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(1)  सर्वशक्तिमान परमेश्वर की  कलीसिया  के सिद्धांत ईसाई धर्म के सिद्धांत बाइबल से उत्पन्न होते हैं, और  सर्वशक्तिमान परमेश्वर  की क...

शुक्रवार, 10 जनवरी 2020

यूट्यूब के नोटिफिकेशन ने मुझे प्रभु से फिर से मिलाया

प्रभु यीशु की वापसी
लेखक-ली लैन, दक्षिण कोरिया
जीवन में, कभी-कभार संयोगवश घटने वाली घटनाओं के अप्रत्याशित परिणाम हो सकते हैं। कुछ माह पहले मेरे साथ कुछ अनपेक्षित और आश्चर्यजनक घटित हुआ: यूट्यूब के नोटिफिकेशन्स ने मुझे प्रभु से फिर से मिलाया।

जून की एक सुबह मैं जल्दी उठ गयी थी और अपने तकिए के पास रखी बाइबल के पन्नों को धीरे-धीरे पलट रही थी, और मैंने पढ़ा कि प्रभु यीशु ने फरीसियों को फटकारते हुए क्या कहा: "'मेरा घर प्रार्थना का घर कहलाएगा'; परन्तु तुम उसे डाकुओं की खोह बनाते हो" (मत्ती 21:13)। इसे पढ़ने के बाद मैं चिंतित हो गयी, क्योंकि मेरी कलीसिया की भी स्थिति, व्यवस्था के युग की समाप्ति के समय के उस मंदिर के जैसी ही हो गयी है: मेरी कलीसिया में, पादरी व एल्डर ने हमेशा हमें यह उपदेश दिया है कि विश्वासियों को एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए, लेकिन उन्होंने अपनी धार्मिक सभा के सदस्यों के लिए प्रार्थना की तो भेंट स्वरूप धन लिया, और कभी-कभार तो दी जाने वाली यह धनराशि तय करती है कि देने वाले के लिए उन्होंने कितनी देर प्रार्थना की है। कलीसिया को वह स्थान माना गया है जहां पर लोग परमेश्वर की आराधना करते हैं, और अब यह ऐसी जगह बन गया है जहां पर विश्वासी शादी करते हैं। विश्वासियों की संख्या दिन-ब-दिन घटती जा रही थी, और पादरी व एल्डर मन लगा कर उपदेश नहीं दे रहे थे या उनकी रुचि इसमें नहीं थी कि प्रभु के झुंड को कैसे सही दिशा दिखाएं बल्कि इसके स्थान पर वे शादियां कराने में अनंत आनंद पा रहे थे। मैं यह सोचने पर मजबूर थी कि: "पादरी और एल्डर प्रभु के मार्ग से भटक गए हैं और कलीसिया अब बाहरी दुनिया से अलग नहीं है। व्यवस्था के युग की समाप्ति के समय के मंदिर की ही तरह यह चोरों का अड्डा बन गया है। क्या प्रभु जब वापस आएंगे तो इस तरह की कलीसिया में उपस्थित भी होंगे?"
"बीप, बीप, बीप ..." एक अलार्म ने मेरे विचारों की श्रृंखला को तोड़ दिया। मैंने अपना सेलफोन उठाकर अलार्म बंद कर दिया, और अचानक मेरी निगाह मेरे फोन पर यूट्यूब के नोटिफिकेशन पर पड़ी। कुछ परिचित से शब्द "सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया" मेरी निगाह के सामने पड़े और मुझे लगा कि मैंने इनको पहले कहीं सुना हैं, लेकिन उस समय याद नहीं आ रहा था कि कहां। मैं बहुत हैरान थी और सोचने लगी: "मैंने यूट्यूब पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के वीडियो को कभी सब्सक्राइब नहीं किया, तो फिर यूट्यूब इस कलीसिया के बारे में मेरे पास नोटिफिकेशन क्यों भेजेगा?" अचानक मुझे याद आया कि लगभग एक महीने पहले, मेरा एक दोस्त मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में उनका एक उपदेश सुनवाने के लिए ले गया था। उनका उपदेश ताजगी भरा व रोशन करने वाला था, यह बाइबल के के अनुसार जीवन जीने के बारे में था, और मुझे काफी ताजगी भरा लगा। मैं इसकी जांच जारी रखना चाहती थी, लेकिन मेरे दोस्त ने मुझे बताया था कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया ने गवाही दी है कि प्रभु पहले ही देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में वापस आ चुके हैं, और पिछले कुछ दिनों से वे काम के नए चरण निष्पादित कर रहे हैं और अनेक सत्य व्यक्त कर रहे हैं। मेरे दोस्त ने मुझे यह भी बताया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के सभी विश्वासी सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त वचनों को पढ़ते हैं, न कि बाइबल को, और तब मैंने सोचा: "पादरी और एल्डर अक्सर हमारी सभा में कहते हैं कि परमेश्वर के ये सारे वचन बाइबल में हैं, और परमेश्वर के किसी कार्य या शब्द का बाइबल के बाहर होना संभव नहीं है। और तो और, हर काल के विश्वासियों ने बाइबल के माध्यम से प्रभु में विश्वास किया है—प्रभु का विश्वासी होने का अर्थ है बाइबल का विश्वासी होना, तो कोई भी किस तरह से बाइबल से पृथक हो कर प्रभु का विश्वासी हो सकता है?" मेरे दोस्त ने मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के और उपदेश सुनने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन मैंने हमेशा मना कर दिया। अपने सेलफोन के नोटिफिकेशन को देख कर, मैं आश्चर्यचकित थी: "मैंने कभी भी उनके वीडियो सब्सक्राइब नहीं किए, और फिर भी मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में नोटिफिकेशन्स मिलते हैं। क्या प्रभु ने इसकी व्यवस्था की है?" मैं अपनी राय पर कायम थी, इसलिए मैंने लिंक खोल कर सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के वीडियो को नहीं देखा।
