रूप से अन्‍त के दिनों के सन्‍दर्भ में सही है—देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर प्रकट हो चुका है और चीन में मानव-जाति को प्रकाश देने का अपना कार्य आरम्‍भ कर चुका है। परमेश्‍वर में सच्‍चा विश्‍वास रखने वाले और सत्‍य से प्रेम करने वाले तमाम धर्मों और पन्‍थों के लोग सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के वचनों को पढ़ने के बाद निश्चित तौर पर समझ चुके हैं कि ये वचन सत्‍य हैं, और, वे एक-एक कर उसके अन्‍त के दिनों के कार्य को स्‍वीकार कर रहे हैं। बहुत-से लोगों ने परमेश्‍वर के वचनों को पढ़कर सत्‍य को समझ लिया है और शुभ तथा अशुभ के बीच भेद करना सीख लिया है। इस तरह उन्‍होंने सीसीपी सरकार के दुराचारी सार को साफ़तौर पर देख लिया है और वे उसका तिरस्‍कार करने के इच्‍छुक हैं, और उन्‍होंने सत्‍य की खोज की और जीवन का सही मार्ग अपनाने की शुरुआत कर दी है। लोगों को उत्‍तरोत्‍तर परमेश्‍वर में आस्‍था हासिल करते और उसका अनुसरण करते देखकर उसकी आँखें क्रोध से जलती हैं। वह व्‍यर्थ उम्‍मीद लगाये हुए है कि वह लोगों को वापस अपने खेमे में घसीट ले जाएगी ताकि वे उसकी ग़ुलामी जारी रखें और पददलित बने रहें। इस उद्देश्‍य को पूरा करने के लिए सीसीपी सरकार सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया को, न सिर्फ़ तमाम तरह के झूठ गढ़कर, उसको फँसा कर और कलंकित करके, बल्कि तमाम तरह की घृणित युक्तियों का प्रयोग करके, ताबड़तोड़ ढंग से उत्‍पीडि़त करती है। उन्‍होंने परमेश्‍वर के सुसमाचार सम्‍बन्‍धी कार्य के प्रसार को रोकने तथा सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया को पूरी तरह नेस्‍तनाबूत करने की दिग्‍भ्रमित कोशिश के तहत राष्‍ट्रीय पैमाने पर सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया के ईसाइयों को ताबड़तोड़ ढंग से गिरफ़्तार और उत्‍पीडि़त करने के इरादे से बड़ी तादाद में सशस्‍त्र पुलिस और सेना को सक्रिय करने के लिए कई बार गोपनीय दस्‍तावेज़ जारी किये हैं। ख़ासतौर से पिछले कुछ वर्षों के दौरान सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया द्वारा बनायी गयी तमाम तरह की सुसमाचार सम्‍बन्‍धी फि़ल्‍में और वीडियो एक-एक कर इण्‍टरनेट पर अपलोड की गयी हैं और परमेश्‍वर के राज्‍य का सुसमाचार समूचे भूमण्‍डल में जगल की आग की तरह फैल गया है। सीसीपी सरकार को अपने अपराध का बोध है जोकि जानती है कि सत्‍ता में आने के बाद से उसने असंख्‍य हत्‍याएँ की हैं और तमाम तरह के दुराचार किये हैं; वह ईसाइयों के उत्‍पीड़न के लिए गम्‍भीर रूप से जि़म्‍मेदार है। उसको भय है कि सारी दुनिया के लोग परमेश्‍वर के कार्य को अपना लेंगे, सत्‍य को समझ लेंगे, उसके दुराचारी चेहरे को साफ़तौर पर पहचान लेंगे और फिर उसका तिरस्‍कार कर देंगे, जिससे इस दुनिया में उसके पास पैर रखने की जगह भी नहीं बचेगी। इसके बाद सारी मनुष्‍यता को नियन्त्रित करने तथा एक देवता बनने की उसकी वहशी महत्‍वाकांक्षा चूर-चूर हो