क्या वे लोग जो मेरी बातों को सुनते हैं, वास्तव में उन्हें स्वीकार करते हैं? क्या तुम लोग वाकई मुझे जानते हो? क्या तुम सब ने सचमुच आज्ञाकारिता सीखी है? क्या तुम लोग ईमानदारी से मेरे लिए खपते हो? क्या भयानक लाल अजगर के सामने तुम सभी ने वास्तव में मेरे लिए दृढ़, अटल गवाही दी है? क्या तुम लोगों की भक्ति सचमुच भयानक लाल अजगर को अपमानित करती है? केवल मेरे वचनों के परीक्षण के माध्यम से मैं कलीसिया का शुद्धिकरण करने और मुझसे सचमुच प्रेम करने वालों को चुनने के मेरे लक्ष्य को प्राप्त कर सकता हूँ। क्योंकि किसी और तरीके से कोई भी मुझे कैसे समझ सकता है? कौन मेरे वचनों के द्वारा मेरी महिमा, मेरे क्रोध, और मेरे ज्ञान को समझ सकता है? मैंने जो कुछ शुरू किया है, उसे पूरा कर दूँगा, लेकिन फिर भी यह मैं ही हूँ जो मनुष्यों के दिलों को मापता है। वास्तव में, मुझे कोई भी पूरी तरह नहीं समझ पाता है, इसलिए मैं वचनों के द्वारा उनका मार्गदर्शन करता हूँ, और उन्हें इस तरह से एक नए युग में ले जाता हूँ। अंत में, मैं अपने समूचे कार्य को मेरे वचनों के द्वारा पूरा कर दूँगा, और उन लोगों को जो मुझे सचमुच प्रेम करते हैं मेरे राज्य में, मेरे सिंहासन के सामने जीने के लिए, वापस ले आऊँगा। स्थिति अब वह नहीं है जो कभी एक बार थी, और मेरे कार्य ने एक नये प्रारंभिक बिंदु में प्रवेश किया है। ऐसा होने के कारण अब एक नया दृष्टिकोण होगा: जो लोग मेरा वचन पढ़ते हैं और इसे अपने जीवन के ही रूप में स्वीकार करते हैं, वे मेरे राज्य के लोग हैं। चूंकि वे मेरे राज्य में हैं, इसलिए राज्य में वे मेरी प्रजा हैं। क्योंकि वे मेरे वचनों के द्वारा निर्देशित होते हैं, हालांकि उन्हें मेरी प्रजा के रूप में संदर्भित किया जाता है, यह पदवी किसी भी तरह मेरे "पुत्रों" की तरह बुलाये जाने से कम नहीं है। मेरी प्रजा के रूप में, सभी को मेरे राज्य में वफ़ादार होना चाहिए और उन्हें अपने कर्तव्यों को पूरा करना चाहिए, और वे जो मेरे प्रशासनिक आदेशों का अनादर करते हैं, उनको मेरी सजा मिलनी ही चाहिए। यह सभी के लिए मेरी चेतावनी है।
चूँकि अब एक नये दृष्टिकोण का उपयोग किया जाता है, अतीत का वह सब फिर से कहने की ज़रुरत नहीं। फिर भी, मैंने ये वचन कहे हैं: मैंने जो कहा है, उसका ख्याल करना चाहिए, जिसका ख्याल किया जाता है वह पूरा किया जाना चाहिए, और यह किसी के द्वारा बदला नहीं जा सकता है; यह परम तत्व है। चाहे वह हो जो मैंने अतीत में कहा है या वह जो मैं भविष्य में कहूँगा, वह सब कुछ घटित होगा, और समस्त मानव जाति इसको देखेगी। यह मेरे वचनों के कार्य के पीछे रहा सिद्धांत है। चूंकि कलीसिया का निर्माण पहले से ही हासिल हो चुका है, यह युग अब और कलीसिया बनाने का नहीं है, बल्कि यह वह युग है जिसमें राज्य का सफल निर्माण किया जाता है। फिर भी, चूंकि