मेरे लिए आश्चर्य वाली बात थी कि, उसके बाद कई दिनों तक मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के अपलोड किए हुए नए भजन व मूवीज की यूट्यूब की अनुशंसा के नोटिफिकेशन्स मिले। मैंने मन ही मन सोचा: "क्या प्रभु वाकई मेरा मार्गदर्शन करना चाहते हैं? क्या यह प्रभु की इच्छा है कि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के वीडियो देखूं?" और इसलिए, मैंने प्रभु से प्रार्थना की: "प्यारे प्रभु, मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में मेरे सेलफोन पर नोटिफिकेशन क्यों मिल रहे हैं? वे गवाही देते हैं कि आप पहले ही वापस आ चुके हैं, लेकिन क्या ये वाकई सत्य है? क्या मुझे ये वीडियो देखने चाहिए? हे प्रभु, मुझे मार्गदर्शन दें।" इसके बाद मैंने प्रभु यीशु के वचनों के बारे में सोचा: "धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है" (मत्ती 5:3)। "हाँ," मैंने सोचा। "प्रभु का आगमन बहुत महत्वपूर्ण है। अब जबकि मैंने यह समाचार सुन लिया है कि प्रभु वापस आ गए हैं तो मुझे खुले दिमाग से तलाश करनी चाहिए, ईमानदारी से जांच करनी चाहिए, अपने विवेक से काम लेना चाहिए और देखना चाहिए कि क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर वाकई लौटकर आए प्रभु यीशु हैं या नहीं। यदि मैं तलाश और जांच नहीं करुंगी और ऐसा हुआ कि प्रभु वाकई लौट आए हैं तो क्या मैं प्रभु से पुनर्मिलन के अवसर को खो नहीं दूंगी?" इस पर विचार करते हुए, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के वीडियो को देखने का निर्णय लिया। प्रभु का धन्यवाद! अगर मैं उनको ना देखती तो मुझे कभी पता नहीं चलता। इन वीडियो को देखने के बाद ही मुझे पता चला कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के यूट्यूब चैनल पर हर वो चीज है जिसकी किसी को इच्छा हो सकती है, और यहां पर ये प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है! सुसमाचार वाली मूवीज, सामूहिक कार्यक्रम, संगीत वीडियो, भजन व बहुत कुछ उपलब्ध है। भिन्न-भिन्न प्रकार के गीतों और सुसमाचार मूवीज ने मेरा ध्यान फौरन आकर्षित किया, और विशेष रूप से भजन "मेरे प्रिय, इंतज़ार करो मेरा" के वीडियो ने मुझे गहराई तक छुआ। जब मैंने इसे देखा तो मैं अपने पिछले कुछ वर्षों के अनुभवों पर विचार करने से खुद को रोक ना सकी, जब मैं अपने एकाकीपन के कारण पवित्र आत्मा के कार्य वाली कलीसिया की हर जगह तलाश करती फिर रही थी। मैं जितने अधिक वीडियो देख रही थी, उतने ही और देखने की इच्छा हो रही थी। मुझे बहुत अधिक संतोष महसूस हो रहा था, और मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को और जानना व समझना चाहती थी।
यूट्यूब के नोटिफिकेशन ने मुझे प्रभु से फिर से मिलाया
एक दिन, मैंने सुसमाचार वाली मूवी मेरा प्रभु कौन है से ली गयी परमेश्वर और बाइबल के बीच क्या संबंध है? शीर्षक वाली निराली क्लिप को देखा। इस वीडियो में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के अंश ने मुझ पर बहुत गहरा असल डाला: "उनके लिये मेरे अस्तित्व का दायरा मात्र बाइबल तक ही सीमित है। उनके लिए, मैं बस बाइबल के समान ही हूँ; बाइबल के बिना मैं भी नहीं हूँ, और मेरे बिना बाइबल भी नहीं है। वे मेरे अस्तित्व या क्रियाओं पर कोई भी ध्यान नहीं देते, परन्तु इसके बजाय, पवित्रशास्त्र के हर एक वचन पर बहुत अधिक और विशेष ध्यान देते हैं, और उनमें से कई एक तो यहाँ तक मानते हैं कि मुझे मेरी चाहत के अनुसार, ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए जब तक वह पवित्रशास्त्र के द्वारा पहले से बताया गया न हो। वे पवित्रशास्त्र को बहुत अधिक महत्त्व देते हैं। यह कहा जा सकता है कि वे वचनों और उक्तियों को बहुत अधिक महत्वपूर्ण तरीकों से देखते हैं, इस हद