चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु का दूसरा आगमन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं। हम सभी सत्य-के-साधकों का यहाँ आने और देखने के लिए स्वागत करते हैं।

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सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की मूलभूत मान्यताएँ

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शनिवार, 4 जनवरी 2020

परमेश्वर के दैनिक वचन "परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर III" (अंश III)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "जब प्रभु यीशु मसीह आया, तो उसने लोगों से बात करने के लिए अपने व्यावहारिक कार्यों का प्रयोग कियाः परमेश्वर ने व्यवस्था के युग को अलविदा किया और नए कार्य का प्रारम्भ किया, और इस नए कार्य को सब्त का पालन करने की जरूरत नहीं थी; जब परमेश्वर सब्त के दिन की सीमाओं से बाहर आ गया, तो यह उसके नए कार्य का बस एक पूर्वानुभव था, और सचमुच में उसका महान कार्य लगातार जारी रहने वाला था।
जब प्रभु यीशु ने अपना कार्य प्रारम्भ किया था, तो उसने पहले से ही व्यवस्था की जंज़ीरों को पीछे छोड़ दिया था, और उस युग की विधियों और सिद्धांतों को तोड़ दिया था। उस में, व्यवस्था से जुड़ी किसी भी चीज़ का निशान नहीं था; उसने उसे पूर्णत: उतार कर फेंक दिया था और आगे से उसका अनुसरण नहीं किया था, और उसने आगे से मानव जाति से उस का अनुसरण करने की अपेक्षा नहीं की थी। इस प्रकार तुम यहाँ देखते हो कि प्रभु यीशु सब्त के दिन अनाज के खेतों से होकर गुज़रा, और प्रभु ने आराम नहीं किया, किन्तु बाहर काम कर रहा था। उसका यह कार्य लोगों की धारणाओं के लिए एक आघात था और उन्हें यह सन्देश दिया कि वह आगे से व्यवस्था के अधीन जीवन नहीं बिताएगा, और यह कि उसने सब्त की सीमाओं को छोड़ दिया है और उसने मानव जाति के सामने और उनके मध्य एक नई तस्वीर को, एक नए कार्यशैली के साथ प्रकट किया है। उसके इस कार्य ने लोगों को यह बताया कि वह अपने साथ एक नया कार्य लेकर आया है जो व्यवस्था से दूर जाने और सब्त से बाहर जाने से प्रारम्भ हुआ था। जब परमेश्वर ने अपना नया कार्य प्रारम्भ किया, तो वह आगे से भूतकाल से चिपका नहीं रहा, और वह आगे से व्यवस्था के युग की विधियों के विषय में चिन्तित नहीं था। ना ही वह पिछले युग के अपने कार्य से प्रभावित हुआ था, परन्तु उसने सब्त के दिन में भी सामान्य रूप से कार्य किया था और जब उसके चेले भूखे थे, वे अनाज की बालें तोड़कर खा सकते थे। यह सब कुछ परमेश्वर की निगाहों में बिल्कुल सामान्य था। परमेश्वर के पास बहुत सारे कार्यों के लिए जिन्हें वह करना चाहता है और बहुत सारी चीज़ों के लिए जिन्हें वह कहना चाहता है एक नई शुरूआत हो सकती है। एक बार जब उसने एक नई शुरूआत कर दी, वह ना तो फिर से अपने पिछले कार्य का जिक्र करता है और ना ही उसे जारी रखता है। क्योंकि परमेश्वर के पास उसके कार्य के लिए स्वयं के सिद्धांत हैं। जब वह नया कार्य शुरू करना चाहता है, तो यह तब होता है जब वह मानव जाति को अपने कार्य के एक नए स्तर में पहुँचाना चाहता है, और जब उसका कार्य सब से ऊँचे मुकाम में प्रवेश कर लेता है। यदि लोग लगातार पुरानी कहावत या विधियों के अनुसार काम करते रहेंगे या उन्हें निरन्तर मज़बूती से पकड़ें रहेंगे, तो वह इसका उत्सव नहीं मनाएगा और इस की प्रशंसा नहीं करेगा। यह इसलिए है क्योंकि वह पहले से ही एक नए कार्य को लेकर आ चुका है, और अपने कार्य में एक नए मुकाम में पहुँच चुका है। जब वह एक नए कार्य को आरम्भ करता है, वह मानव जाति को पूर्णतः नए रूप में दिखाई देता है, पूर्णतः नए कोण से, और पूर्णतः नए तरीके से ताकि लोग उसके स्वभाव के भिन्न भिन्न पहलुओं और जो उसके पास है तथा जो वह है उस को देख सकें। यह उसके नए कार्य में उसके अनेक लक्ष्यों में से एक लक्ष्य है। परमेश्वर पुराने को थामे नहीं रहता है या जर्जर मार्ग को नहीं लेता है; जब वह कार्य करता है और बोलता है तो यह उतना निषेधात्मक नहीं होता है जितना लोग कल्पना करते हैं। परमेश्वर में, सभी आज़ाद और छुड़ाए गए हैं, और कुछ भी निषेधात्मकता, या विवशता नहीं है—जो वह मानव जाति के लिए लेकर आता है वह सम्पूर्ण आज़ादी और छुटकारा है। वह एक जीवित परमेश्वर है, एक ऐसा परमेश्वर जो विशुद्ध रूप से, और सचमुच में अस्तित्व में है। वह एक कठपुतली या मिट्टी की कारीगरी नहीं है, और वह