चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु का दूसरा आगमन है। परमेश्वर की भेड़ परमेश्वर की आवाज़ सुनती है। जब तक आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि परमेश्वर प्रकट हो गए हैं। हम सभी सत्य-के-साधकों का यहाँ आने और देखने के लिए स्वागत करते हैं।

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सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की मूलभूत मान्यताएँ

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मंगलवार, 31 जुलाई 2018

अठारहवाँ कथन

परमेश्वर को महिमा, मसीह के कथन, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन

अठारहवाँ कथन


बिजली की एक चमक पर, प्रत्येक जानवर अपने असली स्वरूप में प्रकट हो जाता है। उसी तरह, मेरे प्रकाश से प्रकाशित मानवजाति ने उस पवित्रता को पुनः-प्राप्त कर लिया है जिससे वह कभी सम्पन्न थी। ओह, अतीत का वह भ्रष्ट संसार गंदे पानी में पलट गया है, और सतह के नीचे डूब कर, कीचड़ में घुल गया है!ओह, वह सम्पूर्ण मानवजाति ने, जिसे मैंने रचा था, अंततः फिर से रोशनी में जीवन को प्राप्त कर लिया है, अपने अस्तित्व की नींव को पा लिया है, और कीचड़ में संघर्ष करना बंद कर दिया है! ओह, सृष्टि की असंख्य चीजें जो मैंने अपने हाथों में थामे रखी हैं! वे कैसे मेरे वचनों के माध्यम से नई नहीं की जा सकती हैं? वे कैसे, रोशनी में, अपने कार्यों को नहीं कर सकती हैं? पृथ्वी अब स्थिर और मूक नहीं है, स्वर्ग अब उजाड़ और दुःखी नहीं है। स्वर्ग और पृथ्वी, अब खालीपन द्वारा पृथक नहीं हैं, पुनः कभी भी पृथक नहीं किए जाने के लिए, अब एक ही बन गए हैं। इस आनन्द के अवसर पर, इस उत्साह के अवसर पर, मेरी धार्मिकता और मेरी पवित्रता, सम्पूर्ण बह्माण्ड में फैल गई है, और सम्पूर्ण मानवजाति बिना रुके उसकी प्रशंसा करती है। स्वर्ग के शहर खुशी से हँस रहे हैं, और पृथ्वी के राज्य खुशी से नाच रहे हैं। इस क्षण कौन आनन्द नहीं ले रहा है? और इस क्षण कौन रो नहीं रहा है? पृथ्वी अपनी मौलिक स्थिति में स्वर्ग से सम्बंध रखती है और स्वर्ग पृथ्वी के साथ एक हो जाता है। मनुष्य, स्वर्ग और पृथ्वी को बाँधे रखने वाली डोर है, और उसकी पवित्रता के कारण, उसके नवीनीकरण के कारण, स्वर्ग अब पृथ्वी से छुपा हुआ नहीं है, और पृथ्वी स्वर्ग के प्रति अब और मूक नहीं है। मानवजाति के चेहरों पर अब संतुष्टि की मुस्कान बिखरी हुई है और उनके हृदयों में मिठास बह रही है जिसकी कोई सीमा नहीं है। मनुष्य मनुष्य से झगड़ा नहीं करता है, न ही मनुष्य एक दूसरे से असहमति के साथ झगड़ता है। क्या कोई ऐसा है जो, मेरी रोशनी में, दूसरों के साथ शान्ति से नहीं रहता है? क्या ऐसा कोई है जो, मेरे दिनों में, मेरे नाम का अपमान करता है? सभी मानव श्रद्धा भरी निगाहों से मुझे निहारते हैं और अपने हृदयों में वे चुपचाप मुझे पुकारते