उत्तर: "सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है।" क्या आप जानते हैं कि यह बात किसने कही थी? क्या इसे परमेश्वर ने कहा या मनुष्य ने? किस आधार पर आप यह कहते हैं "सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है?" "सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है।"इस बात को यहोवा परमेश्वर ने नहीं कहा था, या प्रभु यीशु ने कहा या पवित्र आत्मा ने, बल्कि पौलुस ने कहा था। पौलुस मसीह नहीं हैं; वे सिर्फ एक भ्रष्ट मनुष्य हैं। वे कैसे जान सकते थे कि पूरी बाइबल परमेश्वर से प्रेरित है? बाइबल परमेश्वर की प्रेरणा से रची गयी थी या नहीं, यह बात सिर्फ परमेश्वर जानते हैं। सिर्फ मसीह इस सवाल का जवाब साफ तौर पर दे सकते हैं, क्योंकि मनुष्य को बिल्कुल नहीं मालूम और वह इन चीज़ों को नहीं समझ सकता। बाइबल तब शुरू हुई जब मूसा ने उत्पत्ति को लिखा, और कम-से-कम 1,000 साल बाद प्रभु यीशु ने अपना कार्य शुरू किया। पौलुस बाइबल के लेखकों में से किसी को भी नहीं जानते थे। वे कैसे जान पाते कि उन लोगों के वचन परमेश्वर से प्रेरित थे? क्या वे लेखक पौलुस को बता सके थे कि उनके सभी वचन परमेश्वर से प्रेरित थे? इससे पता चलता है कि पौलुस ने जो कहा उसका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं है! उन्होंने जो कहा वह सिर्फ उनका बाइबल का निजी ज्ञान था। उन्होंने प्रभु यीशु का प्रतिनिधित्व नहीं किया और यही नहीं, पवित्र आत्मा का भी प्रतिनिधित्व नहीं किया। यही सच है! पौलुस के इन कथनों के आधार पर ही धार्मिक पादरी और एल्डर्स तय कर देते हैं कि बाइबल के सभी वचन परमेश्वर से प्रेरित हैं और परमेश्वर के वचन हैं। यह ऐतिहासिक तथ्य से बिल्कुल उल्टी बात है! प्रेरितों के युग में, प्रेरितों के पत्र कलीसिया को सौंपे जाने के बाद, सबने यही कहा होगा कि वे प्रेरितों के शब्द थे, भाई पौलुस के शब्द थे। किसी ने यह नहीं कहा होगा कि ये वचन परमेश्वर से प्रेरित थे या ये प्रभु यीशु के वचन थे। यहाँ तक कि खुद पौलुस ने भी यह कहने की हिम्मत नहीं की होगी कि उनके वचन परमेश्वर के वचन हैं, या वे परमेश्वर से प्रेरित हैं, ऐसा तो नहीं कहा होगा कि उन्होंने प्रभु यीशु की तरफ से बात की है। इसलिए, यह वाक्यांश "सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है।" सही साबित नहीं हो सकता! "सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है।" सिर्फ अकेले पौलुस ने कहा था, और यह सिर्फ पुराने नियम का हवाला देता है, फिर भी सब लोग इस पर यकीन करते हैं। लोग पौलुस के इस कथन पर क्यों यकीन करते हैं? अगर किसी और ने यह कहा होता तो क्या उन्हें यकीन होता? यह इस बात को साबित करने के लिए काफी है कि लोग पौलुस में बेहद अंधा यकीन करते हैं और उनकी आराधना करते हैं। पौलुस की हर बात को परमेश्वर का वचन मान लिया जाता है। क्या ये मनुष्य की धारणाएं और कल्पनाएँ नहीं हैं? इससे साफ़ पता चलता है कि लोगों के दिलों में प्रभु यीशु नहीं, सिर्फ पौलुस बसे हैं। ये सब ऐसे लोग हैं जो प्रभु से डरने और प्रभु का गुणगान करने के बजाय, मनुष्य की आराधना और उसका अनुसरण करते हैं।
"तोड़ डालो अफ़वाहों की ज़ंजीरें" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश
हिंदी बाइबल स्टडी—दस कुँवारियों का दृष्टान्त—प्रभु के स्वागत के लिए आपकी सहायता हेतु
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