उन मुर्तियों से बिल्कुल भिन्न है जिन्हें लोग पवित्र मानते हैं और उन की पूजा करते हैं। वह जीवित और जीवन्त है और उसके कार्य और वचन मनुष्यों के लिए जो लेकर आते हैं वे हैं सम्पूर्ण जीवन और ज्योति, सम्पूर्ण स्वतन्त्रता और छुटकारा, क्योंकि वह उस सच्चाई, जीवन, और मार्ग को थामे रहता है—और उसके किसी भी कार्य में उसे किसी भी चीज़ के द्वारा विवश नहीं किया जा सकता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि लोग क्या कहते हैं और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे उसके नए कार्य को किस प्रकार देखते हैं या किस प्रकार उस का आँकलन करते हैं, वह बिना किसी पछतावे के अपने कार्य को पूरा करेगा। वह किसी की विचार धारणा या उसके कार्य और वचनों की ओर उठती हुई ऊँगलियों, या अपने नए कार्य के लिए उनके कठोर विरोध और प्रतिरोध की भी चिन्ता नहीं करेगा। समूची सृष्टि में कोई भी नहीं है जो उसके कार्य को कलंकित करने, या छिन्न भिन्न या तोड़फोड़ करने के लिए या जो परमेश्वर करता है उसे नापने या उसे परिभाषित करने के लिए मानवीय तर्क, या मानवीय कल्पनाओं, ज्ञान, या नैतिकता का प्रयोग कर सके। उसके कार्य में कोई निषेधात्मकता नहीं है, और किसी मनुष्य, चीज़ या पदार्थ के द्वारा उसे बाध्य नहीं किया जाएगा, और उसे किसी प्रचण्ड शक्ति के द्वारा छिन्न भिन्न नहीं किया जाएगा। अपने इस नए कार्य में, वह सर्वदा के लिए एक विजयी राजा है, और किसी भी प्रकार की प्रचण्ड ताकतों और झूठी शिक्षाओं और मानव की अशुद्धियों को उसके चरणों की चौकी के नीचे कुचल दिया गया है। इस से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि वह अपने कार्य के किस नए स्तर पर काम कर रहा है, इसे मानव जाति के बीच में विकसित एवं विस्तारित करना होगा, उसे समूचे विश्व में तब तक बिना किसी बाधा के पूरा करना होगा जब तक उसका महान कार्य पूर्ण ना हो जाए। यह परमेश्वर की सर्वसामर्थता और बुद्धिमत्ती है, और उस का अधिकार और सामर्थ है। इस प्रकार, प्रभु यीशु मसीह खुलकर बाहर जा सकता था और सब्त के दिन कार्य कर सकता था क्योंकि उसके हृदय में कोई नियम नहीं थे, और वहाँ मानव जाति से उत्पन्न कोई ज्ञान और सिद्धांत नहीं था। जो उसके पास था वह परमेश्वर का नया कार्य और उस का मार्ग था, और उस का कार्य मानव जाति को स्वतन्त्र करना था, उसे मुक्त करना था, उन्हें ज्योति में बने रहने की अनुमति देना था, और उन्हें जीने की अनुमति देना था। और वे जो मूर्तियों या झूठे ईश्वरों की पूजा करते हैं हर दिन शैतान के बन्धनों में जीते हैं, सभी प्रकार के नियमों और समाज से बहिष्कृत जीवनशैलियों के द्वारा बन्धे हुए हैं—आज एक चीज़ प्रतिबन्धित है, कल कोई दूसरी चीज़ होगी—उन के जीवन में कोई स्वतन्त्रता नहीं है। वे जंज़ीरों में जकड़े हुए कैदियों के समान हैं जिन के पास बोलने की कोई आज़ादी नहीं है। "निषेध" किसे दर्शाता है? यह विवशता, बन्धनों, और बुराई को दर्शाता है। जैसे ही एक व्यक्ति एक मूर्ति की पूजा करता है, वे एक झूठे ईश्वर की पूजा कर रहे हैं, वे एक बुरी आत्मा की पूजा कर रहे हैं। प्रतिबन्ध इस के साथ आता है। तुम इसे या उसे नहीं खा सकते हो, आज तुम बाहर नहीं जा सकते हो, कल तुम अपना चूल्हा नहीं जला सकते हो, अगले दिन तुम नए घर में नहीं जा सकते हो, शादी ब्याह तथा अन्तिम क्रिया, और यहाँ तक कि बच्चे को जन्म देने के लिए भी कुछ निश्चित दिनों को ही चुनना होगा। इसे क्या कहते हैं? इसे ही प्रतिबन्ध कहते हैं; यह मानवजाति का बंधन है, और ये शैतान की जंज़ीरें हैं और दुष्ट आत्माएँ इन्हें नियन्त्रित करते हैं, और उनके हृदयों और शरीरों को बन्धनों में बाँधते हैं। क्या ऐसे प्रतिबन्ध परमेश्वर के साथ साथ बने रहते हैं? जब परमेश्वर की पवित्रता की बात करते हैं, तो तुम्हें पहले यह सोचना चाहिएः कि परमेश्वर के साथ कुछ भी प्रतिबन्धित नहीं है। परमेश्वर के पास उसके वचनों और कार्य के लिए सिद्धांत हैं, परन्तु कुछ भी प्रतिबन्ध नहीं है, क्योंकि परमेश्वर स्वयं सत्य, मार्ग, और जीवन है।"— "परमेश्वर को जानना परमेश्वर का भय मानने और बुराई से दूर रहने का मार्ग है" से उद्धृत

अब अंत के दिन है, यीशु मसीह का दूसरा आगमन की भविष्यवाणियां मूल रूप से पूरी हो चुकी हैं। तो हम किस प्रकार बुद्धिमान कुंवारी बने जो प्रभु का स्वागत करते हैं? जवाब जानने के लिए अभी पढ़ें और देखें।

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