कि हर एक वचन जो मैं बोलता हूं उसकी तुलना बाइबल की आयतों के साथ करते हैं, और उसका उपयोग मुझे दोषी ठहराने के लिए करते हैं। वे जिसकी खोज कर रहे हैं वह मेरे अनुकूल होने का रास्ता या ढंग नहीं है, या सत्य के अनुकूल होने का रास्ता नहीं है, बल्कि बाइबल के वचनों की अनुकूलता में होने का रास्ता है, और वे विश्वास करते हैं कि कोई भी बात जो बाइबल के अनुसार नहीं है, बिना किसी अपवाद के, मेरा कार्य नहीं है। क्या ऐसे लोग फरीसियों के कर्तव्यनिष्ठ वंशज नहीं हैं? यहूदी फरीसी यीशु को दोषी ठहराने के लिए मूसा की व्यवस्था का उपयोग करते थे। उन्होंने उस समय के यीशु के अनुकूल होने की खोज नहीं की, बल्कि नियम का अक्षरशः पालन कर्मठतापूर्वक किया, इस हद तक किया कि अंततः उन्होंने निर्दोष यीशु को, पुराने नियम की व्यवस्था का पालन न करने और मसीहा न होने का आरोप लगाते हुए, क्रूस पर चढ़ा दिया। उनका सारतत्व क्या था? क्या यह ऐसा नहीं था कि उन्होंने सत्य के अनुकूल होने के मार्ग की खोज नहीं की? उनमें पवित्रशास्त्र के हर एक वचन का जुनून सवार हो गया था, जबकि मेरी इच्छा और मेरे कार्य के चरणों और कार्य की विधियों पर कोई भी ध्यान नहीं दिया। ये वे लोग नहीं थे जो सत्य को खोज रहे थे, बल्कि ये वे लोग थे जो कठोरता से पवित्रशास्त्र के वचनों का पालन करते थे; ये वे लोग नहीं थे जो सत्य की खोज करते थे, बल्कि ये वे लोग थे जो बाइबल में विश्वास करते थे। दरअसल वे बाइबल के रक्षक थे" ("वचन देह में प्रकट होता है" में "तुम्हें मसीह की अनुकूलता में होने के तरीके की खोज करनी चाहिए")। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों ने बाइबल के प्रति हमारे मनोभाव को पूरी स्पष्टता से खोल कर रख दिया। अपने दिल में, मैं बाइबल को सबसे ऊपर रखती थी है; मैंमानती थी कि प्रभु के सारे वचन बाइबल में हैं और इसलिए बाइबल ही प्रभु का प्रतिनिधित्व करती है, प्रभु में विश्वास होने का अर्थ है बाइबल में विश्वास होना, और बाइबल से दूर जाने का अर्थ है कि व्यक्ति संभवतः प्रभु में विश्वास नहीं करता है। हालांकि, अभी भी कुछ ऐसा था जिसे मैं समझ नहीं सकी: बाइबल प्रभु की गवाही है, यह हमारे विश्वास के आधार का निर्माण करती है, हम ईसाइयों ने प्रभु में बाइबल पर अपना विश्वास दो हजार वर्षों से कायम रखा है, और किसी ने भी कभी भी बाइबल को प्रभु के विश्वास से अलग नहीं किया है—फिर क्यों सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में यह कहा गया है कि बाइबल को परमेश्वर के बराबर नहीं माना जा सकता? इसका क्या अर्थ है?
मैंने वीडियो देखना जारी रखा और उसके बाद, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के एक भाई ने सहभागिता करते हुए बताया, "आइए मिलकर विचार करें: प्रभु में विश्वास रखने का मतलब क्या है? बाइबल में विश्वास करने का अर्थ क्या है? बाइबल और प्रभु के बीच क्या संबंध है? पहले कौन आया, बाइबल या प्रभु? तो फिर वह कौन है जो उद्धार का कार्य करता है? तब क्या बाइबल प्रभु के द्वारा किये जाने वाले कार्य की जगह ले सकती है? क्या बाइबल प्रभु का प्रतिनिधित्व कर सकती है? यदि लोग बाइबल पर अंधाविश्वास करें और बाइबल की आराधना करें, तो क्या इसका मतलब यह है कि वे परमेश्वर में विश्वास करते हैं और उनकी आराधना करते हैं? क्या बाइबल का अनुसरण करना परमेश्वर के वचन का अभ्यास करने और अनुभव करने समान है? क्या बाइबल का अनुसरण करने का आवश्यक रूप से यही मतलब है कि वह प्रभु का अनुसरण कर रहा है? इसलिए यदि लोग नहीं कर सकती। को हर चीज के पहले रखें, तो क्या इसका मतलब यह है कि वह प्रभु को महान मानकर उनकी आराधना करते हैं, कि वह प्रभु का आदर करते हैं और उनके आज्ञाकारी हैं? हजारों सालों तक, लोग बाइबल की अंधवत् आराधना करते आ रहे हैं और बाइबल को वही दर्जा दे रहे हैं जो वे प्रभु को देते हैं। कुछ लोग तो बाइबल का उपयोग प्रभु और उनके कार्यों के बदले में भी लेते हैं, लेकिन कोई भी प्रभु को सच में नहीं जानता और उनके प्रति आज्ञाकारी नहीं है। फरीसियों ने बाइबिल का अनुसरण किया, फिर भी उन्होंने प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया। मुद्दा क्या था? क्या बाइबल को समझने का मतलब परमेश्वर को जानना है? क्या बाइबल का अनुसरण करने का मतलब परमेश्वर का अनुसरण करना है? फरीसr बाइबल की टीकाओं के विशेषज्ञ थे, लेकिन परमेश्वर