चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु का दूसरा आगमन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं। हम सभी सत्य-के-साधकों का यहाँ आने और देखने के लिए स्वागत करते हैं।

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सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की मूलभूत मान्यताएँ

(1)  सर्वशक्तिमान परमेश्वर की  कलीसिया  के सिद्धांत ईसाई धर्म के सिद्धांत बाइबल से उत्पन्न होते हैं, और  सर्वशक्तिमान परमेश्वर  की क...

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रविवार, 24 सितंबर 2017

स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति आज्ञाकारिता ही मसीह का वास्तविक सार है

स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति आज्ञाकारिता ही मसीह का वास्तविक सार है

देहधारी परमेश्वर मसीह कहलाता है, तथा मसीह परमेश्वर के आत्मा के द्वारा धारण किया गया देह है। यह देह किसी भी मनुष्य की देह से भिन्न है। यह भिन्नता इसलिए है क्योंकि मसीह मांस तथा खून से बना हुआ नहीं है बल्कि आत्मा का देहधारण है। उसके पास सामान्य मानवता तथा पूर्ण परमेश्वरत्व दोनों हैं। उसकी दिव्यता किसी भी मनुष्य द्वारा धारण नहीं की जाती है। उसकी सामान्य मानवता देह में उसकी समस्त सामान्य गतिविधियों को बनाए रखती है, जबकि दिव्यता स्वयं परमेश्वर के कार्य करती है। चाहे यह उसकी मानवता हो या दिव्यता, दोनों स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति समर्पित हैं।

गुरुवार, 14 सितंबर 2017

तुम्हें परमेश्वर के प्रति अपनी भक्ति अवश्य बनाए रखनी चाहिए

पवित्र आत्मा अब कलीसिया के भीतर किस प्रकार से काम कर रहा है? क्या तुम्हें इसकी कोई समझ है? भाइयों और बहनों की सबसे बड़ी कठिनाईयाँ क्या हैं? उनमें सबसे अधिक किस चीज की कमी है? वर्तमान में, कुछ लोग हैं जो परीक्षणों के बीच नकारात्मक होते हैं, और उनमें से कुछ तो शिकायत भी करते हैं, और कुछ आगे नहीं बढ़ रहे हैं क्योंकि परमेश्वर अब और नहीं बोल रहा है। लोगों ने परमेश्वर में विश्वास के सही पथ पर प्रवेश नहीं किया है। वे स्वतंत्र रूप से नहीं जी सकते हैं, और वे अपना स्वयं का आध्यात्मिक जीवन बनाए नहीं रख सकते हैं। कुछ ऐसे लोग हैं जो साथ-साथ अनुसरण करते हैं, ऊर्जा के साथ खोज करते हैं, और जब परमेश्वर बोलता है तब वे अभ्यास करने के लिए तैयार होते हैं।

गुरुवार, 31 अगस्त 2017

अनुभव पर

पतरस के सारे अनुभवों के दौरान, उसने सैकड़ों परीक्षाओं को सहन किया। हालांकि लोग अब ‘परीक्षा’ शब्द के बारे में जानते हैं, लेकिन वे उसके सच्चे अर्थ या परिस्थितियों को बिल्कुल नहीं समझते हैं। परमेश्वर मनुष्य के संकल्प को बेहतर बनाता है, उसके आत्मविश्वास को परिष्कृत करता है, और उसके हर हिस्से को उत्तम बनाता है, और वो ज्यादातर इसे परीक्षाओं के माध्यम से हासिल करता है। परीक्षा, पवित्र आत्मा का छिपा कार्य भी है। ऐसा लगता है कि परमेश्वर ने मनुष्य को त्याग दिया है, और इसलिए,यदि मनुष्य सावधान न हो तो उन्हें शैतान के प्रलोभन के रूप में देखेगा। वास्तव में, कई परीक्षाओं को प्रलोभन माना जा सकता है, और यह परमेश्वर के काम का सिद्धांत और नियम है। यदि मनुष्य वास्तव में परमेश्वर के सामने रहता है, तो वह उन्हें परमेश्वर की परीक्षाओं के रूप में देखेगा और उनमें चूक नहीं करेगा।

शनिवार, 26 अगस्त 2017

एक सामान्य आध्यात्मिक जीवन के सम्बन्ध में

एक विश्वासी के पास एक सामान्य आध्यात्मिक जीवन होना ही चाहिए- यह परमेश्वर के वचनों का अनुभव करने और वास्तविकता में प्रवेश करने का आधार है। वर्तमान समय में, सभी प्रार्थनाएं, परमेश्वर के करीब आना, गायन, स्तुति करना, ध्यान, और परमेश्वर के वचनों को समझने की कोशिश का जो अभ्यास आप लोग कर रहे हैं, क्या वह एक सामान्य आध्यात्मिक जीवन के मानकों पर खरा उतरता है? आप लोगों में से कोई भी इस बारे में बहुत स्पष्ट नहीं है। एक सामान्य आध्यात्मिक जीवन, प्रार्थना, गीत, कलीसिया का जीवन, परमेश्वर के वचनों का खान-पान और दूसरे ऐसे ही अभ्यासों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका मतलब है, एक निर्मल और जीवंत आध्यात्मिक जीवन जीना। यह तरीके के बारे में नहीं, बल्कि नतीजे से सम्बन्धित है। ज्यादातर लोग सोचते हैं कि एक सामान्य आध्यात्मिक जीवन पाने के लिए उन्हें प्रार्थना, गाना, परमेश्वर के वचनों को खाना-पीना, या परमेश्वर के शब्दों को समझने की कोशिश करनी चाहिए।

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