चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु का दूसरा आगमन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं। हम सभी सत्य-के-साधकों का यहाँ आने और देखने के लिए स्वागत करते हैं।

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सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की मूलभूत मान्यताएँ

(1)  सर्वशक्तिमान परमेश्वर की  कलीसिया  के सिद्धांत ईसाई धर्म के सिद्धांत बाइबल से उत्पन्न होते हैं, और  सर्वशक्तिमान परमेश्वर  की क...

सोमवार, 19 अगस्त 2019

प्रश्न 7: अगर हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर के न्याय के कार्य को स्वीकार न करें, तो क्या हम वाकई स्वर्ग के पिता की इच्छा को पूरा कर सकते हैं? क्या हम वाकई स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं?

उत्तर: यदि इंसान केवल प्रभु यीशु के अनुग्रह के युग के छुटकारे के कार्य को स्वीकार करे, लेकिन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय और ताड़ना के कार्य को स्वीकार न करे, तो फिर वो अपने पापों से मुक्त नहीं हो पाएगा, स्वर्ग के पिता की इच्छा को पूरा नहीं कर पाएगा और परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर पाएगा। इसमें कोई शक नहीं है! क्योंकि अनुग्रह के युग में प्रभु यीशु ने अपना छुटकारे का कार्य किया था। उस समय लोगों के स्तर को देखते हुए, प्रभु यीशु ने उन्हें केवल पश्चाताप का मार्ग दिया, और लोगों से बस कुछ प्राथमिक सच्चाइयों को समझने और पथ पर चलने के लिये कहा। मिसाल के तौर पर: उन्होंने लोगों से कहा कि वो अपने पापों को स्वीकार करें, पश्चाताप करें और क्रूस धारण करें। उन्होंने लोगों को दीनता, संयम, प्रेम, उपवास और बपतिस्मा वगैरह सिखाया। इन्हीं कुछ सीमित सच्चाइयों को उस ज़माने के लोग समझ और हासिल कर सकते थे। प्रभु यीशु ने उनके सामने कभी भी ऐसी सच्चाई नहीं कही, जिनका संबंध जीवन स्वभाव को बदलने, बचाए जाने, निर्मल होने और पूर्ण होने से था, क्योंकि उस ज़माने में लोगों का स्तर ऐसा नहीं था कि वो उन सच्चाइयों को धारण कर पाते। इंसान को तब तक इंतज़ार करना चाहिये जब तक प्रभु यीशु अंत के दिनों में अपना कार्य करने के लिये लौटकर नहीं आते। वो दूषित इंसान को बचाने और उसे पूर्ण बनाने के लिये वो सारी सच्चाइयां प्रदान करेंगे, जो इंसान को बचाने और दूषित इंसान की ज़रूरतों के लिये परमेश्वर की प्रबंधन योजना के अनुसार हैं। जैसा कि प्रभु यीशु ने कहा था, "मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)। प्रभु यीशु के वचन बहुत स्पष्ट हैं। अनुग्रह के युग में, प्रभु यीशु ने दूषित लोगों को उन्हें बचाए जाने के लिये आवश्यक सत्य कभी नहीं बताए। अभी भी बहुत-सी गहरे और ऊंचे सत्य हैं, यानी प्रभु यीशु ने ऐसे बहुत-से सत्य इंसान को नहीं बताए जिनसे इंसान अपने शैतानी स्वभाव से मुक्त हो सकता है और पवित्रता हासिल कर सकता है, और ऐसे सत्य परमेश्वर को जानने के लिये इंसान को जिनका पालन करना ज़रूरी है। इसलिये, सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों में वो सारे सत्य व्यक्त कर देते हैं, जो इंसान को बचाने के लिये ज़रूरी हैं। जो लोग अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उद्धार को स्वीकार करते हैं, वे उनके न्याय, ताड़ना और निर्मलता के लिये इन सत्य का प्रयोग करते हैं। अंत में इन लोगों को पूर्ण बना दिया जाएगा और परमेश्वर के राज्य में ले जाया जाएगा। और इस तरह से इंसान को बचाने की परमेश्वर की प्रबंधन योजना पूरी हो जाएगी। अगर लोग केवल प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य को स्वीकार करते हैं, लेकिन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय के कार्य को स्वीकार नहीं करते, तो वे कभी भी न तो सत्य को पा सकेंगे और न ही अपने स्वभाव को बदल पाएंगे। वे कभी भी परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने वाले नहीं बन पाएंगे और परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने योग्य नहीं बन पाएंगे।
अंत के दिनों के लोगों को शैतान ने बुरी तरह से दूषित कर दिया है; उनमें शैतान का ज़हर भरा है। उनका नज़रिया, जीने के सिद्धांत, जीवन के प्रति दृष्टिकोण वगैरह, सब सत्य के विरुद्ध और परमेश्वर से बैर रखने वाले हैं। सभी लोग बुराई को पूजते हैं और परमेश्वर के दुश्मन बन गए हैं। अगर लोग पूरी तरह से दूषित शैतानी स्वभाव के हैं, और वचनों के ज़रिये सर्वशक्तिमान परमेश्वर के न्याय, ताड़ना, ताप और निर्मलता की अनुभूति नहीं करते है, तो वो शैतान से विद्रोह करके उनके प्रभाव से खुद को आज़ाद कैसे करेंगे? वो परमेश्वर को कैसे पूज सकते हैं, बुराई से कैसे दूर रह सकते हैं और परमेश्वर की इच्छा को कैसे पूरा कर सकते हैं? हमने देखा है कि बहुत से लोग प्रभु यीशु में बरसों से भरोसा करते आ रहे हैं, लेकिन बावजूद इसके कि वो लोग पूरी गर्मजोशी से यीशु की गवाही देते हैं वो उद्धारक है और बरसों से मेहनत भी कर रहे हैं, लेकिन वो परमेश्वर के धर्मी स्वभाव को नहीं जान पाए और न ही उन्हें पूज पाए, जिस कारण वो अभी भी परमेश्वर के कार्य को जाँचते हैं, निंदा करते हैं, नकारते हैं और जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों में अपना कार्य करते हैं तो वे परमेश्वर के लौटने को नामंज़ूर कर देते हैं। वे तो अंत के दिनों में मसीह के लौटने पर उन्हें फिर से सूली पर चढ़ा देते हैं। इससे ये पता चलता है कि अगर इंसान सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय और ताड़ना के कार्य को स्वीकार नहीं करता है तो, इंसान के पापों और शैतानी स्वभाव को कभी भी सुधारा नहीं जा सकेगा। परमेश्वर के प्रति उनका विरोध उन्हें बर्बाद कर देगा। इस सच्चाई को कोई नहीं झुठला सकता! विश्वासियों में से जो लोग ईमानदारी से अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय और ताड़ना को स्वीकार करेंगे, केवल वे ही लोग जीवन की तरह सत्य को पाएंगे, स्वर्ग के पिता की इच्छा को पूरा करने वाले बनेंगे, परमेश्वर को जानने वाले बनेंगे और परमेश्वर के साथ उनका तालमेल होगा। वही परमेश्वर की प्रतिज्ञा को साझा करने के काबिल होंगे और उनके राज्य में ले जाए जाएंगे।
"मर्मभेदी यादें" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश
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