को नहीं जानते थे। इसके बजाय, उन्होंने प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया जिन्होंने सत्य व्यक्त किया और छुटकारा दिलाने का कार्य किया। क्या हम वाकई यह भूल गए हैं? वास्तव में परमेश्वर को सच में जानने का मतलब क्या है? क्या सिर्फ बाइबल की व्याख्या करने और बाइबल के ज्ञान को समझने में सक्षम होना ही परमेश्वर को जानने के रूप में अर्हता प्राप्त करना है? यदि यही मसला है, तो फरीसियों ने क्यों प्रभु यीशु की निंदा की और उनका विरोध किया जबकि उसी समय उन्होंने बाइबल की व्याख्या भी की? इस इस बात की कुंजी कि क्या कोई सच में परमेश्वर को जानकर उनकी आज्ञा का पालन कर पाता है यह है कि क्या वह देहधारी मसीह को जानता और उनकी आज्ञा का पालन करता है या नहीं।"
जब मैने उस भाई के सवालों पर चिंतन किया, तो मुझे उनका उत्तर मेरे दिल में मिल गया: "निश्चय ही प्रभु पहले आए और फिर बाइबल, और बाइबल मानवता को बचाने का काम नहीं कर सकती। बाइबल, बाइबल है और प्रभु, प्रभु हैं। मैंने हमेशा माना है कि बाइबल प्रभु का प्रतिनिधित्व करती है, तो क्या मैंने बाइबल को प्रभु के ऊपर नहीं माना?" इस विचार के साथ ही मैं चौंक पड़ी, और मैंने सोचा: "क्योंकि प्रभु, प्रभु हैं और बाइबल, बाइबल है, तो क्या मैं पादरियों और एल्डर के कहे अनुसार बाइबल का पूजन करने और बाइबल को हर चीज़ से ऊपर रखने में प्रभु की इच्छा के अनुरूप व्यवहार कर रही हूँ?" लेकिन फिर मैंने सोचा: "अगर कोई व्यक्ति बाइबल को नहीं मानता, तो प्रभु में उसके विश्वास को, प्रभु में विश्वास रखना कैसे कहा जा सकता है? क्या यह गलत होगा कि हम प्रभु के प्रति हमारे विश्वास में बाइबल से चिपक गए?" ठीक तभी, प्रभु यीशु के कहे ये वचन दिमाग में आए: "तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते" (यूहन्ना 5:39-40)। इन वचनों पर विचार करते हुए, मुझे एहसास हुआ कि बाइबल तो बस परमेश्वर की गवाही है, और यदि किसी को प्रभु के अनुमोदन की जरूरत हो या जीवन हासिल करना हो, तो उसे प्रभु की तलाश करनी होगी! "ऐसा लगता है कि बाइबल दरअसल प्रभु का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती," मैंने सोचा। "हमारे जीवनदाता प्रभु हैं, बाइबल नहीं, और बाइबल में विश्वास का अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति का विश्वास प्रभु में हैं या वह प्रभु का अनुसरण करता है। यदि मैं बाइबल का अंधा अनुसरण करना और इसे पूजना जारी रखूं, और परमेश्वर के नए कार्य की तलाश या उनके प्रति समर्पण न करूँ, तो इस बात की काफी संभावना है कि अंत में मैं फरीसियों जैसी हो जाऊँगी और परमेश्वर को फिर से सलीब पर चढ़ा दूंगी! सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य का स्वरूप हैं और वे मेरी धारणाओं और जटिलताओं को हल करने में सक्षम हैं। मुझे ईमानदारी से जांच व तलाश करनी चाहिए जिससे कि मैं प्रभु के आगमन का स्वागत करने के अपने अवसर से चूक ना जाऊँ।" इस पर विचार करते हुए, मैंने अपने दोस्त से मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया ले चलने को कहा, जिससे कि मैं जाँच कर सकूँ।
यूट्यूब के नोटिफिकेशन ने मुझे प्रभु से फिर से मिलाया
जब मैं और मेरा दोस्त सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया पहुंचे तो उन भाइयों और बहनों से मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया, उसके बाद उन्होंने हमारे साथ बड़े धैर्य से संवाद किया। मैंने पूछा, "मैंने आपकी कलीसिया की वेबसाइट पर मूवीज और वीडियो देख कर काफी कुछ हासिल किया है, और मैंने पाया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य का स्वरूप हैं, वे मेरी समस्याओं और जटिलताओं का समाधान कर सकते हैं, और सत्य को समझने में मेरी मदद कर सकते हैं। लेकिन अभी भी कुछ ऐसा है जिसे मैं समझ नहीं पायी हूँ। पादरी और एल्डर अक्सर कहते हैं कि परमेश्वर के सारे वचन बाइबल में निहित हैं, और बाइबल परमेश्वर में हमारे विश्वास का आधार है, प्रभु के विश्वासी बाइबल से अलग नहीं हो सकते हैं। और फिर भी आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में वापस आए हैं, और यह कि वे अंत के दिनों में कार्य के नए चरण का निष्पादन कर रहे हैं और नए वचनों को व्यक्त कर रहे हैं—इस सब का क्या अर्थ है? क्या आप मुझे इस समस्या के संबंध में मार्गदर्शन दे सकते हैं?"
बहन झोउ ने बेहतरीन क्लिप को चला कर मेरे प्रश्न का उत्तर दिया, जिसका शीर्षक था क्या बाइबल में परमेश्‍वर के सभी कार्य और वचन हैं? जिसे मूवी मेरा प्रभु कौन है से लिया गया था। उस मूवी में उपदेशक ने यह कहते हुए मार्गदर्शन किया, "हम सभी जानते हैं, बाइबल के न्यू व ओल्ड टेस्टामेंट परमेश्वर के कार्य के दो चरणों का अभिलेख मात्र हैं। जहाँ तक व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग के दौरान के ईश्वर के वचनों और कार्य का प्रश्न है, क्या यहाँ कोई यह कहने का साहस कर सकता है कि बाइबल में संपूर्ण अभिलेख मौजूद है? क्या यहाँ कोई यह कहने का साहस कर सकता है कि परमेश्वर के सभी वचन व्यवस्था के युग के दौरान भविष्यद्वक्ताओं के माध्यम से प्रदान किए गए थे तथा अनुग्रह के युग के दौरान के प्रभु यीशु के सभी वचन बाइबल में अभिलिखित हैं? वस्तुतः आप सभी लोग अच्छी तरह जानते हैं कि प्रभु यीशु के कई वचन बाइबल में अभिलिखित नहीं हैं। बाइबल में अभिलिखित प्रभु यीशु के वचन तो हिमखंड का शीर्ष मात्र हैं! व्यवस्था के युग के कई भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकें बाइबल में शामिल नहीं की गई हैं। यह बात तो सभी स्वीकार करते हैं! आप लोग यह कैसे कह सकते हैं कि परमेश्वर के सभी वचन एवं कार्य, बाइबल में अभिलिखित हैं? क्या यह सत्य से साफ विरोधाभास नहीं है? इस अर्थ में तो, क्या आप लोग झूठे नहीं हैं? प्रभु यीशु ने कई बार यह भविष्यवाणी की थी कि वे दोबारा आएँगे। लौट कर आए प्रभु यीशु के वचन, उनके आने से पहले ही बाइबल में कैसे लिखे जा सकते थे? हमें बिल्कुल साफ होना चाहिए। बाइबल अतीत में परमेश्वर के कार्य का अभिलेख है। इसलिए ओल्ड टेस्टामेंट लिखने के कई वर्षों बाद, प्रभु यीशु आए और अनुग्रह के युग के दौरान छुटकारा दिलाने का कार्य किया। क्या यह सही नहीं है? मुझे बताएँ, क्या प्रभु यीशु के वचन स्वतः बाइबल में लिखे गए? परमेश्वर के वचनों और कार्य को पहले संकलित किया गया होगा, उसके बाद ही वे बाइबल की विषय-वस्तु बन सकते थे। अंतिम दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, परमेश्वर के घर से आरंभ करते हुए न्याय का कार्य करने आए हैं, और उन्होंने मानवजाति को शुद्ध करने और बचाने के लिए सभी सत्य व्यक्त किए हैं। क्या ये सत्य स्वतः बाइबल में प्रकट हो सकते थे? सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कलीसिया ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त सभी सत्यों का राज्य के युग की बाइबल, अर्थात्, वचन देह में प्रकट हुआ में संकलन किया। राज्य के युग की इस बाइबल में केवल परमेश्वर की अभिव्यक्तियाँ ही समाविष्ट हैं। आप कह सकते हैं कि वचन देह में प्रकट हुआ वह जीवन का शाश्वत तरीका है जिसे अंतिम दिनों में परमेश्वर द्वारा मनुष्य को उपहारस्वरूप दिया गया है। अतः यह विचार कि परमेश्वर के सभी वचन एवं कार्य, बाइबल में अभिलिखित हैं और परमेश्वर के शब्द और कार्य बाइबल के बाहर कहीं भी नहीं दिखेंगे त्रुटिपूर्ण, बेतुका और पूरी तरह मनुष्य के मतों और कल्पनाओं की उपज है।"
उस उपदेशक के संवाद को सुनने के बाद, मैंने महसूस किया कि उसने जो कुछ कहा वह तथ्यों के आधार पर सत्य है: बाइबल को परमेश्वर में हमारे विश्वास के संदर्भ पुस्तक के रूप में उपयोग किया जा सकता है, लेकिन यह प्रभु का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती, यह प्रभु के वचनों या कार्य का प्रतिनिधित्व तो कर ही नहीं सकती। मुझे पता था कि मुझे बाइबल के प्रति सही दृष्टिकोण रखना होगा, और बाइबल व प्रभु को समान स्थिति पर नहीं रखना चाहिए, इसे बाइबल के पेजों के अंदर परमेश्वर के कार्य और वचनों तक तो सीमित किया ही नहीं जा सकता। बाइबल, परमेश्वर के कार्य के पिछले दो चरणों का अभिलेख मात्र है, और यह व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग में परमेश्वर के कार्य को दर्ज करती है। लेकिन परमेश्वर तो इतने महान और असीमित हैं, फिर कैसे केवल यह एक किताब, बाइबल परमेश्वर के बारे में सब कुछ समाहित कर सकती है? यूहन्ना का सुसमाचार कहता है: "और भी बहुत से काम हैं, जो यीशु ने किए; यदि वे एक एक करके लिखे जाते, तो मैं समझता हूँ कि पुस्तकें जो लिखी जातीं वे संसार में भी न समातीं" (यूहन्ना 21:25)। अब ऐसा लगता है कि प्रभु यीशु का सारा कार्य और सारे वचन बाइबल में दर्ज ही नहीं हुए हैं, और मैं धार्मिक दुनिया के पादरियों और एल्डर द्वारा दी गयी व्याख्याओं को अपना रही थी, और विश्वास कर रही थी कि बाइबल में निहित वचनों के परे परमेश्वर का कोई कार्य या वचन नहीं हैं—इंसान की धारणाओं और विकल्पों से चिपकी हुई, मैं कितनी दृष्टिहीन मूर्ख थी। यह स्थिति कतई समर्थन योग्य नहीं थी!