हैं। मैंने मानवजाति के प्रत्येक कार्य को खोजा हैः मानवों में, जो शुद्ध किए गए हैं, ऐसे कोई नहीं हैं जो मेर् प्रति अवज्ञाकारी हैं, ऐसे कोई नहीं हैं जो मेरी आलोचना करते हैं। सम्पूर्ण मानवजाति में मेरा स्वभाव भर गया है। हर कोई मुझे जानने के लिए आ रहा है, मेरे और करीब आ रहा है, मेरी आराधना कर रहा है। मैं मनुष्य की आत्मा में दृढ़ खड़ा हूँ, मैं मनुष्य की दृष्टि में उच्चतम शिखर पर उठा हुआ हूँ, और उसकी नसों में रक्त के माध्यम से प्रवाहित होता हूँ। मनुष्य के हृदय में आनन्द की उमंग पृथ्वी की सतह पर हर स्थान को भर देती है, हवा तेज़ और ताज़ा हो जाती है, घना कोहरा मैदान को अब और आच्छादित नहीं करता है, और सूर्य प्रकाशमान होकर चमकता है।
अब, मेरे राज्य को देखो, जहाँ पर मैं सब का राजा हूँ, और जहाँ पर में सब पर शासन करता हूँ। सृष्टि की उत्पत्ति से लेकर वर्तमान दिन तक, मेरे पुत्र, मेरे द्वारा निर्देशित हो कर, जीवन की कई कठिनाईयों से, संसार के कई अन्यायों से, संसार के कई उतार-चढ़ावों से गुजरे हैं, किन्तु अब वे मेरी रोशनी में निवास करते हैं। कल के अन्याय पर कौन नहीं रोता है? आज के दिन तक आने की कठिनाईयों पर कौन आँसू नहीं बहाता है? और फिर, क्या कोई ऐसा है जो अपने आप को मेरे प्रति समर्पित करने के लिए इस अवसर का उपयोग नहीं करना चाहता है? क्या कोई ऐसा है जो अपने हृदय में बढ़ रहे ज़ुनून को बाहर निकालने के लिए इस अवसर का उपयोग नहीं करता है? क्या कोई ऐसे हैं जो, इस समय, उस बात को नहीं बोलते हैं जो उन्होंने अनुभव की हैं? इस समय, प्रत्येक मानव अपने आप का सबसे उत्तम भाग मेरे लिए समर्पित कर रहे हैं। कल के किए हुए मूर्खतापूर्ण कार्यों के लिए कितने लोग पछतावे से व्यथित हैं, कल की गई कोशिशों के लिए कितने लोग अपने आप से घृणा करते हैं! समस्त मानवजाति को स्वयं का पता चल गया है, उन सभी ने शैतान के कर्मों और मेरी अद्भुदता को देख लिया है और उनके हृदयों में मेरे लिए एक स्थान स्थापित हो गया है। मनुष्यों के बीच द्वेष या परित्याग से मेरा अब और सामना नहीं होगा, क्योंकि मेरा महान कार्य पहले ही पूर्ण हो चुका है, और अब और कोई रूकावट नहीं है। आज, मेरे राज्य के पुत्रों के बीच, क्या कोई ऐसे हैं जिन्होंने अपने स्वयं के निमित्त विचार न किया हो? क्या कोई ऐसे हैं जिनके पास उन तरीकों के कारण चिंता करने का अतिरिक्त कारण नहीं है जिनसे मैं कार्य करता हूँ? क्या कोई ऐसे हैं जिन्होने ईमानदारी से अपने आप को मेरे वास्ते समर्पित कर दिया है? क्या तुम लोगों के भीतर की अशुद्धियाँ कम हो गई हैं? या वे बढ़ गई हैं? यदि तुम्हारे हृदय के अशुद्ध तत्व न तो कम हुए और न बढ़े हैं, तो मैं ऐसे लोगों को निश्चित रूप से दूर फेंक दूँगा। मैं ऐसे संत चाहता हूँ जो मेरे हृदय के अनुसार हों, न कि अशुद्ध आत्माएँ जो मेरे विरूद्ध विद्रोह करती हैं। भले ही मैं मानवजाति