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सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की मूलभूत मान्यताएँ

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मंगलवार, 3 दिसंबर 2019

आत्मा की बेड़ियों से मुक्त होना

वू वेन झेंगझोउ शहर, हेनान प्रांत
मैं एक संवेदनशील स्वभाव वाली एक कमज़ोर व्यक्ति थी। जब मैं परमेश्वर पर विश्वास नहीं करती थी, तब मैं अपने जीवन में आने वाली चीजों से बार-बार निराश और परेशान हो जाती थी। ऐसे कई समय आए, और मुझे हमेशा लगता था कि मेरा जीवन कठिन है; मेरे दिल में बात कोई आनंद नहीं था, बात करने लायक कोई खुशी नहीं थी। यह दर्द बिल्कुल बेड़ियों जैसा था जो हमेशा मुझे कसकर बांधे रखता था, जिससे मैं बहुत दुखी रहती थी। सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने के बाद ही मैंने परमेश्वर के वचनों में समस्या की जड़ पायी और धीरे-धीरे इससे छुटकारा पाया।

क्योंकि लोग स्वयं को बहुत अधिक प्यार करते हैं, इसलिए उनके पूरे जीवन दुःखमय और खोखले होते हैं" ("वचन देह में प्रकट होता है" में संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन के "अध्याय 46")। उस समय, ऐसा लगता था कि मुझे मेरे दुःख का कारण पता है—मैं बहुत दंभी थी। मैं अक्सर किसी दूसरे व्यक्ति के कुछ अप्रिय वचनों से या उसकी कपटी नज़र से परेशान हो जाती थी और पीड़ा महसूस करती थी। जब मेरे साथ निपटा जाता था और मेरी काट-छाँट की जाती थी तो मैं आहत और दुःखी महसूस करती थी क्योंकि मेरे मान-सम्मान को चोट पहुँची थी और मुझे लगता था कि मैंने अपनी प्रतिष्ठा खो दी है। मैं जीवन में अपने भविष्य के मार्ग को लेकर चिंतित थी। ...क्या यह सब इसलिए नहीं था क्योंकि मैं अपनी स्वयं की प्रतिष्ठा, हैसियत, महत्वाकांक्षा, इच्छाओं और भविष्य की नियति को लेकर बहुत ज्यादा परवाह करती थी? जहाँ तक इन प्रकाशनों की बात है, अतीत में, मैं केवल यह सोचती थी कि ऐसा इसलिए है क्योंकि मेरे दिल और मन में बहुत सी चीज़ें थीं, कि मेरे विचार बोझिल थे, कि इज्जत बचाना मेरे लिए महत्वपूर्ण था, और मैं सतही थी, लेकिन मैंने प्रवेश करने के मार्ग की समस्या को हल नहीं किया था। क्या ऐसा हो सकता था कि क्योंकि मैं बहुत दंभी थी, इसलिए मैं शैतान के बंधन में बँधे हुए, उसकी पीड़ा के बीच जीती थी? मैं चुपचाप अपने दिल के भीतर तलाश करती थी। बाद में, जब मैं परमेश्वर के इन वचनों पर नज़र डाल रही थी कि "अंधकार के प्रभाव से बच निकलें और आप परमेश्वर द्वारा जीत लिए जाएँगे," तो मैंने परमेश्वर के इन वचनों को देखा: "वे मनुष्य जिन्हें मुक्त नहीं किया गया है, जो हमेशा कुछ चीजों के द्वारा नियंत्रित होते हैं, अपने ह्रदय को परमेश्वर को नहीं दे पाते है, ये वे मनुष्य हैं जो शैतान के बंधन के अधीन हैं, और वे मौत के वातावरण में रह रहे हैं" (वचन देह में प्रकट होता है)। मैंने सोचा: क्या यही वास्तव में मेरी स्थिति नहीं है? मैं और अधिक निश्चित हो गई। इसके बाद, मैंने परमेश्वर के और वचनों को देखा: "अंधकार के प्रभाव से बच निकलने के लिए, पहले आपको परमेश्वर के प्रति वफादार अवश्य होना चाहिए और सत्य का अनुसरण करने की उत्सुकता अवश्य होनी चाहिए, तभी आपके पास सही परिस्थिति होगी। अंधकार के प्रभाव से बच निकलने के लिए सही परिस्थिति में रहना जरूरी है। सही परिस्थिति न होने का मतलब है कि आप ईश्वर के प्रति वफादार नहीं हैं और आपमें सच्चाई की खोज करने को उत्सुकता नहीं है, फिर अंधकार के प्रभाव से बच निकलने का तो प्रश्न ही नहीं उठता है। अंधकार के प्रभाव से मनुष्य का बच निकलना मेरे वचनों पर आधारित है, और अगर मनुष्य मेरे वचनों के अनुसार अभ्यास नहीं कर सकता है, तो मनुष्य अंधकार के प्रभाव के बंधन से बच निकल नहीं सकता है। सही परिस्थिति में जीने का अर्थ है परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन में जीना, परमेश्वर के प्रति वफादार होने की परिस्थिति में जीना, सत्य को खोजने की परिस्थिति में जीना, ईमानदारी से परमेश्वर के लिए खर्च करने की वास्तविकता में जीना, वास्तव में परमेश्वर के प्यार की स्थिति में जीना। जो लोग इन परिस्थितियों में और इस वास्तविकता के भीतर रहते हैं, वे धीरे-धीरे रूपांतरित हो जाते हैं, जैसे-जैसे वे सत्य में अधिक गहराई से