मैंने वीडियो देखना जारी रखा, और उपदेशक ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के अनेक अंश पढ़े: "वह सब जो बाइबिल में लिखा है वह सीमित है और परमेश्वर के सम्पूर्ण कार्य का प्रतिनिधित्व करने में असमर्थ है। सुसमाचार की चारों पुस्तकों में कुल मिलाकर एक सौ से भी कम अध्याय हैं जिनमें एक सीमित संख्या में घटनाएँ लिखी हैं, जैसे यीशु का अंजीर के वृक्ष को शाप देना, पतरस का तीन बार प्रभु का इनकार करना, सलीब पर चढ़ाए जाने और पुनरुत्थान के बाद यीशु का चेलों को दर्शन देना, उपवास के बारे में शिक्षा, प्रार्थना के बारे में शिक्षा, तलाक के बारे में शिक्षा, यीशु का जन्म और वंशावली, यीशु द्वारा चेलों की नियुक्ति, इत्यादि। ये बस कुछ रचनाएँ ही हैं, फिर भी मनुष्य इन्हें ख़ज़ाने के रूप में महत्व देता है, यहाँ तक कि उनके मद्देनज़र आज के काम की भी जाँच करता है। वे यहाँ तक कि यह भी विश्वास करते हैं कि यीशु ने अपने जीवनकाल में सिर्फ इतना ही किया। मानो कि परमेश्वर केवल इतना ही कर सकता है, इससे अधिक कार्य नहीं कर सकता है। क्या यह बेतुका नहीं है?" ("वचन देह में प्रकट होता है" में "देहधारण का रहस्य (1)")। "उस समय, यीशु ने अनुग्रह के युग में अपने अनुयायियों को उपदेशों की एक श्रृंखला कही, जैसे कि कैसे अभ्यास करें, कैसे एक साथ इकट्ठा हों, प्रार्थना में कैसे माँगें, दूसरों के साथ कैसे व्यवहार करें इत्यादि। जो कार्य उसने किया वह अनुग्रह के युग का था, और उन्होंने केवल यह प्रतिपादित किया कि शिष्य और वे लोग जिन्होंने परमेश्वर का अनुसरण किया, कैसे अभ्यास करें। उसने केवल अनुग्रह के युग का ही कार्य किया और अंत के दिनों का कोई कार्य नहीं किया। ... प्रत्येक युग में परमेश्वर के कार्य की स्पष्ट सीमाएँ हैं; वह केवल वर्तमान युग का कार्य करता है और वह कभी भी कार्य का आगामी चरण अग्रिम में नहीं करता है। केवल इस तरह से उसका प्रत्येक युग का प्रतिनिधि कार्य सामने लाया जा सकता है। यीशु ने अंत के दिनों के केवल चिह्नों के बारे में बात की, इस बारे में बात की कि किस प्रकार से धैर्यवान बनें और कैसे बचाए जाएँ, कैसे पश्चाताप करें और स्वीकार करें, और साथ ही सलीब को कैसे सहें, और साथ ही पीड़ाओं को कैसे सहन करें; उन्होंने कभी भी नहीं कहा कि अंत के दिनों में मनुष्य को किस प्रकार प्रवेश करना चाहिए या परमेश्वर की इच्छा को किस प्रकार से संतुष्ट करें। वैसे तो, क्या अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को बाइबल के अंदर खोजना भ्रान्ति का कार्य नहीं होगा? बाइबल को केवल अपने हाथों में पकड़कर तुम क्या विचार कर सकते हो? बाइबल का व्याख्याता हो या उपदेशक, आज के कार्य को कौन पहले से जान सकता है?" ("वचन देह में प्रकट होता है" में "मनुष्य, जिसने परमेश्वर को अपनी ही धारणाओं में सीमित कर दिया है, वह किस प्रकार उसके प्रकटनों को प्राप्त कर सकता है?")। "यदि तुम व्यवस्था के युग के कार्य को देखने की इच्छा करते हो, और यह देखना चाहते हो कि इज़राइली किस प्रकार यहोवा के मार्ग का अनुसरण करते थे, तो तुम्हें पुराना विधान अवश्य पढ़ना चाहिए; यदि तुम अनुग्रह के युग के कार्य को समझना चाहते हो, तो तुम्हें नया विधान अवश्य पढ़ना चाहिए। किन्तु तुम अंतिम दिनों के कार्य को किस प्रकार देखते हो? तुम्हें आज के परमेश्वर की अगुआई को स्वीकार अवश्य करना चाहिए, और आज के कार्य में प्रवेश करना चाहिए, क्योंकि यह नया कार्य है, और किसी ने भी पूर्व में इसे बाइबल में दर्ज नहीं किया है। आज, परमेश्वर देहधारी हो चुका है और उसने चीन में अन्य चयनित लोगों को छाँट लिया है। परमेश्वर इन लोगों में कार्य करता है, वह पृथ्वी पर अपने काम को निरन्तर जारी रखता है, और अनुग्रह के युग के कार्य को जारी रखता है। आज का कार्य एक मार्ग है जिस पर मनुष्य कभी नहीं चला, और एक तरीका है जिसे किसी ने कभी नहीं देखा है। यह वह कार्य है जिसे पहले कभी नहीं किया गया है—यह पृथ्वी पर परमेश्वर का नवीनतम कार्य है। ... बाइबल ऐसे कार्य के सुस्पष्ट अभिलेखों को कैसे समाविष्ट कर सकती है? कौन आज के कार्य के प्रत्येक अंश को, बिना किसी चूक के, पहले से ही दर्ज कर सका होगा? कौन इस अति पराक्रमी, अति बुद्धिमत्तापूर्ण कार्य जो परम्परा के विरुद्ध जाता है, को इस पुरानी घिसीपिटी पुस्तक में दर्ज कर सकता है? आज का कार्य इतिहास नहीं है, और वैसे तो, यदि तुम आज के नए पथ पर चलने की इच्छा करते हो, तो तुम्हें बाइबल से दूर अवश्य जाना चाहिए, तुम्हें बाइबल की भविष्यवाणियों या इतिहास की पुस्तकों के परे अवश्य जाना चाहिए। केवल तभी तुम इस नए मार्ग पर उचित तरीके से चल पाओगे, और केवल तभी तुम एक नए राज्य और नए कार्य में प्रवेश कर पाओगे" ("वचन देह में प्रकट होता है" में "बाइबल के विषय में (1)")।
