चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु का दूसरा आगमन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं। हम सभी सत्य-के-साधकों का यहाँ आने और देखने के लिए स्वागत करते हैं।

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सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की मूलभूत मान्यताएँ

(1)  सर्वशक्तिमान परमेश्वर की  कलीसिया  के सिद्धांत ईसाई धर्म के सिद्धांत बाइबल से उत्पन्न होते हैं, और  सर्वशक्तिमान परमेश्वर  की क...

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सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

3. क्यों परमेश्वर के कार्य का हर नया चरण धार्मिक दुनिया की प्रचंड अवज्ञा और निंदा का सामना करता है? इसका मूल कारण क्या है?

परमेश्वर के कार्य, परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य,प्रभु यीशु

3. क्यों परमेश्वर के कार्य का हर नया चरण धार्मिक दुनिया की प्रचंड अवज्ञा और निंदा का सामना करता है? इसका मूल कारण क्या है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"फिर वह दृष्‍टान्तों में उनसे बातें करने लगा: 'किसी मनुष्य ने दाख की बारी लगाई, और उसके चारों ओर बाड़ा बाँधा, और रस का कुण्ड खोदा, और गुम्मट बनाया; और किसानों को उसका ठेका देकर परदेश चला गया। फिर फल के मौसम में उसने किसानों के पास एक दास को भेजा कि किसानों से दाख की बारी के फलों का भाग ले। पर उन्होंने उसे पकड़कर पीटा और छूछे हाथ लौटा दिया। फिर उसने एक और दास को उनके पास भेजा; उन्होंने उसका सिर फोड़ डाला और उसका अपमान किया।

शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2019

Hindi Christian Worship Song | परमेश्वर के कार्य फैले हैं ब्रह्मांड के विशाल विस्तार में

Hindi Christian Worship Song | परमेश्वर के कार्य फैले हैं ब्रह्मांड के विशाल विस्तार में

परमेश्वर देखता है सब कुछ ऊपर से, सभी चीज़ों पर है प्रभुत्व उसका ऊपर से। साथ ही, पृथ्वी पर भेजा है अपना उद्धार परमेश्वर ने। हर समय परमेश्वर देख रहा है अपने गुप्त स्थान से, इंसान की हर चाल को, हर चीज़ को जो वे कहते और करते हैं। खुली हुई किताब की तरह परमेश्वर जानता है इंसान को।

गुरुवार, 29 जून 2017

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन|परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है

परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है

मानवजाति के प्रबंधन करने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है, जिसका अर्थ यह है कि मानवजाति को बचाने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है। इन चरणों में संसार की रचना का कार्य समाविष्ट नहीं है, बल्कि ये व्यवस्था के युग, अनुग्रह के युग और राज्य के युग के कार्य के तीन चरण हैं। संसार की रचना करने का कार्य, सम्पूर्ण मानवजाति को उत्पन्न करने का कार्य था। यह मानवजाति को बचाने का कार्य नहीं था, और मानवजाति को बचाने के कार्य से कोई सम्बन्ध नहीं रखता है, क्योंकि जब संसार की रचना हुई थी तब मानवजाति शैतान के द्वारा भ्रष्ट नहीं की गई थी, और इसलिए मानवजाति के उद्धार का कार्य करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।

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