से अधिक नहीं माँगता हूँ, फिर भी मनुष्य के हृदय का आंतरिक संसार इतना जटिल है कि मानवजाति आसानी से मेरी इच्छा से सहमत नहीं हो सकती है या मेरी इच्छाओं को तुरंत संतुष्ट नहीं कर सकती है। मानवजाति में से अधिकांश चुपचाप, अंत में सर्वोच्च प्रतिष्ठा पर कब्जा करने में समर्थ होने की आशा में अपने आप को लगा रहे हैं। मानवजाति में से अधिकांश लोग, दूसरी बार शैतान के चंगुल में फँसने से भयभीत, एक क्षण के लिए भी ढीला पड़ने का साहस किए बिना, अपनी पूरी ताकत से प्रयास कर रहे हैं। वे मेरे विरूद्ध शिकायतो को आश्रय देने का ख्याल करने का अब और साहस नहीं करते हैं, बल्कि निरंतर मेरे सामने अपनी निष्ठा दिखाने का प्रयास करते हैं। मैंने कई लोगों के हृदय से बोले गए वचनों को, पीड़ा के बीच दर्दनाक अनुभवों के बारे में कई लोगों द्वारा कहे गए वर्णनों को सुना है; मैंने कई लोगों को, कठिन स्थितियों में, बिना नागा किए मेरे प्रति अपनी निष्ठा को अर्पित करते हुए देखा है, और कई लोगों को पथरीली मार्ग पर चलते हुए, बाहर निकलने के रास्ते के लिए संघर्ष करते हुए देखा है। इन परिस्थितियों में, उन्होंने कभी भी शिकायत नहीं की है; यहाँ तक कि जब, रोशनी को प्राप्त करने में असमर्थ, वे थोड़ा निरुत्साहित हुए, तब भी उन्होंने कभी शिकायत नहीं की। किन्तु मैंने कई लोगों को उनके हृदय की गहराई से अभिशाप देते हुए, स्वर्ग को कोसते हुए और पृथ्वी को दोष देते हुए सुना है, और मैंने यह भी देखा है कि कई लोग अपनी विपत्ति के बीच अपने आप को निराशा के बीच में छोड़ देते हैं, अपने आप को ऐसे कचरे के समान कूड़ेदान में फेंक देते हैं, ताकि वे गंदगी और जमी हुई कीट से ढक जाएँ। मैंने कई लोगों को एक दूसरे से लड़ते-झगड़ते देखा है, क्योंकि उनकी स्थिति में परिवर्तन, और साथ ही "चेहरे" के बदलावों, ने उनके साथी मनुष्यों के साथ उनके सम्बन्धों में परिवर्तन ला दिया है, इसलिए मित्र मित्र नहीं रहे हैं और, अपने मुँह से एक दूसरे पर आक्रमण करते हुए, शत्रु बन गए हैं। अधिसंख्य लोग मेरे वचनों को मशीनगन की गोलियों की तरह उपयोग करते हैं, अनजाने में एक दूसरे पर गोली की बौछार करते हैं, जब तक कि मनुष्यों की दुनिया में हर जगह कोलाहल न भर जाए जो शान्त स्थान की शान्ति को छिन्न-भिन्न कर देता है। सौभाग्य से, यह अब आज है; अन्यथा कौन जाने कि कितने लोग इस मशीनगन की गोलियों की अथक बौछार से नष्ट हो गए होते।
मुझसे निकले हुए वचनों का अनुसरण करते हुए, और समस्त मानवजाति की स्थिति के साथ गति बनाए रखते हुए, मेरा राज्य, कदम दर कदम, पृथ्वी पर उतरता है। मनुष्य अब और चिंताजनक विचारों को आश्रय नहीं देता है, या दूसरे लोगों का "ध्यान रखता" नहीं है, या उनकी ओर से "सोचता" नहीं है। और इसलिए, विवादपूर्ण झगड़े अब और नहीं होते हैं, और उन वचनों का अनुसरण करते हुए जो मुझसे जारी होते हैं, ये आधुनिक युग के विविध