ईसाई गीत | परमेश्वर उन्हें आशीष देता है जो ईमानदार हैं
I
जब तुम ईश्वर को देते हो दिल और उसे धोखा नहीं देते हो, जब तुम खुद से ऊँचे या नीचे लोगों को कभी नहीं छलते हो, जब ईश्वर के प्रति साफ़दिल हो सब चीज़ों में, जब तुम ईश्वर की चापलूसी वाले काम न करो, है ये बनना ईमानदार। ईमानदारी है अपने कार्यों और वचनों से अशुद्धि को दूर रखना, और न ईश्वर न लोगों को ठगना। ईमानदारी है अपने कार्यों और वचनों से अशुद्धि को दूर रखना, और न ईश्वर न लोगों को ठगना। यही है ईमानदारी, ओ, यही है ईमानदारी।
II
यदि तुम्हारे वचन बहानों से भरे हों, भरे हों व्यर्थ स्पष्टीकरणों से, तो तुम सच्चाई का अभ्यास नहीं कर रहे, ना ही तुम करना चाहते हो। प्रकाश और मोक्ष कैसे पाओगे तुम अगर अपने राज़ न खोलो? यदि तुम सच्चाई का मार्ग खोज प्रसन्न होते हो, तो सदा तुम प्रकाश में जियोगे। ईमानदारी है अपने कार्यों और वचनों से अशुद्धि को दूर रखना, और न ईश्वर न लोगों को ठगना। ईमानदारी है अपने कार्यों और वचनों से अशुद्धि को दूर रखना, और न ईश्वर न लोगों को ठगना। यही है ईमानदारी, ओ, यही है ईमानदारी।
III
यदि चाहते हो ईश्वर के घर में सेवा करना, मेहनत से, फ़ायदे के उम्मीद के बिन, तो तुम परमेश्वर के एक वफ़ादार संत हो जिसे केवल है ईमानदार बनना। यदि ईश्वर की गवाही के लिए तुम अपना जीवन दो, यदि चाहते हो उसे खुश करना बिन अपने बारे में सोचे, पोषित तुम्हे प्रकाश करेगा, और जियोगे उसके राज्य में हमेशा। ईमानदारी है अपने कार्यों और वचनों से अशुद्धि को दूर रखना, और न ईश्वर न लोगों को ठगना। ईमानदारी है अपने कार्यों और वचनों से अशुद्धि को दूर रखना, और न ईश्वर न लोगों को ठगना। यही है ईमानदारी, ओ, यही है ईमानदारी।
"वचन देह में प्रकट होता है" से
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