जाएगी। इसीलिए सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया के सीसीपी सरकार द्वारा किये जा रहे उत्‍पीड़न में तेज़ी आयी है। इसने कलीसिया को फाँसने के लिए सावधानीपूर्वक 28 मई के झाओयुआन मामले का षडयन्‍त्र रचा था, जिसका उद्देश्‍य उन लोगों को उत्‍तेजित और भ्रमित करना था जो परमेश्‍वर और सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया से नफ़रत करने की वजह से सत्‍य को नहीं जानते, और उसी की तरह दुराचार में लगे हैं। इससे हम यह समझ सकते हैं कि सीसीपी सरकार दुराचारी है और स्‍वर्ग के प्रतिकूल आचरण करती है, और वह परमेश्‍वर से पूरी तरह द्वेष रखती है और सत्‍य से घृणा करती है। वह परमेश्‍वर की शत्रु है—एक दैत्‍य जो परमेश्‍वर का प्रतिरोध करता है। लेकिन परमेश्‍वर सर्वशक्तिमान है और उसकी बुद्धि शैतान के छल पर भारी पड़ती है। सीसीपी सरकार का कुरूप चेहरा उसके अपने विक्षिप्‍त विरोध और दमन की रोशनी में उजागर है, और परमेश्‍वर के सबसे प्रिय लोग उसकी पापपूर्ण, प्रतिक्रियावादी प्रकृति को और भी स्‍पष्‍ट रूप से देख सकते हैं। वे उसकी घृणित पापपूर्ण प्रकृति को अलगाकर देखने का विवेक विकसित कर लेते हैं, परमेश्‍वर का अनुसरण करने का उनका संकल्‍प और भी दृढ़ हो जाता है, और वे परमेश्‍वर का अनुसरण करना बन्‍द करने की बजाय अपने जीवन का बलिदान करने को तैयार होते हैं। इससे पता चलता है कि सीसीपी सरकार चाहे कितनी ही बर्बर क्‍यों न हो, वह परमेश्‍वर के कार्य को तो नहीं ही रोक सकती, सच्‍चे विश्‍वासियों को परमेश्‍वर का अनुसरण करने से भी नहीं रोक सकती।"
सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के वचनों और इस बहन की संगत को सुनने के बाद, मैं समझ गया कि सीसीपी सरकार सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया पर इसलिए अत्‍याचार करती है क्‍योंकि इसका सार ही ऐसा है जिसमें सत्‍य के प्रति नफ़रत और परमेश्‍वर के प्रति शत्रुता निहित है। यह लोगों को नियन्त्रित करना चाहती है, लोगों पर अपनी पकड़ मज़बूत बनाये रखना चाहती है, लेकिन सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर द्वारा व्‍यक्‍त सत्‍य लोगों के दिलों की गहराई में अपनी जड़ें जमा लेते हैं। सीसीपी सरकार निश्‍चय ही यह नहीं चाहेगी कि सारे के सारे लोग परमेश्‍वर के साथ चलें, इसलिए वह जनता को धोखा देने और झूठे मामले तैयार करने की ख़ातिर अफ़वाहें गढ़ने की हर सम्‍भव कोशिश करती है, और सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया पर अत्‍याचार करने के इरादे से सार्वजनिक रोष को बढ़ावा देती है। 28 मई का झाओयुआन मामला इसी तरह घटित हुआ था। जैसे ही मैंने सच्‍चाई को समझ लिया वैसे ही सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया को लेकर मेरे सन्‍देह दूर हो गये। लेकिन एक चिन्‍ता मुझे अभी भी बनी हुई थी: चूँकि सीसीपी सरकार कलीसिया के प्रति इतनी अधिक दमनकारी है, ऐसे में क्‍या परमेश्‍वर में विश्‍वास करना मेरी बीवी के लिए सुरक्षित होगा?