प्रवेश करते हैं, और वे परमेश्वर के काम की गहराई के साथ रूपांतरित हो जाते हैं, जब तक कि अंततः वे परमेश्वर द्वारा निश्चित रूप से जीत नहीं लिए जाएँगे, और वे परमेश्वर से वास्तव में प्यार नहीं करने लगेंगे" (वचन देह में प्रकट होता है)। इसे पढ़कर, मुझे लगा कि मेरा दिल उज्ज्वल हो गया है। जब लोग खुद से प्यार करते हैं, तो संभवतः वे परमेश्वर के साथ उचित संबंध नहीं रख सकते हैं, और सत्य का अनुसरण करने के लिए उनका दिल उतना बड़ा नहीं हो सकता है। अंत में, उनके दंभ के कारण, वे शैतान के अधिकार क्षेत्र में रहकर खुद को बर्बाद कर लेंगे। परमेश्वर के वचनों से मिली प्रबुद्धता का धन्यवाद, जिन्होंने मुझे मेरी अपनीखतरनाक स्थिति को देखने दिया और यह कि अंधकार के प्रभाव से पीछा छुड़ाने का एक मार्ग है, इसके लिए सत्य का अनुसरण करने का दिल होना चाहिए, समस्याओं का सामना करने पर वास्तव में परमेश्वर की ओर देखना और उन पर निर्भर होना चाहिए, परमेश्वर के वचनों को ज़्यादा पढ़ना चाहिये, परमेश्वर के वचनों में सत्य के सिद्धांत खोजने चाहिए और सदा परमेश्वर के प्रति निष्ठावान होना चाहिए। पवित्र आत्मा का कार्य प्राप्त करने पर, सत्य में मानव जाति के प्रवेश के साथ उनके भीतर की भ्रष्टता बदल सकती है। यह पवित्र आत्मा के कार्य करने का तरीका है। लेकिन मैंने इस पहलू की उपेक्षा कर दी थी, मैं केवल खुद के दम पर अपनी भ्रष्टता से निपटने की निष्क्रिय कोशिश कर रही थी, और स्वयं को बदलने के लिए पवित्र आत्मा के कार्य पर पूरी तरह से भरोसा नहीं कर रही थी। कोई आश्चर्य नहीं कि मैंने केवल अस्थायी संयम हासिल किया था; मैंने इस स्थिति को इसकी जड़ से हल नहीं किया था। जैसा कि परमेश्वर के वचन कहते हैं: "लोग जितना अधिक परमेश्वर की उपस्थिति में हों, उनका परमेश्वर के द्वारा सिद्ध होना उतना ही आसान होगा। यह वह मार्ग है जिसके द्वारा पवित्र आत्मा अपना कार्य करता है। यदि तुम इसे समझ नहीं पाते हो, तो सही रास्ते पर प्रवेश करना तुम्हारे लिए असंभव होगा, और परमेश्वर द्वारा सिद्ध किया जाना नामुमकिन होगा। ...केवल अपनी कड़ी मेहनत के भरोसे और परमेश्वर का कोई भी कार्य नहीं होगा। क्या यह तुम्हारे अनुभव के साथ कुछ गलत नहीं होगा?" ("वचन देह में प्रकट होता है" में "अनुभव पर")। इसे समझने के बाद, मैंने खुद को और भी अधिक होशहवाश के साथ इस मार्ग पर रख दिया, खुद को त्याग दिया, अपनी भावनाओं और विचारों पर ध्यान नहीं देती थी; इसके बजाय, मैंने सत्य की तलाश करने, श्रद्धापूर्वक अपने कर्तव्य को पूरा करने, परमेश्वर के वचनों के बारे में और अधिक चिंतन करने का अभ्यास करने, अपने कार्यों में परमेश्वर के वचनों पर भरोसा करने, खुद को सही स्थिति में जीने देने की ओर अपना दिल लगा दिया था। यद्यपि, मेरे विशिष्ट अभ्यास में ऐसा कई बार हुआ है कि मैंने पूर्णतः सही तरीके से कार्य नहीं किया है, तब भी मैंने मुक्ति और प्रकाश में रहने की स्वतंत्रता को महसूस किया है और मैंने पवित्र आत्मा के कार्य का आनंद लिया है। मैं न केवल अपनी भ्रष्टता और कमियों को देखने में सक्षम हुई हूँ, बल्कि मैंने जल्द ही बदलाव लाने की लालसा का संकल्प लिया है और मुझे सच्चाई का अभ्यास करने की प्रेरणा मिली है। मेरा दृष्टिकोण भी बदल गया है; मैं अब और निराशाजनक, उदास और बेजान नहीं रहती हूँ, बल्कि मेरे दिल में जीवन शक्ति और उत्साह है। मैं और अधिक खुशदिल भी हो गई हूँ, और मैं कलीसिया में रहने से बहुत खुशी महसूस करती हूँ!
निस्संदेह, मुझमें भ्रष्टता का यह पहलू बहुत गहरा है और इन चीज़ों को कुछ बार ही अभ्यास में लाने से शैतान के प्रभाव से पूरी तरह से पीछा छुड़ाना संभव नहीं है। हालाँकि, परमेश्वर ने मुझे "अंधकार के प्रभाव से पीछा छुड़ाने, प्रकाश में रहने" की मिठास का स्वाद लेने दिया है, जिसने मुझे मेरी खोज में प्रेरणा और उम्मीद दी है। मेरा मानना है कि अगर मैं परमेश्वर के साथ सहयोग करने और परमेश्वर द्वारा दर्शाए गए मार्ग पर चलने, सभी चीजों में सत्य को खोजने, और परमेश्वर के वचनों के अनुसार जीने का निरंतर प्रयास करती रहूँगी, तो मैं आत्मा की बेड़ियों से पीछा छुड़ा लूँगी, अंधकार के प्रभाव से पीछा छुड़ा लूँगी, और परमेश्वर द्वारा प्राप्त कर ली जाऊँगी।
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