यूट्यूब के नोटिफिकेशन ने मुझे प्रभु से फिर से मिलाया
उपदेशक द्वारा परमेश्वर के वचनों का वाचन समाप्त होने के बाद मूवी में एक भाई ने संवाद किया, "सर्वशक्तिमान परमेश्वर का वचन सत्य से पूर्णतः मेल खाता है। बाइबल व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग के दौरान के ईश्वर के वचनों और कार्यों का एक अभिलेख मात्र है। अंतिम दिनों के परमेश्वर के वचन एवं कार्य बाइबल में पहले से नहीं लिखे जा सकते थे। हम यह दावा किया करते थे कि परमेश्वर के सभी वचन एवं कार्य केवल बाइबल के अंदर ही पाए जा सकते हैं। पर यह बात परमेश्वर के कार्य के सत्य के साथ मेल नहीं खाती है।" परमेश्वर के वचनों और भाई सहभागिता को सुनने के बाद मैं सहमति में अपने सिर को हिलाने से खुद को रोक नहीं पायी। मैंने मन ही मन सोचा: "यह सही है। कोई किस तरह से बाइबिल में उस काम के बारे में लिख सकता है जिसे परमेश्वर को अभी करना है? अब जा कर मैं प्रकाशित-वाक्य के पांचवें अध्याय के पांचवे पद को समझ पायी जो कहता है: 'इस पर उन प्राचीनों में से एक ने मुझ से कहा, "मत रो; देख, यहूदा के गोत्र का वह सिंह जो दाऊद का मूल है, उस पुस्तक को खोलने और उसकी सातों मुहरें तोड़ने के लिये जयवन्त हुआ है"' (प्रकाशितवाक्य 5:5)। यहां पर यह कहता है कि सात मुहरों से सील की गयी यह किताब केवल तब खोली जा सकती है जब अंत के दिनों में प्रभु वापस आएँगे, तो क्या यह इस बात को नहीं दर्शाता कि, प्रभु के ऐसे वचन जिन्हें कहा जाना है और ऐसे कार्य जिन्हें किया जाना बाइबल में दर्ज नहीं किए गए हैं?" इस पर विचार करते हुए मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में पहले जांच ना करने का पछतावा हुआ। मुझे सचमुच पादरियों और एल्डर का आँख बंद करके पालन नहीं करना चाहिए था और अपनी धारणाओं और कल्पनाओं पर भरोसा करते हुए परमेश्वर के काम को परिसीमित नहीं करना चाहिए था।
बहन झोउ ने मुझसे सहभागिता की और कहा, "बहन अब जब कि हम इस वीडियो को देख चुके हैं, हम समझ गए हैं कि बाइबल मात्र परमेश्वर के पिछले कार्य का अभिलेख और परमेश्वर के कार्य की गवाही है, और यह अंत के दिनों में मानवता को बचाने के लिए किए जाने वाले परमेश्वर के कार्य का स्थान नहीं ले सकती। परमेश्वर का कार्य हमेशा आगे बढ़ रहा है, और आज सर्वशक्तिमान परमेश्वर कार्य के नए चरण को कर रहे हैं, अर्थात प्रभु यीशु के छुटकारा दिलाने वाले कार्य की नींव पर राज्य के युग में न्याय और ताड़ना देने के लिए वचनों के उपयोग का कार्य। यह पूरी तरह से बाइबल की भविष्यवाणियों को पूरा करता है, 'यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा' (यूहन्ना 12:47-48)। 'क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए' (1 पतरस 4:17)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के वचन व कार्य बाइबल को नकारते नहीं है, बल्कि व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग में परमेश्वर के वचनों और कार्य से अधिक गहरे व उच्चतर स्तर पर हैं, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य हमारी वर्तमान जरूरतों के लिए अधिक उपयुक्त है। वचन देह में प्रकट होता है—सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन राज्य के युग की बाइबल हैं। ये वचन अनंत जीवन का का वह मार्ग है, जो परमेश्वर मानवता को अंत के दिनों में प्रदान करते हैं, ये परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के रहस्य और परमेश्वर के देहधारण के रहस्य का खुलासा करते हैं, परमेश्वर के स्वभाव को, उनके पास क्या है और वे क्या हैं, और उनकी सर्वशक्तिमत्ता व विवेक को व्यक्त करते हैं। दूसरी चीजों के साथ, वे हमें परमेश्वर के उत्कर्ष का, परमेश्वर की गवाही देने का, और परमेश्वर की सेवा करने का मार्ग दिखाते हैं, सत्य की वास्तविकता में दाखिल होने का मार्ग, और पूर्ण उद्धार हासिल करने व पूर्ण होने का मार्ग दिखाते हैं। जब हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार करते हैं, परमेश्वर के कार्य के साथ गति बनाए रखते हैं, और परमेश्वर के वर्तमान वचनों से पोषण हासिल करते हैं, तभी हम पवित्र आत्मा का कार्य हासिल कर सकते हैं। यदि हम हमेशा बाइबल से ही चिपके रहें, और परमेश्वर के कार्य और अंत के दिनों के कथनों को स्वीकार करने या परमेश्वर के कार्य के चरणों का पालन करने से से इंकार कर दें, तब हम ज़िंदगी के जीवन-जल के उस प्रावधान को हासिल करने में अक्षम रहेंगे, जिसे परमेश्वर ने हमें अर्पित किया है, और हमें उखाड़कर त्याग दिया जाएगा। अब, सभी धर्म और संप्रदाय तेजी से उजड़ रहे हैं। क्योंकि उन्होंने परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य के साथ सामन्जस्य नहीं बैठाया है, इसलिए उन्होंने परमेश्वर के वर्तमान वचनों से प्रावधान प्राप्त नहीं किया, और इसीलिए वे खुद को बाहर निकलने की राह से वंचित होकर जंगल में भटका हुआ पाते हैं...।"
सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाइयों और बहनों की सहभागिता से मैंने यह महसूस किया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अंत के दिनों का कार्य पूरी तरह से बाइबल की भविष्यवाणियों के अनुरूप है और बाइबल से कतई पृथक नहीं होता है। बजाय इसके, परमेश्वर हमारी जरूरतों के अनुसार एक नया, उच्चतर कार्य करते हैं, जिससे कि हम पापों के बंधनों को हमेशा-हमेशा के लिए तोड़ सकें, शुद्ध हो सकें और परमेश्वर द्वारा बचाए जा सकें, और परमेश्वर के सत्य और जीवन को हासिल कर सकें। मैंने यह भी समझा कि क्यों धार्मिक दुनिया अधिकाधिक उजाड़ और मूल्यहीन होती जा रही है और मेरी आत्मा हमेशा इतना शुष्क क्यों महसूस करती थी। ऐसा इसलिए क्योंकि हम अहंकारी और अभिमानी हैं और हम अपनी धारणाओं से चिपके रहते हैं, परमेश्वर के वचनों और कार्य को बाइबल के पृष्ठों तक सीमित कर देते हैं, और परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्यों की तलाश नहीं करते या उन्हें स्वीकार नहीं करते, और मेमने के पदचिह्नों के साथ सामन्जस्य नहीं रखते हैं। उन भाइयों और बहनों ने फिर मुझसे सभी तरह के सत्यों के बारे में सहभागिता की और परमेश्वर के वचनों ने एक-एक करके मेरी समस्याओं और जटिलताओं का समाधान कर दिया। मैं पूर्णतः सुनिश्चित हो गयी कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु हैं और वे वापस आ गए हैं, और मेरा दिल प्रभु के आभार से भर गया।
यूट्यूब के नोटिफिकेशन ने मुझे प्रभु से फिर से मिलाया
परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार करने के बाद, मैंने कलीसिया जीवन में सक्रिय रूप से हिस्सेदारी की और परमेश्वर क वचनों द्वारा सिंचित और पोषित होकर और भाइयों व बहनों के साथ संवाद करके, मुझे अनेक सत्य और रहस्य समझ में आए जिनको मैंने पहले कभी नहीं समझा था, और मेरी आत्मा संतुष्ट हो गयी। मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैं परमेश्वर के अधिकाधिक नजदीक जा रही हूँ, मेरा हृदय अधिकाधिक प्रकाश से भरता जा रहा था और हर रोज मुझे शांति और आनंद की प्रचुरता का एहसास हो रहा था। कभी-कभार जब मैंने इस बारे में विचार किया कि मैं किस तरह से बाइबल से चिपकी रही, कि मैंने किस तरह परमेश्वर के वचनों और कार्य को बाइबल के पेजों में परिसीमित कर दिया था और परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की तलाश या जांच से इंकार कर दिया था, मुझे बहुत अधिक पछतावा हो रहा था और मैं परमेश्वर की बेहद ऋणी महसूस कर रही थी—मैंने देखा कि मैं कितनी दृष्टिहीन और अज्ञानी थी! यदि परमेश्वर ने यूट्यूब का उपयोग करके सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में नोटिफिकेशन्स भेज कर मुझ पर दया नहीं की होती और मुझे बचाया न होता, और इस प्रकार से परमेश्वर की आवाज सुनने के लिए मुझे मार्ग न दिखाया होता तो मैं अभी भी आँखें बंद करके पादरियों और एल्डर के पीछे चल रही होती, और परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की तलाश और जांच नहीं करती। उस स्थिति में, मैं सौ वर्षों तक बाइबल पढ़ती रहती और फिर भी प्रभु की वापसी का स्वागत करने में अक्षम रहती। मैं आज परमेश्वर के नेतृत्व और मार्गदर्शन के कारण ही अंत के दिनों में परमेश्वर के उद्धार को हासिल करने में सक्षम हुई, और यह परमेश्वर का चमत्कारी उद्धार है। परमेश्वर का धन्यवाद!

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