फिर भाइयों और बहनों ने मुझे एक फि़ल्‍म, साम्यवाद का झूठ दिखायी। उस फि़ल्‍म में परमेश्‍वर के वचनों का एक अंश था जिसने मेरे मर्म को छू लिया। "हमें विश्वास है कि परमेश्वर जो कुछ प्राप्त करना चाहता है उस मार्ग में कोई भी देश या शक्ति ठहर नहीं सकती है। वे जो परमेश्वर के कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं, परमेश्वर के वचन का विरोध करते हैं, परमेश्वर की योजना में विघ्न डालते हैं और उसे बिगाड़ते हैं, अंततः परमेश्वर के द्वारा दण्डित किए जाएँगे। वह जो परमेश्वर के कार्य की अवज्ञा करता है, उसे नष्ट कर दिया जाएगा; कोई भी राष्ट्र जो परमेश्वर के कार्य को अस्वीकार करता है, उसे नष्ट कर दिया जाएगा; कोई भी देश जो परमेश्वर के कार्य का विरोध करने के लिए उठता है, वह इस पृथ्वी पर से मिटा दिया जाएगा; और उसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा" ("वचन देह में प्रकट होता है" में "परमेश्वर सम्पूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियन्ता है")। मैं परमेश्‍वर के वचनों से उसके प्रभुत्‍व और तेज को महसूस कर पा रहा था। परमेश्‍वर के कार्य में न तो शैतान की कोई दुराचारी शक्ति ही बाधा डाल सकती है और न ही कोई इन्‍सान बाधा डाल सकता है। हालाँकि सीसीपी सरकार में बैठे हुए लोग सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया को बदनाम करने और अपराधी ठहराने के लिए पूरे ज़ोर-शोर से अपना दिमाग़ लगा रहे हैं, यहाँ तक कि वे अत्‍यन्‍त निन्‍दनीय ढंग से कलीसिया के भाइयों और बहनों को गिरफ़्तार कर रहे हैं और उनपर अत्‍याचार कर रहे हैं, जब भी ये भाई और बहन परमेश्‍वर में अपने विश्‍वास और उसके अनुसरण पर अडिग बने हुए हैं, और उनके द्वारा तैयार की गयी सुसमाचार फि़ल्‍में, समवेत भजन, और नृत्‍य तथा गीत के वीडियो, सीसीपी सरकार की किसी भी तरह की बाधा के बिना, लगातार जारी हो रहे हैं। मैंने अन्‍तत: सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के स्‍वरूप को और इस बात को समझ लिया था कोई भी शक्ति उसके कार्य को रोक नहीं सकती। परमेश्‍वर में मेरी बीवी के विश्‍वास में परमेश्‍वर उसकी सहायक शक्ति के रूप में उसके साथ है, इसलिए मुझे चिन्‍ता करने की कोई ज़रूरत नहीं है। इस सब कुछ को समझ लेने के बाद मेरे दिल में समायी सारी चिन्‍ताएँ और आशंकाएँ जाती रहीं। मैंने मुस्‍कराते हुए अपनी बीवी से कहा, "सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर में विश्‍वास करना तुम्‍हारे लिए उचित है। मैं पहले बहुत अन्‍धा था—मैंने जो कुछ सुन रखा था उसपर ग़लत ढंग से विश्‍वास कर बैठा था और मैंने तुम्‍हें बहुत दुख पहुँचाया था। यह मेरी बहुत बड़ी ग़लती थी। अब के बाद से मैं तुम्‍हारी आस्‍था में पूरी तरह से तुम्‍हारा साथ दूँगा।" उसकी आँखों में आँसू उमड़ आये और उसने भावविह्वल होकर कहा, "यह परमेश्‍वर की कृपा है कि आपको सीसीपी सरकार के झूठ का अहसास हो गया और आप भ्रम के धुँधलके से बाहर आ गये। यह है परमेश्‍वर का मार्गदर्शन और नेतृत्‍व!"