तुम अभी भी पृथ्वी पर हो, तुम्हारे सम्मेलनों को कलीसिया के रूप में जाना जाएगा। तथापि, कलीसिया का सार अब वैसा नहीं जैसा किसी समय था, और इसने सच्ची सफलता दिखायी है। इसलिए, मैं कहता हूँ कि मेरा राज्य पृथ्वी पर उतर आया है। कोई भी मेरे वचनों की जड़ों को नहीं जान सकता है, न ही उनके पीछे रहे उद्देश्य को समझ सकता है। आज जब मैं बोलता हूँ, आप एक आविर्भाव का अनुभव कर सकते हैं। शायद कुछ लोग रोने लग जाएँगे; दूसरों को यह भय लग सकता है कि मैं इस तरह से बोलता हूँ। कुछ मेरे हर कार्य के प्रति एक पुराने ढंग का दृष्टिकोण बनाए रख सकते हैं; कुछ लोग मुझसे की गई शिकायतों या प्रतिरोध के लिए पछता सकते हैं; कुछ लोग अंदर से आनन्दित हो सकते हैं, क्योंकि वे कभी भी मेरे नाम से भटके नहीं हैं, और आज अब फिर से पुनर्जीवित हो गए हैं; शायद कुछ लोग बहुत पहले मेरे वचनों से घबड़ा गए थे, और वे जीवन और मृत्यु के बीच मंडराते हैं, हतोत्साहित और उदास होकर, और उनके पास अब वो ह्रदय नहीं कि मैं जो वचन कहता हूँ उन्हें सुनें, भले ही मैं किसी अन्य ढंग से कहने का चुनाव करूँ। कुछ ऐसे लोग हो सकते हैं जो मेरे प्रति इतने समर्पित हैं कि उन्होंने कभी भी शिकायत नहीं की है, कभी संदेह नहीं किया है, और आज वे इतने भाग्यशाली हैं कि मुक्ति पाएँ और उनके दिलों में ऐसी कृतज्ञता का अनुभव करें जो शब्दों से परे है। हर कोई इन श्रेणियों में अलग-अलग सीमा तक आता है। लेकिन चूंकि अतीत तो अतीत है, और अब वर्तमान है, बीते समय के लिए अब कोई चाह रखने की, या भविष्य के बारे में चिंता करने की, कोई ज़रूरत नहीं है। मनुष्यों में, जो लोग वास्तविकता के खिलाफ जाते हैं और मेरे मार्गदर्शन के अनुसार काम नहीं करते हैं, वे एक अच्छे अंत नहीं पहुंचेंगे, और केवल खुद पर परेशानी लाएँगे। संसार में जो कुछ भी होता है, उसमें से ऐसा कुछ भी नहीं है जिस पर मेरा निर्णायक प्रभाव न हो। ऐसा क्या मौजूद है जो मेरे हाथों में नहीं? जो कुछ मैं कहता हूँ वही होता है, और मनुष्यों के बीच ऐसा कौन है जो मेरे मन को बदल सकता है? क्या यह वह अनुबंध हो सकता है जो मैंने धरती पर बनाया था? मेरी योजना में कोई भी चीज़ बाधा नहीं डाल सकती; मैं अपने कार्य में और अपनी प्रबंधन योजना में हमेशा उपस्थित हूँ। कौन-सा मनुष्य हस्तक्षेप कर सकता है? क्या मैंने ही इन व्यवस्थाओं को व्यक्तिगत रूप से नहीं बनाया है? आज इस स्थिति में प्रवेश कर, यह अभी भी मेरी योजना से या मेरे पूर्वानुमान से भटका नहीं है; यह सब बहुत पहले मेरे द्वारा निर्धारित किया गया था। आप में से कौन इस चरण के लिए मेरी योजना की थाह ले सकता है? मेरी प्रजा मेरी आवाज सुनेगी, और उनमें से हर एक जो मुझसे सच्चा प्रेम करता है, मेरे सिंहासन के सामने लौट आएगा।
20 फरवरी, 1992
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