प्रकार के "हथियार" भी वापस ले लिए जाते हैं। मनुष्य फिर से मनुष्य के साथ शान्ति प्राप्त करता है, मानव हृदय एक बार फिर से समरसता की भावना बिखेरता है, कोई भी किसी गुप्त हमले के खिलाफ अब और बचाव नहीं करता है। समस्त मानवजाति अब सामान्य हो गई है और एक नए जीवन को आरम्भ कर चुकी है। एक नए परिवेश में विद्यमान, अच्छी संख्या में लोग, ऐसा महसूस करते हुए मानो कि वे एक बिल्कुल ही नए संसार में प्रवेश कर चुके हैं, अपने आसपास देखते हैं, और इस वजह से वे तुरंत अपने वर्तमान परिवेश को अपनाने में या एक दम से सही मार्ग पर आने में समर्थ नहीं होते हैं। इसलिए जहाँ तक मानवजाति की बात है यह "आत्मा तो तैयार है किन्तु देह दुर्बल है" का मामला है। यद्यपि मैंने, मनुष्य की तरह, स्वयं विपरीत परिस्थितियों की कड़वाहट को नहीं चखा है, फिर भी मैं उसकी अपर्याप्तताओँ के बारे में वह सब जानता हूँ जो मुझे जाननी हैं। मैं मनुष्य की आवश्यकताओं से घनिष्ठता से परिचित हूँ और उसकी कमजोरियों के बारे में मेरी समझ पूरी है। इसी कारण से, मैं मनुष्य की कमियों की वजह से उसका मज़ाक नहीं उड़ाता हूँ; मैं, उसके अधार्मिक कर्मों पर निर्भर करते हुए, केवल "शिक्षा" के एक उचित उपाय को प्रशासित करता हूँ, जो हर एक को सही रास्ते पर आने में सक्षम बनाता है, ताकि मानवजाति भटकती हुई अनाथ नहीं रहेगी और एक घर के साथ पोषित बच्चे बन जाएगी। तब भी, मेरे कार्य सिद्धांतों द्वारा नियंत्रित होते हैं। यदि मानवजाति उस परमानंद का मज़ा लेने की अनिच्छुक है जो मुझ में है, तो मैं केवल इतना ही कर सकता हूँ कि उनकी अभिलाषाओं के साथ रहूँ और उन्हें अथाह गड्ढे में भेज दूँ। इस बिन्दु पर, अब किसी को भी अपने हृदय में इसके बाद शिकायतों को आश्रय नहीं देना चाहिए, बल्कि सभी को मेरे द्वारा की गई व्यवस्थाओं में मेरी धार्मिकता को देखने में समर्थ होना चाहिए। मैं मानवजाति को विवश नहीं करता हूँ कि वे मुझे प्रेम करें, न ही मैं मुझे प्रेम करने के लिए किसी मनुष्य को मारता हूँ। मुझ में पूरी स्वतंत्रता है, पूरी मुक्ति है। यद्यपि मनुष्य का भाग्य मेरे हाथ में रहता है, किन्तु मैंने मनुष्य को स्वतंत्र इच्छा दी है, जो मेरे नियंत्रण के अधीन नहीं है। इस तरह से, मानवजाति मेरी प्रशासनिक आज्ञाओं के कारण मुसीबत में पड़ने के लिए तरीकों का अविष्कार नहीं करेगी, बल्कि इसके बजाय, मेरी उदारता पर भरोसा करके, मुक्ति प्राप्त करेगी। और कई लोग, मेरे प्रति संयम में रहने से दूर, मुक्त किए जाने के कार्य में अपने स्वयं के मार्ग को खोजते जाते हैं।