उसके बाद से मैं कभी-कभार अपनी बीवी के साथ सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया द्वारा बनाये गये वीडियो देखने लगा, और जब वह अपनी आस्‍था के बारे में बात करती, तो उसको ध्‍यान से सुनने लगा। लेकिन मुझे अभी भी यह लगता था कि परमेश्‍वर में आस्‍था एक सरल कि़स्‍म का विश्‍वास है। निश्‍चय ही, मैं अपने हृदय में परमेश्‍वर में विश्‍वास रख सकता था। लेकिन मुझे अभी भी अपनी आजीविका कमाना और अपने परिवार का भरण-पोषण करना, और उसके लिए इतना पर्याप्‍त मुहैया कराना ज़रूरी था ताकि हम एक अच्‍छा जीवन जी सकते। बाद में जाकर, अस्‍वस्‍थता के एक दौर से गुज़रने के बाद ही, मुझे परमेश्‍वर में विश्‍वास के बारे एक नितान्‍त नयी समझ हासिल हुई।
एक शाम जब हमारा परिवार भोजन कर रहा था, मुझे अपने पेट में भयानक दर्द उठा और मेरे चेहरे पर ठण्‍डे पसीने की बड़ी-बड़ी बूँदें बहने लगीं। मेरी बीवी तुरन्‍त मुझे अस्‍पताल ले गयी जहाँ जाँच के बाद पता चला कि मेरा अपेण्डिस्‍क फट गया था। यह एक संगीन हालत थी जिसमें तत्‍काल ऑपरेशन ज़रूरी था। मैंने ऐसी असहायता और भय अनुभव किया जैसा पहले कभी नहीं किया था—अगर मैं ठीक नहीं हुआ, तो मेरी बीवी और छोटी-सी बेटी इस पराये मुल्‍क में कैसे जीवित रह पाएँगे? उनकी देखभाल करने वाला यहाँ कौन होगा? मुझे इस तरह सोचता देख मेरी बीवी ने मेरा हाथ थामा और कहा, "मैं जानती हूँ कि आपको किस बात की चिन्‍ता सता रही है। परमेश्‍वर सर्वशक्तिमान है, और सब कुछ उसके हाथ में है। वही अन्तिम रूप से यह भी कह सकता है कि ऑपरेशन कामयाब होगा या नहीं। हमें परमेश्‍वर पर ही निर्भर रहना होगा और, ऑपरेशन का नतीजा चाहे जो भी हो, हम परमेश्‍वर को दोष नहीं दे सकते, हमें खुद को उसके विधान और व्‍यवस्‍था के सामने समर्पण करना होगा।" उसकी बात सुनकर मैंने हामी भरते हुए सिर हिलाया। जैसे ही ऑपरेशन के कमरे का दरवाज़ा बन्‍द हुआ मैंने अपनी आँखें मूँद लीं और परमेश्‍वर से प्रार्थना की। "हे सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर! मैं भयभीत हूँ। मुझे आस्‍था दे ताकि मुझे अब भय न सताये। मैं तेरा सहारा लेना चाहता हूँ।" प्रार्थना करने के बाद मेरे भय का अहसास कम हो गया, और परमेश्‍वर के वचनों का एक वीडियो में सुना गया यह अंश मुझे याद हो आया: "जो कुछ मनुष्य के पास है—शान्ति और आनन्द, आशीषें एवं व्यक्तिगत सुरक्षा—सब-कुछ वास्तव में परमेश्वर के नियंत्रण के अधीन है, और वह हर प्राणी के भाग्य का मार्गदर्शन एवं निर्धारण करता है" ("वचन देह में प्रकट होता है" में "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI")। "यह सच है," मैंने सोचा। "परमेश्‍वर सर्वशक्तिमान है और मेरा जीवन उसके हाथों में है। आज के मेरे ऑपरेशन की कामयाबी परमेश्‍वर के विधान और व्‍यवस्‍था पर निर्भर है, इसलिए सब कुछ परमेश्‍वर के हाथों में छोड़ देने के बाद अब मुझे किसी चीज़ की चिन्‍ता नहीं है।" परमेश्‍वर के वचनों ने मुझे आस्‍था प्रदान की; मेरा बेचैन हृदय शान्‍त था, और अब मुझे ऑपरेशन की सम्‍भावित नाकामयाबी की कोई चिन्‍ता नहीं रह गयी थी। बेहोशी की दवा की वजह से मैं धीरे-धीरे अपना होश खोता गया। जब मैं होश में आया, तो डॉक्‍टर ने मुझसे कहा कि ऑपरेशन कामयाब रहा है, और मैं जानता था कि परमेश्‍वर ने मेरी रक्षा की थी। मैंने बारबार परमेश्‍वर की सराहना की और उसका शुक्रिया अदा किया।
बाद में मैंने परमेश्‍वर के इन वचनों को देखा: "जब कोई इस पृथ्वी पर कदम रखता है, तो पहली बात जो उन्हें अवश्य समझनी चाहिए, वह है कि मानव कहाँ से आता है, लोग जीवित क्यों हैं, कौन मनुष्य के भाग्य का निर्धारण करता है, कौन मानव के अस्तित्व को भरण-पोषण करता है और किसके पास उसके अस्तित्व के ऊपर संप्रभुता है। ये जीवन की वास्तविक सम्पत्तियाँ हैं, मानव के जीवित बचे रहने के लिए आवश्यक आधार हैं, न कि यह सीखना कि किस प्रकार अपने परिवार का भरण-पोषण करें या किस प्रकार प्रसिद्धि और धन-सम्पत्ति प्राप्त करें, किस प्रकार भीड़ से अलग दिखें या किस प्रकार और अधिक समृद्ध जीवन बिताएँ, और यह तो बिलकुल नहीं कि किस प्रकार दूसरों से आगे बढ़ें और उनके विरुद्ध सफलतापूर्वक प्रतिस्पर्धा करें। यद्यपि जीवित बचे रहने के जिन विभिन्न कौशलों पर महारत हासिल करने के लिए लोग अपना जीवन खर्च करते हैं वे भरपूर भौतिक आराम दे सकते हैं, फिर भी वे किसी मनुष्य के हृदय में सच्ची शान्ति और सांत्वना नहीं ला सकते हैं, बल्कि इसके बदले वे लोगों को निरन्तर उनकी दिशा से भटका देते हैं, उन्हें अपने आप पर नियन्त्रण रखने में कठिनाई होती है, वे जीवन का अर्थ सीखने के हर अवसर को खो देते हैं; और वे इस बारे में परेशानी का एक अंतर्प्रवाह पैदा करते हैं कि किस प्रकार ठीक ढंग से मृत्यु का सामना करें। इस तरह से, लोगों की ज़िन्दगियाँ बर्बाद हो जाती हैं। सृजनकर्ता सभी के साथ निष्पक्ष ढंग से व्यवहार करता है, सभी को उसकी संप्रभुता का अनुभव करने और उसे जानने का जीवन भर का अवसर प्रदान करता है, फिर भी, जब मृत्यु नज़दीक आती है, जब मौत का साया उसके ऊपर छा जाता है, केवल तभी वह उस रोशनी को देखना आरम्भ करता है—और तब बहुत देर हो जाती है" ("वचन देह में प्रकट होता है" में "स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III")।