मैंने मानवजाति के साथ हमेशा उदारता से व्यवहार किया है, कभी भी जटिल समस्याओं को नहीं रखा है, किसी एक भी व्यक्ति को कभी भी परेशानी में नहीं डाला है; क्या यह ऐसा नहीं है? यद्यपि बहुत सारे लोग मुझसे प्रेम नहीं करते हैं, इस प्रकार के दृष्टिकोण से परेशान होने से दूर, मैंने मनुष्यों को कठोर समुद्र में तैरने की अनुमति देने की हद तक छूट देते हुए, मैंने मनुष्यों को स्वतंत्रता दी है। क्योंकि मनुष्य एक पात्र है जिसका दाम नहीं लगाया जाए: यद्यपि वह उन आशीषों को देखता है जो मेरे हाथ में है, किन्तु इसका आनन्द लेने में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है, परन्तु शैतान के हाथ से विपत्ति को इकट्ठा करेगा, फलस्वरूप अपने आप को शैतान के द्वारा "पोषण" के रूप में चूसे जाने के लिए बर्बाद कर रहा है। वास्तव में, कुछ लोग हैं जिन्होंने मेरे प्रकाश को अपनी आँखों से देखा है, और इसलिए, भले ही वे वर्तमान समय के धुंध में जी रहे हैं, फिर भी उन्होंने इस अँधेरा करने वाले धुंध के कारण प्रकाश में अपना विश्वास नहीं खोया है। बल्कि धुंध में टटोलना और खोजना जारी रखा है—यद्यपि बाधाओं से भरे एक पथ के माध्यम से। जब मनुष्य मेरे विरूद्ध विद्रोह करता है, तो मैं उस पर अपना गुस्से से भरा कोप फेंकता हूँ, और इसलिए मनुष्य अपनी अवज्ञा द्वारा नष्ट हो सकता है। जब वह मेरा आज्ञापालन करता है, तो मैं उससे छिपा रहता हूँ, इस प्रकार से उसके हृदय की गहराई में प्रेम को उत्तेजित करता हूँ, एक ऐसा प्रेम जो धोखा देना नहीं चाहता है बल्कि मुझे आनन्द देना चाहता है। कितनी बार, मेरे लिए मनुष्य की खोज में, उसके सच्चे विश्वास को प्राप्त करने के लिए, मैंने अपनी आँखें बंद की और चुप रहा हूँ? किन्तु जब मैं नहीं बोलता हूँ, तो मनुष्य का विश्वास एक पल में बदल जाता है, और इसलिए जो कुछ मुझे दिखाई देता है वह उसका खोटा "माल" हैं, क्योंकि मनुष्य ने मुझे कभी भी ईमानदारी से प्रेम नहीं किया है। यह केवल तभी होता है जब मैं अपने आप को प्रकट करता हूँ कि मनुष्य अपने "विश्वास" का जबरदस्त प्रदर्शन करता है; किन्तु जब मैं अपने गुप्त स्थान में छिपा होता हूँ, तो वे कमज़ोर और बुजदिल हो जाते हैं, मानो कि मेरा अपमान करने से वे डर गए हों, या यहाँ तक कि क्योंकि कुछ लोग मेरे चेहरे को नहीं देख सकते हैं, इसलिए वे मुझे अच्छी तरह से जाँच के अधीन करते हैं और उससे निष्कर्ष निकालते हैं कि मैं वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं हूँ। कितने लोग इस अवस्था में रहते हैं, कितने लोगों की इस प्रकार की मानसिकता है, किन्तु यह सिर्फ इतना ही है कि सभी मनुष्य उस बात को छिपाने में निपुण हैं जो उनमें शर्मनाक है। इस कारण, वे स्वयं की अयोग्यताओं पर लोगों का ध्यान दिलवाने के अनिच्छुक हैं, और केवल मेरे वचनों के सत्य को ही स्वीकार करते हैं जबकि अपने स्वयं के आत्म-सम्मान को बचाने के लिए ढिठाई से सुरक्षात्मक छद्मावरण देने का प्रयास करते हैं।
17 मार्च, 1992
Source From:सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया-सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन

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