परमेश्‍वर के वचनों को पढ़ने के बाद मेरा हृदय आनन्‍द से भर उठा और मुझे इस बात का बोध हुआ कि हम इस धरती पर महज़ इसलिए नहीं रहते कि हम औसत दर्जे के जीवन जीते हुए अपने परिवारों का भरण-पोषण करें और ख़ुशहाल हो जाएँ, या दूसरों की र्इर्ष्‍या और सराहना के पात्र बनें, प्रसिद्धि और लाभ की आकांक्षा करें। हम मनुष्‍य परमेश्‍वर की रचना हैं और हम केवल तभी परमेश्‍वर के विधान और व्‍यवस्‍था का सच्‍चे अर्थों में पालन कर सकते हैं और उसके वचनों को अपने व्‍यवहार और आचरण में ढाल सकते हैं जब हम परमेश्‍वर में विश्‍वास करें और उसकी आराधना करें, सत्‍य की खोज करें और उसको समझें, परमेश्‍वर का ज्ञान हासिल करें और इस बात को स्‍पष्‍ट ढंग से समझें कि हमारे जीवन की सारी चीज़ों पर परमेश्‍वर का ही शासन है और हमारे भाग्‍य उसके ही अधीन हैं। सार्थक और मूल्‍यवान जीवन जीने का यही एकमात्र तरीक़ा है; इस जीवन को अकारथ ढंग से न जीने का यही एकमात्र तरीक़ा है। मैंने याद किया कि पहले किस तरह मुझे लगता था कि परमेश्‍वर में आस्‍था एक सरल कि़स्‍म का विश्‍वास है, और अपने परिवार के लिए पैसा कमाना ही मेरे जीवन का उद्देश्‍य होना चाहिए। जीवन को ख़तरे में डाल देने वाली उस बीमारी के बाद ही मुझे अक्‍़ल आयी। इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि हम कितना पैसा कमाते हैं या हमारी हैसियत कितनी ऊँची है, जब हम बीमार पड़ते हैं तो ये चीज़ें हमारे दुख को या हमारे हृदय में गहरे पैठे भय और असहायता को कम नहीं कर सकतीं। मौत के कगार पर पैसा, प्रसिद्धि, और ऐश्‍वर्य हमें हमारा जीवन वापस नहीं लौटा सकते या हमारी उम्र में इज़ाफ़ा नहीं कर सकते। मैं परमेश्‍वर का शुक्रगुज़ार हूँ—जब मैं बीमारी का सामना कर रहा था और भयभीत तथा असहाय महसूस कर रहा था, तब वही था जिसने मुझे आस्‍था और सामर्थ्‍य प्रदान की थी। उसने मुझे ऐसा कुछ दिया था जिसका मैं सहारा ले सकता था ताकि मैं आने वाली सारी परिस्थितियों का धीरज के साथ सामना कर सकता। ख़ासतौर से यह परमेश्‍वर की परवरिश और संरक्षण ही थे जिनने मुझे अपने ऑपरेशन को बेहिचक सहने की गुंजाइश दी थी। उस अनुभव की मार्फ़त मैंने यह महसूस किया कि परमेश्‍वर वास्‍तविक भी है और जीवित भी है, वह कभी भी हमारी मदद और सहारा बन सकता है, और वह हमारा मज़बूत सरपरस्‍त भी है। मनुष्‍यों के रूप में हमें जीवन भर परमेश्‍वर में विश्‍वास हासिल करने की ही कोशिश करनी चाहिए, परमेश्‍वर की आराधना ही करनी चाहिए, और परमेश्‍वर के विधान को समझना तथा उसके समक्ष समर्पण करना चाहिए। हमारी आत्‍माओं को इसी की सबसे ज्‍़यादा ज़रूरत है, और यही सबसे ज्‍़यादा सार्थक जीवन है जिसको हासिल करने की हमें कोशिश करनी चाहिए। इस अनुभव ने मेरी इस ग़लत धारणा को भी बदल दिया कि परमेश्‍वर में आस्‍था एक सरल कि़स्‍म का विश्‍वास है और मैंने अपनी बीवी के साथ अपनी आस्‍था का अभ्‍यास करने, परमेश्‍वर के वचनों को पढ़ने, और सत्‍य की खोज के मार्ग पर चलने तथा परमेश्‍वर को जानने का संकल्‍प ले लिया।
सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया के भाइयों और बहनों ने मेरे बीमार होने की ख़बर सुनी, तो वे मुझसे मिलने अस्‍पताल आये। जब उनको पता चला कि मैं कुछ समय तक काम करने के क़ाबिल नहीं रहूँगा और हमारे परिवार के पास आय का कोई स्रोत नहीं होगा, तो उन्‍होंने कठिनाई भत्‍ते के लिए आवेदन देने में और मेरे इलाज़ पर हुए ख़र्च के एक बड़े हिस्‍से की भरपाई के लिए आवेदन देने में मेरी मदद की। इस तरह की भाव-शून्‍य, उदासीन दुनिया में उन भाइयों और बहनों की संजीदा, उपकारी भावना ने मुझे आत्‍मीयता के ऐसे अहसास से भर दिया जैसे हम सब एक ही परिवार के सदस्‍य हों। कुछ समय तक उन लोगों के सम्‍पर्क में रहने पर मैंने देखा कि वे सब बहुत दयालु लोग हैं जो दूसरों के साथ अपने व्‍यवहार में परमेश्‍वर के वचनों पर विश्‍वास रखते हैं, वे दूसरे लोगों के साथ ईमानदारीपूर्ण बरताव करते हैं, वे अपने वचन और कर्म में खरे और गरिमावान हैं, और उनकी मानवीयता और जीवन जीने का उनका ढंग ठीक वैसे ही हैं जैसे ईसाइयों के होने चाहिए। वे उन लोगों से नितान्‍त भिन्‍न थे, जिनके साथ मैं काम करता था—उन जैसे लोग दुनिया में शायद ही बचे होंगे। मैंने महसूस किया कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के वचन सचमुच लोगों को बदल सकते हैं और हमें सही रास्‍ता दिखा सकते हैं, और मुझे लगा कि यह कलीसिया प्रेम से इस क़दर परिपूर्ण है कि वह लोगों के मन में अत्‍यन्‍त आत्‍मीयता का अहसास पैदा करती है।
मैं उस अतीत के बारे में सोचता हूँ जब सीसीपी सरकार के झूठों ने मुझे अन्‍धा कर रखा था और मैं बारबार परमेश्‍वर के अन्‍त के दिनों के कार्य की पड़ताल से इन्‍कार किया करता था, और मैं अपनी बीवी की आस्‍था में रोढ़ा तक बन गया था, लेकिन परमेश्‍वर ने मुझे बचाने की कोशिश नहीं छोड़ी। कलीसिया के भाइयों और बहनों ने मुझे परमेश्‍वर के जो वचन पढ़कर सुनाये थे और जो वीडियो उन्‍होंने मुझे दिखाये थे, उन सबका इस्‍तेमाल करते हुए परमेश्‍वर ने मुझे सीसीपी सरकार के झूठों का पर्दाफ़ाश करने की और उन झूठों के पीछे की कुटिल सच्‍चाई को देखने की गुंजाइश दी। जब मैं अपने ऑपरेशन के नतीजे को लेकर परेशान था और भय की हालत में रह रहा था, तब परमेश्‍वर के वचनों ने मुझे प्रबुद्धता प्रदान की और मुझे राह दिखायी, मुझे आस्‍था और शक्ति प्रदान की, और मेरे ग़लत दृष्टिकोणों को ठीक किया। जब मैं आपरेशन के बाद काम नहीं कर पा रहा था तब परमेश्‍वर ने कलीसिया के भाइयों और बहनों के माध्‍यम से मुझे सहारा दिया। मैंने अपने प्रति परमेश्‍वर के प्रेम और दया को, साथ ही उसके वचनों के प्रभुत्‍व और अनमोलता को अनुभव किया, और मैंने प्रसन्‍नतापूर्वक परमेश्‍वर के अन्त के दिनों के कार्य को स्‍वीकार किया। अब मैं अपनी बीवी के साथ अक्‍सर कलीसिया के समागमों में शामिल होता हूँ और परमेश्‍वर के वचन पढ़ता हूँ, और मेरा हृदय तृप्‍त और आनन्‍द से परिपूर्ण है! मैं परमेश्‍वर का शुक्रगुज़ार हूँ कि उसने मुझे बचा लिया!
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